जी.एस.टी.-रिफंड, रिटर्नों के झंझट में ही फंसे रहे उद्योगपति

जालन्धर : 1 जुलाई 2017 को देशभर में लागू हुई नई टैक्स प्रणाली जी.एस.टी. (सामान व सेवा कर) से तो राज्य के उद्योगपति, कारोबारी सारा साल न केवल रिटर्नें भरने की लम्बी कार्रवाई, बल्कि विभाग की ओर निकलती अतिरिक्त राशि वाली जी.एस.टी. या वैट रिफंड लेने के झंझट में ही फंसे रहे। 1 जुलाई को जी.एस.टी. के एक वर्ष पूरा होने से कुछ महीने पहले ही चाहे केन्द्र सरकार द्वारा जी.एस.टी. रिफंड जारी करने की प्रक्रिया में तेज़ी लाई गई है परंतु पंजाब सरकार द्वारा मिलने वाले वैट रिफंड को लेने के लिए अभी भी उद्योगपति, कारोबारी तरस रहे हैं। रिफंड उद्योगपतियों, कारोबारियों के लिए इसलिए भी अहमियत रखता है, क्योंकि उनकी अतिरिक्त पूंजी विभाग की ओर ही रिफंड के रूप में पड़ी होती है और यदि यह रिफंड की राशि समय पर न मिले तो कारोबार में इसका बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। पंजाब में बड़ी संख्या में इंजीनियरिंग के सामान सहित अन्य भी कई अहम सामान का निर्यात करने वाले उद्योगपति मौजूद हैं परंतु उन्हें भी जी.एस.टी. का रिफंड लेने के लिए भारी परेशानी पेश आई। इसका एक कारण तो यह भी बताया जाता था कि पहली बार नई प्रणाली के तहत दाखिल होने वाली रिटर्नें व ऑनलाइन रिकार्ड के आंकड़ों में अंतर होने के कारण कईयों के रिफंड फंस गए थे। अब कुछ महीने पहले ही निर्यातकों को अपने रिफंड मिलने शुरू हुए थे।शुरुआती दौर पर डीलर रहे परेशान जी.एस.टी. को लागू करते समय इसे आसान कर प्रणाली कहकर लागू किया गया था परंतु जी.एस.टी. लागू होने के बाद तो राज्य के कई डीलरों को इसके बिल काटने बारे ही समझ नहीं आई, क्योंकि जी.एस.टी. पहली नई कर प्रणाली थी जिसका सारा काम ऑनलाइन ही किया गया था। कई डीलरों को पहले बिल काटते समय तो परेशानी हुई परंतु पहले-पहले जी.एस.टी. की वैबसाइट भी ज्यादा दबाव नहीं झेल सकी और ऑनलाइन बिल तैयार करने के लिए पहले आती मुश्किलों से तो काफी समय तक तो औद्योगिक इकाइयों के सामान भी फैक्टरियों में पड़े रहे। इस प्रणाली के ठीक होने के बाद ही लोगों को राहत मिलनी शुरू हुई है परंतु अधिकतर डीलर 50 हज़ार की राशि की सीमा बढ़ाकर 1 लाख तक के सामान के ऑनलाइन बिल तैयार करने की मंजूरी देने की मांग कर रहे हैं। लोगों के इसलिए भी रिफंड फंस गए थे, क्योंकि पहली बार इस प्रणाली के तहत रिटर्नें भरने वालों को जानकारी नहीं थी और इस प्रकार जानकारी पूरी न होने के कारण पहले-पहले रिफंड रुक गए थे। केन्द्रीय जी.एस.टी. का हिस्सा तो अब कुछ समय से मिलना शुरू हो गया है।उद्योगपतियों को करना पड़ा मंदी का सामना जी.एस.टी. लागू होने के बाद तो जब उद्योगपतियों का रिफंड पहले कई महीने विभाग की ओर फंस गया था और उद्योगपतियों को बैंकों से पहले कज़र् मिलने में बाधाएं आ रही थीं परंतु कईयों को ज्यादा दर पर कज़र् लेने पड़े थे। कई बैंकों में औद्योगिक फाइनांस करने का काम इसलिए भी प्रभावित हुए क्योंकि बैंकों के एन.