भारतीय फिल्म निर्माताओं का हॉकी के प्रति बढ़ रहा है प्यार

चाहे आजकल भारत में क्रिकेट लोकप्रिय हो रहा है लेकिन हॉकी ऐसा खेल है, जिसमें खेल जगत में भारत को 20वीं सदी में विश्व मंच पर पहचान दिलवाई। आज भी खेलों को पेशेवर रंग देने वालों की नज़र में हॉकी के लिए भारत की सबसे बड़ी मंडी माना जाता है। इसी कारण आज के समय में हर वर्ष अंतर्राष्ट्रीय हॉकी संघ की ओर से भारत में एक विश्व स्तर का टूर्नामैंट करवाया जाता है। इसी तरह भारतीय फिल्म निर्माताओं में भी हॉकी के प्रति प्यार समय-समय पर जागता रहता है। चाहे हमारे देश के कई संचार साधनों में जिस तरह क्रिकेट को अधिक प्राथमिकता दी जाती है, उसी तरह ही हमारे सिनेमा में भी खेलों पर बनती फिल्मों में भी क्रिकेट ही भारी रही है। लेकिन पिछले कुछ समय के दौरान भारतीय लोगों की दुनिया में पहचान बनाने वाले खेल हॉकी को ही भारतीय फिल्म निर्माताओं ने अपनी फिल्मों का विषय वस्तु बनाया है। इस नई पीढ़ी को हॉकी से जोड़ने और हॉकी खिलाड़ियों को अधिक उत्साहित करने में सही सिद्ध हो रहा है। पहली बार 1975 में विश्व चैम्पियन बनीं भारतीय हॉकी टीम को बालीवुड के सितारों ने सम्मान दिया। इस आदर-सम्मान के तहत फिल्मी सितारों और हॉकी खिलाड़ियों के दौरान एक प्रदर्शनी मैच खेला गया, जिसमें उस समय की प्रथम श्रेणी की अभिनेत्री प्रवीण बॉवी जैसी हस्तियों ने भी हिस्सा लिया था। इस उपरांत भारतीय हॉकी टीम ने 1980 की मास्को ओलम्पिक्स में स्वर्ण पदक जीता और फिर यह गिरावट की ओर आ गया। इसी कारण फिल्मी सितारों ने भी हॉकी के साथ अपना प्यार कम कर लिया। पिछले कई दशक के दौरान 2007 में यशराज फिल्मज़ ने शिमित अमीन द्वारा निर्देशित हिन्दी फिल्म ‘चक्क दे इंडिया’ बनाई, जोकि एक भारतीय हॉकी कोच की देश के प्रति वफादारी पर आधारित थी। कबीर खान नाम के कोच की मुख्य भूमिका शाहरुख खान ने निभाई थी। कवीर खान भारतीय महिलाओं की हॉकी को नई बुलंदियों पर लेकर जाते हैं और हॉकी में मौजूद क्षेत्रवाद को इस फिल्म के जरिये बहुत ही बारीकी के साथ दर्शाया गया था। जयदीप सहानी की लिखी इस फिल्म में सुखविन्द्र सिंह के द्वारा गाया गया गीत ‘चक्क दे इंडिया’ आज भी हर एक खेल उत्सव में बार-बार बजाया जाता है। इस फिल्म ने भारतीय हॉकी में नई आत्मा डाल दी। विशेष तौर पर महिलाओं की हॉकी को बहुत उत्साहित किया। आधुनिक समय में भारतीय जूनियर हॉकी टीम के विश्व चैम्पियन बनने ‘सीनियर टीम के एशियन चैम्पियन बन गए और कई विश्व स्तरीय टूर्नामैंटों में प्रथम टीमों में शामिल होने से जहां खेल प्रेमियों का हॉकी के प्रति प्यार बढ़ा है। वहां भारतीय फिल्म निर्माताओं का भी फिर से हॉकी पर आधारित फिल्में बनाने की ओर चल पड़े हैं। आजकल प्रसिद्ध ड्रैग फलिक्कर संदीप सिंह पर आधारित हिन्दी फिल्म बन रही है। इस फिल्म का पहले नाम ‘फलिक्कर सिंह’ रखा गया था। फिर बदल कर ‘सूरमा’ कर दिया गया। अदाकार चित्रांगना सिंह के द्वारा बनाई  जा रही इस फिल्म में संदीप सिंह की भूमिका नामवर पंजाबी गायक और बालीवुड की स्थापिति की ओर बढ़ रहा नौजवान कलाकार दलजीत दोसांझ निभा रहा है। इस फिल्म की नायिका बालीवुड की प्रसिद्ध अदाकारा तापसी पन्नू है। इस फिल्म में संदीप सिंह के रेलगाड़ी से अचानक गोली लगने वाली घटना सहित उनकी उपलब्धियों तक पहुंचने के सफर को इस तरीके से दर्शाया जा रहा है, जो नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा स्रोत साबित होगा। इसके साथ-साथ बालीवुड के फिल्म निर्माता रीमा कागती की ओर से भारतीय हॉकी के शहंशाह बलबीर सिंह सीनियर  की जीवनी पर आधारित फिल्म ‘गोल्ड’ निभाई जा रही है। इसके साथ ही भारतीय हॉकी का हमेशा ही केन्द्र रहे पंजाब के फिल्म निर्माता भी हॉकी को अपने फिल्मों का विषय वस्तु बनाने की ओर चल पड़े हैं। भारतीय हॉकी की नर्सरी माने जाते जालन्धर शहर की आंचल में बसे गांव संसारपुर के हॉकी सितारों पर आधारित पंजाबी फिल्म ‘खिन्दोखुंडी’ रोहित जुगराज के द्वारा बनाई गई, जो इस वर्ष रिलीज़ हो चुकी है। संसारपुर गांव के 1920 से 1968 तक 12 खिलाड़ी भिन्न-भिन्न देशों की ओर से ओलम्पिक खेलों में खेले। इस गांव के 15 खिलाड़ी अलग-अलग ओलम्पिक खेलों में 8 स्वर्ण और 1 रजत पदक जीत चुके हैं और कई अंतर्राष्ट्रीय टूर्नामैंटों में इस गांव के पदक विजेताओं की गिनती काफी बड़ी है। यह सारे तथ्य ‘खिन्दोखुंडी’ फिल्म में दर्शाये गये हैं। इस फिल्म में नामवर गायक रणजीत बाबा नायक की भूमिका में रहे हैं। इसके साथ ही जूनियर विश्व चैम्पियन बनीं भारतीय हॉकी टीम के कप्तान हरजीत सिंह की प्रशंसनीय गाथा पर आधारित पंजाबी फिल्म ‘हरजीता’ रिलीज़ हो चुकी है। निक्क बहल और विजय कुमार अरोड़ा की टीम की ओर से बनाई गई इस फिल्म में हरजीत का किरदार गायक और नायक एमी विर्क ने निभाया है।