आसमान से हो रही ‘रेत की वर्षा’ का फसलों व हरे चारे पर भी प्रभाव आरम्भ

मानसा, 16 जून (गुरचेत सिंह फत्तेवालिया) : गत 4 दिनों से आसमान से हो रही ‘रेत की वर्षा’ ने जहां जन-जीवन को बेहद प्रभावित किया है, वहीं इसका प्रभाव अब फसलों और हरे चारे पर भी पड़ना आरम्भ हो गया है। लोगों के घरों में भी भारी मात्रा में रेत की परत चढ़ गई है। घरों से बाहर खुले में या छत्तों पर सोने वाले लोगों का इस रेत ने हुलिया बिगाड़ दिया है। लगातार गिर रही इस धूल के कारण जहां लोगों को सांस लेने में कठिनाई बढ़ने लगी है वहीं गले, चमड़ी, और आंखों के रोग भी होने लगे हैं। सांस, दमे के मरीज़ों का तो बुरा हाल है व वह घरों में ही रह गए हैं। नरमे की छोटी फसल भी धूल से भर गई है व इसके पत्ते मुरझाने लग पड़े हैं। इसके अतिरिक्त सब्जियां भी सड़ने लगी हैं। यदि 1-2 दिन यही हाल रहा तो फसलों और सब्ज़ियों का भारी नुक्सान होने का अंदेशा है। हरे चारे पर भी रेत की परत चढ़ने के कारण पशुओं ने चारा खाना छोड़ दिया है, इसका कारण पशुओं के बीमार होने की रिपोर्टें भी हैं। दूसरी ओर नहरी विभाग के किसानों को 20 जून से पहले धान लगाने से रोकने के लिए नहरी पानी भी कम कर दिया है, जिसका प्रभाव नरमे और सब्ज़ियों पर पड़ रहा है। पूरे मानसा ज़िले में धूल के गुबार ने लोगों के नाम में दम कर दिया है। लोगों की एक ही आशा वर्षा पर ही रह गई है। आज सुबह के समय बादल होने के कारण वर्षा पड़ने की आशा थी परन्तु वह पूरी नहीं हुई। डाक्टर निशान सिंह और डाक्टर रणजीत सिंह राय ने लोगों, विशेष तौर पर बुज़ुर्ग व बच्चों को सलाह दी है कि वह घरों से बाहर न निकलें। लोग आंखों पर पानी के छींटे मार कर एनकें लगा कर व पूरी बाजू के कपड़े डाल कर ही घरों से बाहर निकलें। सुबह व सायं की सैर करने पर भी परहेज़ किया जाए।