कैसे भेदें प्रवेश परीक्षा का चक्रव्यूह ?

प्रवेश परीक्षाएं हमारी सफलताओं और सपनों के बीच की  मजबूत दीवार हैं। कई बार हम अपनी मनचाही मंजिल इसलिए भी नहीं पाते क्योंकि हमें अपनी मनचाही मंजिल की तरफ  बढ़ने की बुनियादी पात्रता ही नहीं हासिल होती। दरअसल जब जगहें कम होती हैं और उन जगहों की उम्मीद करने वाले लोगों की संख्या बहुत ज्यादा होती है तो भारी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ता है। इसलिए आज की तारीख में किसी क्षेत्र में सफलता हासिल करने के पहले उस क्षेत्र में मुकाबला करने की पात्रता हासिल करना भी बड़ी बात हो गई है। क्योंकि अगर प्रवेश परीक्षाएं जटिल होंगी तो उन्हें पास करने वाले बुद्धिमान होंगे। इस तरह कम और महत्वपूर्ण जगहों के लिए बिना कोई बहुत कोशिश किये बिना भी योग्य उम्मीदवार हासिल हो जाते हैं। बहरहाल कोई भी प्रवेश परीक्षा पास करना सिर्फ  ज्ञान और समझ की बात ही नहीं होती बल्कि यह एक किस्म की कला भी होती है, जिसमें हमारा आत्मविश्वास और चीजों को देखने के प्रति हमारा नजरिया भी बराबर का हिस्सेदार होता है। इसलिए सिर्फ  रट्टू तोता बनकर प्रवेश परीक्षाएं पास नहीं की जा सकती। प्रवेश परीक्षाएं पास करने के लिए जितना पढ़ने की जरूरत होती है, उससे कहीं ज्यादा दिमाग को खुला और खाली रखकर चीजों पर नजर रखने की जरूरत होती है।वास्तव में परीक्षाएं हमारी समझदारी या विद्वता का पैमाना नहीं होती। कई बार तो ये सिर्फ हमारी सजगता और हाजिर जवाबी का नमूनाभर होती हैं। कोई भी एंट्रेंस एग्जाम फिर चाहे वो किसी बड़ी नौकरी के लिए होने वाला एग्जाम हो या किसी अच्छे संस्थान में नौकरी हासिल करने के लिए। इस सब में बहुत कठिन या आपकी विद्वता को उजागर करने वाले सवाल कभी नहीं पूछे जाते। इन परीक्षाओं में साधारण सवाल पूछे जाते हैं। यही वजह है कि परीक्षा हॉल से निकलने के बाद ज्यादातर परीक्षार्थी यही चर्चा करते मिलते हैं कि वे तो बिना मतलब ही परेशान थे परीक्षा तो बहुत आसान थी लेकिन तब तक वे एक बड़ी गड़बड़ यह कर चुके होते हैं कि कठिन सवालों को पढ़ने और याद करने के फेर में सरल सवालों को छोड़े रहे होते हैं जिसके कारण सरल सवालों के जवाब देने के बावजूद वे कंफ्यूज्ड होते हैं। कहने का मतलब यह है कि कई बार ऐसा भी देखने को मिलता है कि बहुत पढ़ाकू लड़के एंट्रेंस एग्जाम क्लियर नहीं कर पाते। जबकि ऐसे छात्र बेहतर प्रदर्शन कर लेते हैं, जिन्होंने बहुत ज्यादा पढ़ाई नहीं की होती है। क्योंकि कई बार प्रवेश परीक्षाओं के पहले बहुत ज्यादा पढ़ लेने वाले उम्मीदवार एन प्रवेश परीक्षा में कन्फ्यूज हो जाते हैं। इसलिए एंट्रेंस एग्ज़ाम आपके ज्ञान और समझ की परख से कहीं ज्यादा तनाव से निपटने की कला और आपके चौंकन्नेपन को प्रदर्शित करती है। विद्वानों के मुताबिक-आमतौर पर एंट्रेंस एग्ज़ाम में आने वाले सवाल छोटी कक्षाओं के पढ़े गये पाठ्यक्रमों पर आधारित होते हैं। इसलिए कन्फ्यूज न हों और सरल सवाल देखकर बहुत विस्तार से उसका जवाब देने की कोशिश न करें। विशेषज्ञों की राय है कि अच्छा और सटीक जवाब देने के लिए सवाल को सिर्फ  एक बार सरसरी निगाह से ही न पढ़ें बल्कि कई बार और ध्यान से पढ़ें। इसके बाद सिर्फ  उतना ही जवाब दें जितना पूछा गया हो।-जब गणित या विज्ञान के समीकरण हल करने हों या ऐसे सवालों के जवाब देने हों जिनमें फार्मूलों का इस्तेमाल होना हो, तो जवाब लिखने के पहले रफ  पेपर पर संकेत रूप में उस फार्मूले को लिख लें जिससे कि सवाल हल करते हुए ऐन वक्त पर फार्मूला स्मृति से गायब न हो जाए और उसे याद करने में आपका काफी समय न जाया हो। -परीक्षा के दिनों में ज्यादा पढ़ने से साफ  तौर पर बचें। याद रखें अंतिम दिनों में पढ़कर आप कोई बड़ा एग्ज़ाम पास नहीं कर सकते। दरअसल एग्ज़ाम आपकी समझ और स्मृति में बसी जानकारियों की बदौलत ही पास किए जाते हैं और ये दोनों चीजें़ अचानक नहीं हासिल की जा सकतीं। इनमें एक प्रक्रिया और अभ्यास लगता है। इसलिए अंतिम दिनों में सब कुछ पढ़कर जान लेने की आम गलती से बचें। -सवालों के जवाब लिखते समय सिर्फ  इबारत या इमला लिखने की जगह अगर रेखाचित्रों का या तालिका का इस्तेमाल किया जाए, तो वह जवाब न सिर्फ ज्यादा स्पष्ट अभिव्यक्ति देता है बल्कि ऐसे जवाब परीक्षकों को आकर्षित भी ज्यादा करते हैं। इससे लगातार लिखने की एकरसता भी टूटती है और सवाल के जवाब को बेहतर ढंग से भी व्यक्त किया जाता है। वैसे भी कहा गया है हजार बातें एक चित्र कह देता है।

—कीर्तिशेखर