रेत का उचित मूल्य राज्य में ला सकता है खुशहाली

चाहे कोई भी सरकार क्यों न हो, रेत की आपूर्ति लेने के लिए पंजाब वासियों को हमेशा मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। पूर्व सरकार के समय यह प्रचलित था कि ‘आटा 20 रुपए किलो, रेत 4 रुपए किलो’। अब यह प्रचलित है कि ‘रेत नहीं मिलती, चाहे जितने का मज़र्ी किलो हो’। इसका क्या हल है? और इस छोटी सी वस्तु का पंजाब के कुल घरेलू उत्पादन (जी.डी.पी.) पर जो असर पड़ रहा है, चिन्ता का विषय है। उदाहरण के तौर पर यदि 500 वर्ग गज की भूमि पर तीन मंज़िला मकान बनाना हो और उसकी छत 8,000 वर्ग फुट हो तो उसके निर्माण में रेत की कितनी खपत होगी और उसकी कितनी लागत होगी? ईंटों की चलाई (1:6) सीमेंट : रेत, यदि की जाए तो इसमें लगभग 3,000 क्यू फुट रेत लगेगी। आर.सी.सी. (reviforced cement concrete) जिसकी मिक्सचर एम.-20 हो तो उसके लिए 2,000 क्यू फुट रेत की ज़रूरत है। प्लस्तर (1:4) सीमेंट : रेत, करने के लिए लगभग 6500 क्यू फुट रेत लगेगी। फर्श के लिए लगभग 2,000 क्यू फुट रेत की ज़रूरत होगी। यदि अन्य फुटकल कार्यों के लिए 500 क्यू फुट रेत मिला ली जाए तो कुल रेत की ज़रूरत लगभग 14,000 क्यू फुट होगी। यदि आजकल रेत की कीमत 40 रुपए प्रति क्यू फुट ली जाए तो इसका मूल्य 5,60,000 रुपए होगा। समय-समय पर सरकारी पाबंदियों के कारण रेत रात के समय सप्लाई की जाती है, जिसमें उपभोक्ता को न तो उसकी गुणवत्ता (क्वालिटी) देखने का समय मिलता है और न ही उसका पूरा माप देख सकता है। इसका सारा नुक्सान इमारत बनाने वाले को ही सहन करना पड़ रहा है। रेत की सप्लाई रुकने से ढुलाई करने वाले ट्रकों को अपनी बैंकों की किश्तें लौटाने में बहुत मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है, जबकि घर का खर्च और ड्राइवर तथा कडंक्टरों के वेतनों का बोझ भी झेलना पड़ता है। मकान निर्माण ठेकेदार को समय पर रेत न मिलने के कारण और कार्य की गति न बनने के कारण मिस्त्रियों और मज़दूरों से पूरा काम लेने में मुश्किल पेश आती है। रेत न मिलने के कारण मकानों और इमारतों के निर्माण की रफ्तार पर भी विपरीत असर पड़ता है। यदि मकानों और इमारतों में लगने वाले सामान की सूची तैयार की जाए तो लगभग 1200 से अधिक तरह के सामान इमारतें बनाने में इस्तेमाल किए जाते हैं, जैसे कि लकड़ी का सामान, बिजली का सामान, बाथरूम में लगने वाला सामान, पेंट, वार्निश आदि। जब इमारतें बनाने के काम में तेज़ी आती है तो यह 1200 से अधिक किस्म का सामान बनाने वाली सभी फैक्टरियों का कार्य भी बढ़ेगा। फैक्टरियों का उत्पादन बढ़ने से बिजली की खपत भी बढ़ेगी। इससे हज़ारों शिक्षित तथा गैर-शिक्षित नौकरियां इन फैक्टरियों में तेज़ी आने से बढ़ेंगी। यह मानी हुई बात है कि जिस देश में निर्माण की गतिविधि बढ़ जाती है, तो नौकरियां स्वयं अस्तित्व में आ जाती हैं। बेरोज़गारी कम करने का यही एक सबसे बड़ा प्रयास है। जब फैक्टरियों में उत्पादन बढ़ेगा तो उसका असर सीधा राज्य की जी.डी.पी. पर पड़ेगा और राज्य समृद्धि की ओर बढ़ेगा। लोकतंत्र का सिद्धांत है, लोगों की, लोगों द्वारा और लोगों के लिए सरकार। इस भावना से ही सरकार को अपनी सोच बदलने की ज़रूरत है। सरकार रेत का व्यापार करके शाहूकार बनने की बजाय लोगों के लिए कार्य करे। यदि बारीक रेत और मोटी रेत की कीमत 15 से 17 रुपए प्रति क्यू फुट होगी तो इससे सरकार को कोई ज्यादा नुक्सान नहीं झेलना पड़ेगा। साफ और धुली हुई रेत लोगों को उचित मूल्य पर देने से इमारतें शीघ्र, अच्छी और सस्ती बनेंगी। ठेकेदार अपने मज़दूरों की क्षमता का पूरा इस्तेमाल करके अपना लाभ बढ़ा सकेंगे। ट्रक मालिकों का कार्य बढ़ेगा और वह खुशहाली की ओर बढ़ेंगे, जो बिजली पंजाब के पास अतिरिक्त है, उसकी खपत पंजाब में ही होगी जिसके परिणामस्वरूप पंजाब में चल रही फैक्टरियों का उत्पादन बढ़ेगा। इससे सीधी पंजाब में खुशहाली आयेगी।

—पूर्व चेयरमैन पंजाब-हरियाणा एण्ड चंडीगढ़ स्टेट ऑफ इंस्टीच्यूट ऑफ इंजीनियर्स
मो. 94170-04482