अंटार्कटिका की खूबसूरत शान पेंग्विन

पेंग्विन एक बहुत प्यारा पक्षी है, जो बर्फीले स्थानों पर पाया जाता है। इस पक्षी की अधिकतर प्रजातियां ‘अंटार्कटिका महाद्वीप’ पर पाई जाती हैं। यह पक्षी जलचर न होते हुए भी अच्छा तैराक होता है, लेकिन उड़ने में यह पूर्णतया असमर्थ होता है, सिर्फ अपने पैरों के बदौलत ही तेज़ी से इधर-उधर दौड़ता है और दौड़ते-दौड़ते कई बार यह 125-150 किलोमीटर की यात्रा भी कर लेता है। वैसे यह अंटार्कटिका की खूबसूरत शान भी कहलाता है। यह पक्षी श्वेत व काले रंग का होता है। आखिर यह श्वेत, काला क्यों होता है? इसके पीछे भी प्रकृित का राज छिपा है। अंटार्कटिका में दूर-दूर तक चारों तरफ बर्फ ही बर्फ के पहाड़ नज़र आते हैं, तो कहीं बर्फ से सने लम्बे-चौड़े मैदान। यहां छ: महीने का दिन और छ: महीने की रातें होती हैं। यानी आधा वर्ष काली रात के साये में तो आधा वर्ष दिन के साये में व्यतीत होता है। इस छ: महीने के अंधेरे-उजाले के कारण ही प्रकृति ने इस पक्षी की रचना श्वेत व श्याम रंग में की है। एक तरह यह पक्षी इस महाद्वीप की पहचान है। पेंग्विन का शरीर असंख्य छोटे-छोटे पंखों से ढका होता है जो इसके शरीर की अत्यधिक ठंड से रक्षा करते हैं। यह पूंछ का उपयोग तैरते समय पतवार की तरह तथा पंखों का उपयोग हाथ या चप्पू की तरह करता है, जो इसके तैरने के लिए एक अनुकूल है। किसी ठंडी जगह पहुंचते हैं, जहां इनकी मादा एक अंडा देती है और नर, अंडे को सेने का व उसकी देखभाल का काम करता है। नर पेंग्विन अपने छोटे-छोटे पैरों पर इस अंडे को उठाए रखता है और अत्यधिक ठंडी जमीन से इसका बचाव करता है। हां, इस बीच मादा पुन: समुद्र की ओर लौट जाती है इस पक्षी का खास भोजन मछली है, इसे हासिल करने के लिए यह समुद्र में लम्बे-लम्बे गोते भी लगा लेता है और चोंच में दबाकर मछली को ले आता है, फिर अपने परिवार के साथ इसका भोजन खुशी-खुशी करता है। पेंग्विन समूह में रहने वाला पक्षी है। एक झुंड में 250-300 पेंग्विन अपने पूरे परिवार सहित रहते हैं। ये जहां भी जाते हैं, झुंड में ही चलते हैं। एक-दूसरे के सुख-दु:ख में ये मदद करते हैं अचरज की बात है समूह में रहते हुए भी इनमें कभी आपस में संघर्ष नहीं होते। सच पूछा जाए तो ये पक्षी एकता से रहने की मिसाल दर्शाते हैं।

—कमल सोगानी