सरकार के निर्देशों पर नहरी विभाग द्वारा किसानों से वाटर सैस वसूलने के निर्देश

मानांवाला, 18 जून (अ.स.) : पंजाब सरकार के निर्देशों पर नहरी विभाग द्वारा वर्ष 2017-18 का वाटर सैस एकत्रित करके जमा करवाने के निर्देश ने जहां सम्बन्धित नंबरदारों को खलबली मचाई हुई है, वहीं नहरी विभाग द्वारा जारी सूची के अनुसार जिन किसानों द्वारा सैस वसूलना है, ने आरोप लगाया है कि विभाग द्वारा नहरी पानी टेलों तक पहुंचाने पर ठोस प्रयास न किए जाने के कारण किसान सैस जमा करवाने से भाग रहे हैं। वर्णनीय है कि लगभग दो दशकों से सरकारें नहरी सैस बंद करने का दावा करती आ रही हैं परन्तु वास्तविकता यह है कि 1997 में पंजाब की राजनीति पर काबज हुई अकाली भाजपा गठबंधन सरकार ने नहरी सैस बंद करने सम्बन्धी कोई अधिसूचना जारी नहीं की। परन्तु उस समय गठबंधन सरकार ने किसानों के प्रति एकड़ 75 रुपए के हिसाब से लिए जाने वाले आबियाना को मुअत्तल करने के निर्देश दिए थे, जिसको वर्ष 2002 में बनी कैप्टन अमरेन्द्र सिंह की सरकार ने 2003 में यह आदेश वापिस ले लिए थे और इसके बाद वर्ष 2007 से 2017 तक पुन: शासन करने वाली अकाली भाजपा सरकार ने भी कैप्टन सरकार के फैसले को बहाल रखा। उसके बाद नवम्बर 2014 में एक अधिसूचना जारी कर अबियाना के स्थान पर प्रति एकड़ 50 रुपए वाटर सैस लगाने का फैसला किया था। सूत्रों के अनुसार 2004 से लेकर अब तक पंजाब में एक हज़ार करोड़ रुपए के लगभग नहरी सैस बकाया है, जिसकी बसूली के लिए नहरी विभाग ने नंबरदार सुरेन्द्र सिंह जोसन ने बताया कि नहरी विभाग द्वारा जारी की गई सूची के अनुसार जब वह किसानों द्वारा वाटर सैस वसूला गया तो आगे से किसानों ने नहरी पानी टेलों तक न पहुंचाने का आरोप लगाया और कहा कि हम वाटर सैस देने को तैयार हैं परन्तु शर्त यह है कि नहरी पानी हमारे खेतों तक पहुंचाया जाए। पूर्व सरपंच बलजीत सिंह, चमन सिंह व अन्य किसानों ने गहरी मण्डी से मानांवाला आ रहे रज़बाहे को दिखाते हुए बताया कि नहरी पानी वाला रजबाहा घास, बूटी व पराली आदि से भरा होने के कारण पानी हमारे खेतों तक नहीं पहुंचता। किसानों ने मांग की है कि नहरी पानी किसानों के खेतों तक पहुंचाया जाए।