नेत्रहीन होते हुए भी नहीं रुके बढ़ते कदम गम्भीर सिंह चौहान के

‘मेरी आंखें चाहे बहुत दूर देख नहीं सकती, लेकिन ऐसा कभी भी नहीं हुआ कि मेरे बढ़ते कदम कभी रुके हों और न ही मेरे कदमों ने कभी रुकना सीखा है’ यह कहना है नेत्रहीन विद्यार्थी खिलाड़ी गम्भीर सिंह चौहान का, जिन्होंने पढ़ाई के साथ-साथ खेलों के क्षेत्र में भी बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं। गम्भीर सिंह चौहान का जन्म देव भूमि के रूप में जाने जाते  उत्तराखंड में पहाड़ी पर बसे छोटे से कस्बे चकराता में पिता मोहर सिंह के घर माता सुमित्रा देवी की कोख से एक अप्रैल, 1998 को हुआ। गम्भीर सिंह चौहान को जन्म से ही बहुत कम दिखाई देता था। माता-पिता ने उपचार के लिए बहुत भाग दौड़ की लेकिन गम्भीर ठीक न हो  सके। अपने बाल बच्चों की ज़िन्दगी को आगे चलाने के लिए माता-पिता ने देहरादून के नेत्रहीन स्कूल एन.आई.वी.एच. स्कूल में दाखिल करवा दिया, जहां आज गम्भीर 11वीं कक्षा के विद्यार्थी हैं।
नेत्रहीन स्कूल में ही गम्भीर ने अपना बचपन सम्भाला और नेत्रहीन स्कूल उनके लिए ऐसा वरदान साबित हुआ कि गम्भीर चौहान को आज भी यह एहसास नहीं है कि वह नेत्रहीन हैं और वह हर क्षेत्र में ही आम विद्यार्थियों की तरह आगे बढ़ रहे हैं। खेलों के क्षेत्र में उनको स्कूल के खेल अध्यापक और कोच नरेश सिंह नियाल लेकर आए और गर्व से कहा जा सकता है कि गम्भीर सिंह चौहान अब तक 7 राज्यों में अपनी खेल कला के जौहर दिखा चुके हैं और वर्ष 2015 से लेकर अब तक गम्भीर सिंह चौहान अपने स्कूल की नेत्रहीन फुटबॉल टीम के माने हुए खिलाड़ी हैं। वर्ष 2018 में हुई नैशनल ब्लाइंड फुटबॉल चैम्पियनशिप में उनको बेस्ट गोलकीपर का अवार्ड भी मिला। वर्ष 2018 में ही दिल्ली में इब्सा की ओर से करवाए पैरा एथलैटिक खेलों में उन्होंने जैवलिन थ्रो में स्वर्ण पदक जीता। गम्भीर चौहान नैशनल स्तर पर नेत्रहीन क्रिकेट टीम में खेलते हैं और उनको तीन बार मैन ऑफ द मैच भी घोषित किया गया। हाल ही में गम्भीर सिंह चौहान भारतीय ब्लाइंड क्रिकेट टीम के कैप्टन अजय रैड्डी के साथ बैंगलुरू में क्रिकेट कैंप भी लगाकर आए हैं और वह जल्द ही भारतीय ब्लाइंड क्रिकेट टीम का हिस्सा होंगे। यही बस नहीं, गम्भीर सिंह चौहान ने वर्ष 2015 और 2016 में देहरादून में 10 किलोमीटर की मैराथन दौड़ भी दौड़ी है। गम्भीर सिंह चौहान की उपलब्धियों पर गर्व करते हुए उत्तराखंड की सरकार उनको 50 हज़ार की नकद राशि से सम्मानित कर चुकी है। पाठकों की जानकारी के लिए यह बता दूं कि गम्भीर को बहुत ही कम यानि पार्सल बी.-2 कैटागरी है और उनको सिर्फ 15 मीटर तक दिखाई देता है और उसके आगे उनकी आंखों के सामने बिल्कुल अंधेरा होता है। लेकिन गम्भीर बड़े गर्व से कहते हैं कि ‘कौन कहता है कि नेत्रहीनों में दम नहीं, हम नेत्रहीन हुए तो क्या हुआ हम भी किसी से कम नहीं।’ गम्भीर सिंह चौहान ने बताया कि चाहे उनको बहुत कम दिखाई देता है। लेकिन जब वह खेलते हैं और तालियों की गूंज उनके कानों में सुनाई देती है और हज़ारों आंखों की रोशनी उनको शरसार कर जाती है। गम्भीर सिंह चौहान के लिए मेरी शुभ कामनाएं।

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