खेतों की सिंचाई के लिए प्रयोग की जाने वाली भूमिगत पाईप-लाईन पर सरकारी सब्सिडी हुई बंद

अजनाला, 14 जून (अ.स.) : मौजूदा समय में जहां सरकार द्वारा आने वाली पीढ़ियों के लिए धरती के नीचे पानी की ज्यादा से ज्यादा बचत करने की प्रदेश वासियों को अपील की जा रही है वहीं कृषि सैक्टर में प्रयोग किए जाते धरती निचले स्वच्छ पानी को बचाने के लिए शुरू की गई योजनाएं ज़रूरी फंडों की कमी के कारण दम तोड़ रही हैं। जिसके प्रति पंजाब सरकार को रचनात्मक पहुंच रखनी चाहिए। किसानी क्षेत्र में फसलों के उत्पादन के लिए प्रयोग में आने वाले धरती निचले पानी की ज्यादातर होती खपत को रोकने के लिए केन्द्र सरकार द्वारा शुरू की गई राष्ट्रीय कृषि विज्ञान योजनाएं नाम की योजना के तहत किसानों को अपने ट्यूबवैल से दूर-दूर खेतों में पानी पहुंचाने के लिए ज़मीनदोज पाईप लाईन बिछाने की सुविधा शुरू की गई थी, जिसके तहत राज्य सरकार द्वारा किसानों को ज़मीनदोज पाईप बिछाने के लिए प्रति हैक्टेयर 22 हज़ार रुपए या कुल लागत का 50 प्रतिशत हिस्सा सब्सिडी के रूप में दिया जाता रहा है परन्तु मौजूदा समय में पिछले करीब एक वर्ष से यह सब्सिडी बंद पड़ी है, जिसके तहत किसानों द्वारा आने वाले खरीफ की फसल धान की बिजाई से पहले अपने ट्यूबवैल से दूर खेतों को पानी पहुंचाने के लिए ज़मीनदोज पाईप बिछाने के लिए अपनी जेब से मोटी रकम अदा करनी पड़ रही है। जोकि किसानों की आर्थिकता के अनुकूल नहीं है। यहां र्वणनीय है कि ट्यूबवैल से दूर खेतों में पानी पहुंचाने के लिए लाईन किसानों द्वारा छोटी खालें खोद कर पानी लाया जाता था, जिसके तहत पानी का बड़ा बिस्सा दूर खेतों में पहुंचने से पहले ही रास्ते में खपत हो जाता था, जिससे धरती निचला पानी ज्यादा बर्बाद होने के साथ-साथ ज़मीन का प्रति एकड़ ढाई प्रतिशत हिस्सा भी खालों के नीचे आने से कृषि उत्पादन से वंचित रह जाता था, जिसके बचाव के लिए सरकार द्वारा भूमि रक्षा व जल संभाल विभाग पंजाब को किसानों तक पहुंच करने पर किसानों को पाईपों द्वारा पानी दूर खेतों में पहुंचाने के लिए जागरूक करने के निर्देश दिए गए थे, जिसके तहत किसानों द्वारा खेतों में पाईप बिछाने शुरू भी कर दिए गए। वर्ष 2009 में इस योजना के लिए प्रयोग किए जाने वाली राशि सब्सिडी के रूप में किसानों तक पहुंचती रही परन्तु अब पिछले एक वर्ष से बंद पड़ी है। इस सम्बन्धी बात करते किरती किसान यूनियन के राज्य कमेटी सदस्य धनवंत सिंह खतराए कलां ने बताया कि कृषि के लिए प्रयोग किए जाते पानी की सम्भाल पाईप-लाईन पर दी जाती सब्सिडी विश्व व्यापार संस्था (डब्लू.टी.ओ.) की किसान विरोधी नीतियों पर चलते सरकार द्वारा बंद करने से किसानों को भारी आर्थिक नुक्सान हो रहा है। क्योंकि इस पाईप-लाईन को खेतों में बिछाने के लिए किसानों को 35 से 55 हज़ार रुपए प्रति एकड़ बिना सब्सिडी से खर्च करने पड़ रहे हैं, जिससे किसानों की आर्थिकता और डगमगा जाएगी। किसानों ने मांग करते हुए कहा कि बंद हो चुकी सब्सिडी को दोबारा बहाल किया जाए ताकि किसान आधे खर्चे पर खेतों में पानी के लिए पाईप-लाईन बिछा सकें।