विद्युत निगम की चुनौतियां

20 जून से धान की बुआई शुरू होने पर बिजली की मांग अचानक बढ़ने की सम्भावना है। पंजाब राज्य विद्युत निगम ने कृषि क्षेत्र को आठ घंटे लगातार बिजली देने का वादा किया हुआ है। आगामी समय में बढ़ी हुई मांग से कैसे निपटा जाएगा, यह तो देखने वाली बात होगी। परन्तु आज की स्थिति को देखते हुए इस क्षेत्र में सब कुछ अच्छा नहीं प्रतीत हो रहा। सबसे बड़ी बात विद्युत निगम इस समय गम्भीर वित्तीय संकट से गुज़र रहा है। इसने सरकार की ओर से घोषित रियायतों के कारण 48 हज़ार करोड़ के लगभग राशि सरकार से लेनी है। पंजाब सरकार स्वयं संकट की स्थिति में है। वह विद्युत निगम को इस बकाया बड़ी राशि का भुगतान कैसे करेगी, ये भी अब बड़ा सवाल बना हुआ है। पंजाब लम्बे समय तक बिजली संकट से जूझता रहा है। इसके लिए पूर्व सरकार ने तीन बड़े निजी ताप बिजली घरों को अपने प्लांटों के निर्माण के लिए हरी झंडी दे दी थी। उनके साथ बिजली खरीदने के लिए समझौते किए थे। यह प्लांट अपना-अपना उत्पादन कर रहे हैं। मौसम के अनुसार जब बिजली की मांग कम हो जाती है तो भी सरकार को इन निजी प्लांटों से बिजली खरीदनी ही पड़ती है। इस स्थिति में उसको अपने ताप और पन विद्युत घरों के उत्पादन को कम करना पड़ता है। परन्तु उन पर कर्मचारियों सहित आता अन्य खर्च तो पड़ता ही रहता है, जिससे बिजली महंगी होती है। जब बिजली की मांग बढ़ती है, तो सरकारी क्षेत्र के ताप और पन विद्युत घरों से पुन: उत्पादन शुरू किया जाता है। अब स्थिति यह बनी हुई है कि निजी ताप विद्युत घरों के पास कई कारणों से कोयले की कमी बनती जा रही है। समाचारों के अनुसार कुछ ताप घरों के पास तो बहुत सीमित दिनों का कोयला ही रह गया है। यदि ऐसी स्थिति बनी रही, तो यह बड़ा संकट बन कर सामने आ सकता है और बिजली का उत्पादन अचानक कम हो सकता है। हालत यह है कि बठिंडा ताप बिजली घर काफी महीनों से दम तोड़ता चला आ रहा है। एक तरह से इसका उत्पादन बंद ही पड़ा है। इसके साथ ही गुरु गोबिंद सिंह सुपर ताप बिजली घर रोपड़, गुरु हरगोबिंद साहिब ताप बिजली घर लहरा मोहब्बत तथा गुरु नानक देव ताप बिजली घर बठिंडा और पन बिजली घरों के दो अन्य यूनिट बंद पड़े हुए हैं। 
हमारे अनुमान के अनुसार आगामी समय में बिजली की मांग ने बढ़ते जाना है, जो पंजाब राज्य विद्युत निगम के लिए एक बड़ी चुनौती है। इसके अलावा सरकार ने उद्योगपतियों को पांच रुपए प्रति यूनिट सस्ती बिजली देने का भी ऐलान किया हुआ है। अब तक इसमें उसके द्वारा अनेक तरह के पापड़ बेले जा चुके हैं। तरह-तरह के तकनीकी तथा अन्य बहाने बनाकर एक तरह से घरेलू और औद्योगिक क्षेत्र में बिजली की दरें बढ़ाई जा रही हैं। आगे भी यदि ऐसी स्थिति बनी रही और अपने ताप और पन-बिजली घरों का उत्पादन कम होता गया, तो बिजली के और महंगे होने की उम्मीद की जा सकती है। इसके किसी भी तरफ से सस्ते होने की सम्भावना नज़र नहीं आती। इस क्षेत्र में अपनी उदारता दिखा कर तत्कालीन सरकारें फंसती रही हैं। अब सरकार जकड़न में इस कद्र आई प्रतीत होती है कि उसके पास फड़फड़ाने की हिम्मत भी दिखाई नहीं देती। निकट भविष्य में ऐसी स्थिति से निपटने के लिए सरकार ने क्या और किस तरह की योजनाएं बनाई हैं, इनके बारे में आज तक कोई विस्तार सामने नहीं आया। अब यही उम्मीद की जाने लगी है कि आगामी दिनों में यदि यहां भारी बारिश होती है तो लोगों के साथ-साथ विद्युत निगम को भी कुछ राहत अवश्य मिलेगी, जिससे उसको कुछ राहत मिलती दिखाई देगी।

-बरजिन्दर सिंह हमदर्द