आयरनमैन के तौर पर जाने जाते हैं  गौरवशाली खिलाड़ी अमित सरोआ

देश के आयरनमैन के तौर पर जाने जाते हैं गौरवशाली खिलाड़ी अमित सरोआ, जिन्होंने देश के लिए खेलते हुए इतने कीर्तिमान स्थापित किए कि वह कीर्तिमान आज भी अमित सरोआ के नाम बोलते हैं और अमित सरोआ का नाम अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ियों की पहली सूची में आता है और विश्व स्तरीय खिताब भी उनके नाम बोलते हैं। अमित सरोआ का जन्म हरियाणा प्रांत के ज़िला सोनीपत के एक छोटे से गांव बाइयांपुर में 20 अक्तूबर, 1985 को स्वर्गीय पिता बलबीर सिंह के घर माता दर्शना देवी की कोख से हुआ। अमित सरोआ को बचपन से ही हॉकी खेलने का शौक था और स्कूल पढ़ते ही उन्होंने हॉकी खेलनी शुरू की और वह राष्ट्रीय स्तर के हॉकी स्टार खिलाड़ी थे, लेकिन उस समय उनकी ज़िन्दगी का यह सफर रुक गया, जब वह युवावस्था यानि 22 वर्ष के थे कि उनका एक्सीडैंट हो गया और इस हुए खतरनाक हादसे ने अमित सरोआ को ऐसी चोट मारी कि वह फिर से हॉकी खेलने के काबिल नहीं रहे, क्योंकि हादसे के बाद वह दोनों टांगों से विकलांग हो गये और अब वह पूरी ज़िन्दगी के लिए व्हीलचेयर पर ज़िन्दगी जीने के लिए मजबूर थे। अमित का खेल मन उत्तेजित होता और कभी-कभी वह व्हीलचेयर पर बैठे-बैठे सोचते कि ज़िन्दगी दगा दे गई और उनकी आंखें भर आती। एक बार विदेश से व्हीलचेयर पर खेलने वाले प्रसिद्ध खिलाड़ी जॉनथन सिगवर्थ भारतीय व्हीलचेयर पर खेलने वाले पैरा खिलाड़ियों को उत्साहित करने के लिए भारत आए तो अमित सरोआ की मुलाकात उनसे हुई। उन्होंने अमित में खेलने की इतनी प्रबल इच्छा देखी कि उन्होंने अमित को व्हीलचेयर पर बैठकर ही खेलने के लिए प्रेरित किया और अमित सरोआ जॉनथन से इतने उत्साहित हुए कि उनके हौसले एक बार फिर से जवां हो गए और उन्होंने अपनी व्हीलचेयर खेल के मैदान में ऐसी उतारी कि आज अमित सरोआ का नाम विश्व के चोटी के खिलाड़ियों में तारे की तरह चमकता है। वर्ष 2010 में उन्होंने चीन के शहर गंगजू में हुए पैरा एशियन खेलों में हिस्सा लिया, जहां अमित सरोआ ने डिस्कस थ्रो में रजत पदक लेकर भारत का नाम ऊंचा किया और उन खेलों में भारतीय खिलाड़ियों ने कुल 14 पदक जीते थे, जिनमें अमित सरोआ भी शामिल थे और इसके दो वर्ष बाद ही मलेशिया के शहर कुआलाम्पुर में हुई पैरा ओलम्पिक में अमित सरोआ ने देश के लिए खेलते हुए दो स्वर्ण पदक अपने नाम ही नहीं किए, अपितु एशियन रिकार्ड तोड़ कर पूरे विश्व में अपना तीसरा रैंक हासिल करने में बड़ी जीत हासिल की।इंग्लैंड के शहर लंदन में हुई वर्ष 2012 में पैरा ओलम्पिक में अमित सरोआ भारत के वह पहले एक मात्र खिलाड़ी थे, जिन्होंने दोनों टांगों से विकलांग होकर भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे थे और वहां उन्होंने विश्व के चोटी के खिलाड़ियों में अपना नाम दर्ज करवा कर समूचे भारत का नाम पूरे विश्व में चमकाया। वर्ष 2014 कोरिया में हुए पैरा खेलों में अमित सरोआ ने डिस्कस थ्रो और क्लब थ्रो में दो पदक भारत की झोली में डाले। वर्ष 2015 में ही दोहा में हुई वर्ल्ड चैम्पियनशिप और कोरिया में हुए पैरा खेलों में भी पदक ही अपने नाम नहीं किए, बल्कि वहां भी उन्होंने खेलते एशियन रिकार्ड बनाया। शारजाह दुबई में भी वह एथलैटिक में एक स्वर्ण पदक और एक कांस्य पदक जीत कर भारत का गौरव बने। वर्ष 2016 में रियो ब्राज़ील में भी उन्होंने खेलते हुए भारत को पदक से नवाज़ा।
अमित सरोआ का यह सफर निरन्तर तौर पर जारी है और उन्होंने अब तक 21 पदक अंतर्राष्ट्रीय और 17 राष्ट्रीय पदक अपने नाम किए हैं। अमित सरोआ की उपलब्धियों पर गर्व करते हुए भारत सरकार उनको बहुत ही प्रतिनिष्ठित पुरस्कार अर्जुन अवार्ड से सम्मानित कर चुकी है और हरियाणा सरकार स्टेट पुरस्कार से। अमित सरोआ आजकल स्पोर्ट्स अथॉर्टी ऑफ इंडिया की ओर से बतौर कोच स्पैशल तौर पर पैरा खिलाड़ियों को तराश रहे हैं और उन्होंने अपने नेतृत्व में बहुत ही उच्च कोटि के खिलाड़ी पैदा किए हैं और कर रहे हैं। यहीं बस नहीं, यह सम्मान भी अमित सरोआ को ही जाता है कि उनको स्पोर्ट्स अथॉर्टी ऑफ इंडिया में जो भी वेतन मिलता है उसको वह पैरा खिलाड़ियों पर ही खर्च करते हैं। इसके साथ ही वह अन्य भी पैरा खिलाड़ियों को लगातार उत्साहित करते रहते हैं और देश भर में ही उनको एक अच्छे स्पोर्ट्समैन के तौर पर जाना जाता है और अक्सर ही वह देश के बड़े समारोहों में बतौर मुख्य अतिथि शामिल होते हैं। अमित सरोआ पर देश गर्व करता है।