भव्य मंच है सजा हुआ
परियों के परिधानों में।
फूलों के बागानों में।
किस्मत से ही हम देखो।
आए इन उद्यानों में।।
बापू, तिलक, भगत सिंह ।
संग में चाचा नेहरू हैं।
कहीं तिरंगा है ऊंचा।
वीरों के आह्वानों में।।
चूहा,बिल्ली, कुत्ता, हाथी।
खेल निराले खेल रहे।
भिन्न-भिन्न किरदार निभाते।
रंग-बिरंगे परिधानों में।।
ऊंचा खड़ा हिमालय देखो।
आजादी की कथा सुनाए।
नत-मस्तक हो जाएं सब
वीरों के बलिदानों में।।
अलग प्रान्त, जुदा भाषा।
लिखते भारत की परिभाषा।
किसान भी हैं यहाँ देखो।
थाली के खाद्यानों में।।
भव्य मंच है सजा हुआ।
नन्हें-मन्ने खेल दिखाते।
मम्मी-पापा भी आये हैं।
बच्चों के स्कूलों में।।
-आरती लोहनी