किसानों के लिए राहत

केन्द्र सरकार की ओर से ़खऱीफ की फसलों के समर्थन मूल्य में की गई भारी वृद्धि की घोषणा ने किसान समुदाय में कुछ सीमा तक संतुष्टि पैदा की है। इस समय धान ़खरीफ की फसलों में मुख्य रूप से बोया जाता है। केन्द्र सरकार ने कुछ महीने पहले यह घोषणा की थी कि किसानों को उनकी लागत में 50 प्रतिशत मुनाफा जमा करके समर्थन मूल्य दिया जाएगा। इस बार केन्द्र सरकार ने ़खऱीफ की फसलों के समर्थन मूल्य में भारी वृद्धि की है। इस प्रकार धान के समर्थन मूल्य में 200 रुपए प्रति क्ंिवटल बढ़ाये जाने की घोषणा से अब यह 1550 रुपए से बढ़ कर 1750 रुपए प्रति क्िवटल हो जाएगा। इसके साथ ही दालों, सोयाबीन और मूंगफली के समर्थन मूल्य में भी काफी वृद्धि की गई है। सरकार ने यह भी कहा है कि उत्पादन का लागत मूल्य आंकते समय बीज, खाद, कीटनाशक, मजदूरी एवं मशीनरी आदि सभी पक्ष शामिल किए गए हैं। गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा  है कि इससे सरकार पर 15 हज़ार करोड़ रुपए का बोझ बढ़ेगा, परन्तु सरकार का यह पूरा यत्न होगा कि समर्थन मूल्य के बढ़ने से खपतकारों के लिए कीमतों में वृद्धि न हो। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस संबंध में प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा है कि उन्हें खुशी है कि इस बार समर्थन मूल्य में भारी वृद्धि की गई है। इस प्रकार सरकार ने इस क्षेत्र में किए गए वायदों की पूर्ति की ओर एक बड़ा पग उठाया है। उन्होंने यह भी इरादा ज़ाहिर किया है कि आगामी समय में इस दिशा में निरन्तर पग उठाये जाते रहेंगे। इस वर्ष के बजट में भी केन्द्रीय वित्त मंत्री की ओर से ऐसा ही वायदा किया गया था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पिछले कई वर्षों से निरन्तर यह भी कहते रहे हैं कि आगामी वर्षों अर्थात् 2022 तक किसानों की आय दोगुना की जाएगी। इस प्रकार के क्रियात्मक पगों से कृषि क्षेत्र में उत्साह पैदा हो सकता है। इस क्षेत्र की स्वस्थ आर्थिकता देश के लिए लाभकारी सिद्ध हो सकती है क्योंकि विगत लम्बी अवधि से जहां किसानों के बड़े वर्ग की ओर से फसलों के समर्थन मूल्य को लेकर भारी असंतोष व्यक्त किया जा रहा था, वहीं बड़ी संख्या में किसानों के कज़र् के बोझ तले दबे होने के कारण उनकी ओर से आत्म हत्याएं भी की जा रही थीं। समर्थन मूल्य बढ़ाने के साथ सरकार के लिए यह देखना भी आवश्यक होगा कि किसानों की फसल का सही ढंग से मंडीकरण भी हो। विगत महीनों में किसानों को गन्ने की फसल की अदायगी को लेकर भारी संकट पैदा हुआ था जिसके लिए केन्द्र सरकार ने 8 हज़ार करोड़ रुपए की राहत चीनी मिलों को देने की घोषणा की थी। चाहे सरकार के आलोचकों की ओर से यह कहा जा रहा है कि उसने समर्थन मूल्य में इतनी बड़ी वृद्धि राजस्थान, मध्य प्रदेश एवं कुछ अन्य राज्यों की विधानसभाओं के इस वर्ष होने वाले चुनावों एवं आगामी वर्ष होने वाले लोकसभा चुनावों को दृष्टिगत रखते हुए ही की है। चाहे सरकार की ऐसी नीयत एवं नीति हो भी सकती है, परन्तु यदि समय की सरकारें कृषि क्षेत्र की ओर इसी प्रकार ध्यान देते हुए किसानों की आर्थिकता को मज़बूत बनाने का यत्न करें तो देश में इससे भारी परिवर्तन देखा जा सकता है। इसका श्रेय देश के किसानों को जाता है कि उन्होंने इतनी बड़ी आबादी वाले देश को अनाज के मामले में आत्म-निर्भर बना दिया है। आगामी समय में नई तकनीकों का विस्तार होने एवं इस क्षेत्र से सम्बद्ध उद्योगों को उत्साहित करने के लिए भी एक बड़ा परिवर्तन आ सकता है क्योंकि आज भी देश की अधिकतर आबादी का दारोमदार कृषि पर ही माना जा रहा है। नि:संदेह इस क्षेत्र में अभी बहुत कुछ किए जाने की आवश्यकता है, जिसमें अनाज की सम्भाल एवं फसलों की विभिन्नता को लाया जाना भी शामिल है। यह सब कुछ समूचे रूप में एक बड़ी योजनाबंदी के तहत किये जाने से ही सम्भव हो सकता है। सरकार की ओर से किए गए इस बड़े फैसले से आगामी समय में सार्थक प्रभाव पड़ने की सम्भावना प्रतीत होती है। 
-बरजिन्दर सिंह हमदर्द