सेहत को पोषण देता है जामुन

जामुन एक उत्तम फल है। ग्रीष्म ऋतु के अंतिम समय में तथा वर्षा ऋतु के आमगन के समय जामुन हमें प्राप्त होता है। जामुन एक अच्छा फल ही नहीं, बल्कि सेहत का पोषक भी है। यकृत के रोगों में जामुन का रस ‘लीवर एक्सट्रेक्ट’ की तरह काम 
करता है।
जामुन को तिल्ली और यकृत रोगों की अमोघ औषधि माना जाता है। लीवर एक्सट्रेक्ट जैसे अतिशय महंगे द्रव्य इंजेक्शन लेने की अपेक्षा अगर जामुन का रस लिया जाए तो वह विशेष उपयोगी सिद्ध होता है। यह यकृत को कार्यसक्षम बनाता है और पेट की पीड़ा को दूर करता है। जामुन का रस हृदय के लिए हितकर होता है। 
खूनी दस्त में जामुन की गुठली बारीक करके चार-चार ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम ताजे पानी के साथ लेते रहने पर बहुत लाभ होता है। स्वप्नदोष, बहुमूत्र आदि में भी जामुन का प्रयोग लाभकारी होता है। प्रमेह एवं मधुमेह के इलाज में भी जामुन का रस उत्तम औषधि है।जामुन अधिक खाने से वातदोष होता है। अत: खाली पेट इसका सेवन नहीं करना चाहिए। जामुन के सेवन से पहले और बाद में तीन घंटों तक दूध का सेवन नहीं करना चाहिए। सूजन की स्थिति में होने पर, प्रसूता की स्थिति में तथा उपवास करने वाले को जामुन का सेवन नहीं करना चाहिए। (स्वास्थ्य दर्पण)             —आनंद कुमार अनंत