अनाज खरीद की बकाया राशि दे केन्द्र : कैप्टन

नई दिल्ली, 18 जून (भाषा/ उपमा डागा पारथ) : पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने राज्य में धान और गेहूं की सरकारी खरीद के मद के 31000 करोड़ रुपए के बकाया का निपटारा करने और इस मामले में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से हस्तक्षेप करने की अपील की। राज्य सरकार के एक प्रवक्ता ने आज यहां यह जानकारी दी। प्रवक्ता के अनुसार मुख्यमंत्री ने यह मुद्दा आज प्रधानमंत्री के साथ हुई एक मुलाकात के दौरान उठाया। प्रवक्ता के अनुसार मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश की पिछली (अकाली-भाजपा) सरकार ने राज्य और केंद्र के बीच इसे निपटाने की अपेक्षा गलत तरीके से सारा बोझ अपने ऊपर ले लिया था। कैप्टन ने कहा कि ‘अनाज खाते’ के 31000 करोड़ रुपए की राशि में 12 हज़ार करोड़ रुपए मूल राशि है और 19000 करोड़ रुपए इसका ब्याज है। उन्होंने कहा कि राज्य की एजेंसियों की तरफ से वर्ष 2003-2004 से ही भारतीय खाद्य निगम के लिए की गई खरीद से यह राशि संबंधित है, जिसके खातों को अभी तक निपटाया नहीं गया है। कैप्टन ने कहा कि जब से उन्होंने पंजाब में मुख्यमंत्री का पद संभाला है, तब से ही वह इस मुद्दे को उठाते आ रहे हैं। इस समय यह मुद्दा केंद्रीय वित्त मंत्रालय के समक्ष लम्बित है। मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य पहले से ही 324 करोड़ रुपए के सालाना ब्याज के भुगतान की देनदारी का सामना कर रहा है। और धीरे-धीरे इसका भुगतान राज्य सरकार के वश से बाहर हो जाएगा। कैप्टन ने पंजाब के सरहदी इलाकों के विकास के लिए विशेष पैकेज की मांग दोहराई, क्योंकि पंजाब से लगती अंतर्राष्ट्रीय सीमा बहुत ज़्यादा सक्रिय है और इस क्षेत्र में घनी जनसंख्या है। मुख्यमंत्री ने सीमावर्ती क्षेत्र विकास कोष के आवंटन संबंधी मापदंड पंजाब के हक में न होने की बात कही और उन्होंने इस सम्बन्ध में त्रुटियां दूर करने के लिए मोदी से आग्रह किया।उन्होंने प्रधानमंत्री के समक्ष राज्य के किसानों की समस्याओं का ज़िक्र करते हुए तथा राष्ट्रीय कृषि ऋण योजना के लिए मांग दोहराते हुए राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत 100 प्रतिशत केंद्रीय कोष मुहैया करवाने का भी आग्रह किया। बैठक में मुख्यमंत्री ने मक्का, दाल और तेल बीजों जैसी वैकल्पिक फसलों की खरीद भी केंद्रीय एजेंसियों से कराये जाने की मांग भी दोहराई। गंगा कार्य योजना की तर्ज पर सतलुज और ब्यास नदियों की सफाई परियोजना के लिए सहायता की मांग करते हुए मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को अवगत कराया कि भूजल खराब होने और पानी के गिर रहे स्तर के कारण सूबे को घोर जल संकट का सामना करना पड़ रहा है।