भारत विरोधी तत्वों से सख्ती से निपटा जाए


विभाजन अर्थात् 1947 के पश्चात् जितनी समस्याएं कश्मीर के बारे में आईं, वो कश्मीर का अभिन्न अंग बन गईं। यह कैसे और क्यों हुआ और होता है? इसका सारा दोष भारत सरकार और संसद में मोटी-मोटी पगार पाने वाले सांसदों पर जाता है। वह कश्मीर को ‘समस्या की जड़’ मान कर चलने के आदी हो गए हैं।  हमारे देश की सोचनीय दशा का चिन्तन करना होगा कि हम कश्मीरी शरारती तत्वों पर कैसे लगाम लगाएं। भारतीय सैनिक जब पाकिस्तान द्वारा भेजे गए आतंकवादियों को पकड़ने के लिए पीछा करने में भी जी-जान की बाज़ी लगा देते हैं। उनको ये कश्मीरी पत्थरबाज़ रोकने की कोशिश  करते हैं। यह शरारती लड़के जिसमें 10 साल के बच्चे और उससे कम तक लड़के बड़े लड़कों के साथ हमारे जवानों को पत्थर मारते हैं, ताकि पाकिस्तानी हमलावर बच कर निकलने में कामयाब हो जाएं। कैसी घिनौनी साज़िश में शामिल दिखाई देते हैं। 
मैं हैरान हूं कि यदि हमारी सेना कोई सख्त कदम उठाने की बात करती है तो विरोधी पार्टियां उसकी निंदा क्यों करती हैं। जब तक कश्मीर पर कश्मीरी रूप में पाकिस्तानी रहते हैं, सारी पार्टियां एक स्वर पर नहीं बोलती तब तक हमारी वर्तमान सरकार का सफल होना सम्भव नहीं दिखाई देता। कश्मीरी शैतान जो भारत के विरुद्ध पत्थरबाज़ी करते हैं, सरकार को इनके खिलाफ सख्ती का आदेश सेना को देना चाहिए। जब तक हम भारत विरोधी तत्वों को पाकिस्तान का रास्ता नहीं दिखाते तब तक कश्मीर में शांति बहाली नहीं हो सकती।
-राम प्रकाश शर्मा