मुगल साम्राज्य के संस्थापक बाबर

जन्म : सन् 1483, मृत्यु : सन् 1530 बाबर का असली नाम जहीरुद्दीन मोहम्मद था। बाबर शब्द का अर्थ ‘सिंह’ है और बाबर इतिहास में इसी नाम से प्रसिद्ध है। बाबर तैमूरलंग और चंगेज खां जैसे बहादुर मंगोल सरदारों के वंशज थे, जिनकी क्रूरता और वीरता के अनेक उदाहरण इतिहास के पृष्ठों में भरे पड़े हैं। परंतु बाबर अपने इन वंशजों से कुछ भिन्न थे। इनके पूर्वज जहां दिल्ली तक पहुंचे और यहां मारकाट करने के बाद लूट का माल लेकर वापिस चले गये, वहीं बाबर हिंदुस्तान के ही होकर रह गये। उन्होंने अपने-आपको विदेशी नहीं माना। उन्होंने पानीपत की लड़ाई में दिल्ली के लोधी सुल्तान को भारी शिकस्त दी और उसके बाद दिल्ली के राजसिंहासन पर कब्जा करके उसके आसपास के प्रदेशों को भी जीतकर अपने साम्राज्य का हिस्सा बनाया। इस प्रकार भारत में मुगल सल्तनत की आधारशिला रखी। भारत में उस समय अनेक छोटे-छोटे राजाओं, सामंतों और जागीरदारों की कमी न थी। बाबर ने बहुत बड़े भाग को जीतकर, भारत में एकता स्थापित करने का प्रयत्न किया और संभवत: यह बहुत अरसे के बाद भारत को एक सूत्र में बांधने का प्रयत्न था। इस प्रकार बाबर 1527 तक भारत के बहुत बड़े भाग पर अपना अधिकार जमा चुके थे। बाबर की विशेषता यह थी कि उन्होंने यहीं का होकर रहने में अपनी भलाई समझी और इस प्रकार मुगल-साम्राज्य की स्थापना के लिए महत्वपूर्ण कार्य किया। बाबर ने अपने राज्य की स्थापना के बाद लूट-खसोट के बदले विभिन्न प्रदेशों को संगठित करने का कार्य किया। वह बहुत सुरुचिपूर्ण व्यक्ति थे। उनके प्रभाव से भारत की नष्टप्राय कलाओं का विकास फि र से प्रारंभ हुआ। उन्होंने अपने संस्मरण भी लिखे।

प्रस्तुति-फ्यूचर मीडिया नेटवर्क