सेना में सिखों की बहादुरी को भुलाया नहीं जा सकता : रावत
अमृतसर, 8 जुलाई (राजेश कुमार) : सेना प्रमुख बिपिन रावत आज अमृतसर पहुंचे। यहां पर वह अपने परिवार सहित श्री हरिमंदिर साहिब में नतमस्तक हुए। सेना प्रमुख बिपिन रावत एक साधारण व्यक्ति की तरह गुरु के घर पहुंचे। इस मौके पर उनके साथ उनकी पत्नी भी मौजूद थी। यहां पर उन्होंने गुरु की बाणी का श्रवण किया और गुरु घर माथा टेककर अरदास भी की। उन्होंने श्री गुरु रामदास लंगर हाल में पंगत में बैठकर पत्नी सहित लंगर भी ग्रहण किया। इसके बाद सूचना केन्द्र में पत्रकारों के साथ बातचीत करते हुए सेना प्रमुख बिपिन रावत ने कहा कि आज उनको इस रूहानीयत के केन्द्र में आकर असीम शांति की अनुभूति हुई है। एक सवाल के जवाब में कहा कि कश्मीर में आतंकवाद पर लगाव कंसने के लिए सेना पूरी कोशिश कर रही है वहीं इसके साथ पत्थरबाजों पर कार्यवाही की रणनीति चल रही है। कश्मीर में बिगड़ने हालातों के पीछे पाकिस्तान का हाथ होने की हामी भरते हुए सेना प्रमुख ने कहा कि इस मुद्दे पर सरकार और सेना पूरी मेहनत से कार्य कर रही है और वहां से आतंकवाद को जड़ से खत्म करने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी। भारतीय सेना में सिखों के योगदान की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि सेना में सिखों की बहादुरी को कभी भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने कहा कि सिख सेना का अभिन्न अंग है। इस दौरान वे 1984 में ब्ल्यू स्टार की सेना द्वारा की गई कार्यवाही संबंधी पूछे सवाल को टालते रहे। इससे पहले उन्होंने सेना के अधिकारियों के साथ मुलाकात कर सुरक्षा इंतजामों का जायज़ा भी लिया। इस मौके पर शिरोमणि कमेटी प्रधान गोबिंद सिंह लौंगोवाल, मुख्य सचिव डा. रू प सिंह सहित अन्य सदस्यों द्वारा सेना प्रमुख बिपिन रावत व उनकी पत्नी को स्मृति चिन्ह व सिरोपा भेंटकर सम्मानित किया गया।