पी.ए. काफी होने के कारण कज़र्ों को देने में भी परेशानी रही परंतु पंजाब के जी.एस.टी. विभाग द्वारा चाहे 300 करोड़ का रिफंड देने का वादा किया गया है परंतु अभी उद्योगपति इसका इंतज़ार कर रहे हैं।छोटे कारोबारी हुए ज्यादा प्रभावित पंजाब में तैयार सामान लेकर आगे बेचने का काम करने वाले छोटे कारोबारियों की संख्या बहुत ज्यादा है जिन्हें ट्रेडर भी कहा जाता है और वह कमिशन पर सामान आगे बेचते हैं। जी.एस.टी. में तो वैसे 20 लाख से कम वाले को चाहे रजिस्ट्रेशन करवाने की ज़रूरत नहीं है परंतु कमिशन के आधार पर काम करने वालों को शुरू से ही जी.एस.टी. के दायरे में ले लिया गया है जबकि वह केवल आयोग के आधार पर काम करते हैं। ट्रेडर या छोटे कारोबारियों का जी.एस.टी. ने ज्यादा नुक्सान किया है। पहले वर्ष में तो कई डीलर तो ऑनलाइन हुई इस कर प्रणाली के तहत काम करने के आदी नहीं थे और इस प्रणाली में शामिल होने के लिए उन्हें बहुत समय लग गया। छोटे डीलरों को इस कर प्रणाली की ज्यादा जानकारी न होने का असर भी कारोबार पर पड़ा है, बल्कि जी.एस.टी. विभाग को भी इस बारे और प्रशिक्षण देने की ज़रूरत है, क्योंकि अभी भी कर प्रणाली पेचीदा है।जी.एस.टी. की दरों का अभी भी गतिरोध जारी जी.एस.टी. लागू हुए को एक वर्ष हो गया है परंतु कई सामान के ऊपर तो दरों को लेकर अभी भी गतिरोध चल रहा है। चप्पल के उद्योगपति भी दरों को लेकर काफी समय से सुधार करने की मांग कर रहे हैं क्योंकि तैयार हवाई चप्पल के ऊपर यदि 5 फीसदी जी.एस.टी. है परंतु सोल व अन्य सामान अलग लेने पर उसके ऊपर 18 फीसदी जी.एस.टी. है जिस कारण उद्योगपतियों को रिफंड लेने में, बल्कि औद्योगिक इकाइयों पर इसका असर पड़ा है। खेल के सामान को वैसे शिक्षा के साथ ही जोड़ा जाता है परंतु इसके ऊपर 12 व 18 फीसदी जी.एस.टी. दर है, बल्कि फिटनैस के सामान के ऊपर भी 18 फीसदी दर रखी गई है। इस प्रकार कई सामान के ऊपर जी.एस.टी. की दरों का गतिरोध अभी तक चल रहा है।300 बार हुआ जी.एस.टी. में संशोधन जी.एस.टी. को लागू करते समय केन्द्र द्वारा यह विश्वास दिलाया गया था कि यह बहुत आसान होगा परंतु शुरुआती दौर पर नई कर प्रणाली लागू होने के बाद अब तक जी.एस.टी. में 300 के करीब संशोधन हो चुके हैं जोकि अब तक जारी हैं। पंजाब में जी.एस.टी. के लागू होने के बाद यह भी आंकड़े सामने आए थे कि 9 माह में पंजाब में जी.एस.टी. की वसूली में 37 फीसदी गिरावट आई है। इसका एक कारण तो पंजाब में औद्योगिक इकाईयों के लिए उचित माहौल न होने के कारण कई इकाइयां दूसरे राज्यों में चली गई हैं। कर मामलों के माहिरों का तो कहना है कि आगामी 6 माह में ही पंजाब में कारोबार सामान्य होने की उम्मीद है। वैसे केन्द्र द्वारा अब जी.एस.टी. में और भी संशोधन किया जा रहा है जिसमें अब वार्षिक एक और रिटर्न भरनी होगी और इसके लिए तैयारियां की जा रही हैं। रिटर्नें भरने का काम और आसान किया जा रहा है।