फुटबॉल: कड़वी याद बना विश्व कप का स़फर


वर्ष 2018 में विश्व कप में महारथी, जर्मनी, अर्जेन्टीना, पुर्तगाल और स्पेन जैसी टीमों की विदाई जहां दिग्गज हुए चित जैसी सुर्खियां बने, वहीं इन टीमों में खेल रहे स्टार खिलाड़ियों के लिए यह टूर्नामैंट कड़वी याद बनकर रहेगा। इन खिलाड़ियों को अब अगले 4 वर्ष तक इंतजार करना पड़ेगा, लेकिन इनमें से ज्यादातर खिलाड़ियों का लगभग यह आखिरी विश्व कप होगा, लेकिन ऐसा पहली बार नहीं हुआ। बल्कि विश्व कप फुटबॉल के इतिहास पर नज़र डालें तो ऐसे कई खिलाड़ी हैं, जो फुटबॉल के शिखर पर रहे, लेकिन विश्व कप न चूम सके। आओ, रू-ब-रू होते हैं ऐसे ही विश्व कप इतिहास के कुछ बदकिस्मत सितारों के जो प्रतिभा के धनी होने के बावजूद विश्व कप की खिताबी उपलब्धि अपने नाम के साथ नहीं जोड़ सके।
क्रिस्टियानो रोनाल्डो : रियल मैड्रिड के नाम अनगिनत खिताब दर्ज करने वाले फुटबॉल के महान खिलाड़ी रोनाल्डो के लिए विश्व कप का सफर हमेशा के लिए एक कड़वी याद बन कर रहेगा। रिकार्ड बेलोन डियूर खिताब विजेता फुटबॉल के इस जादूगर की किस्मत में विश्व कप की विजेता ट्राफी कभी न जुड़ सकी। कतर में होने वाले 2022 विश्व कप का यह खिलाड़ी 37 वर्षों का हो जाएगा। इस बार पुर्तगाल की टीम उरुग्वे से 2-1 से हार कर रूसी सरजमीं से रुखसत हो गई।
लियुनल मैसी : अर्जेन्टीना का स्टार मैसी अपने खेल करियर में महान उपलब्धियों के बावजूद विश्व खिताब अपने नाम से न जोड़ सका। 2014 में हार कर उप-विजेता के तौर पर संतोष करना पड़ा। सन् 2006, 2010 और इस बार 2018 में नाक आऊट के दौर में टीम की वापसी शायद मैसी के सपने चकनाचूर करने जैसी रही। अगले विश्व कप तक मैसी 35 वर्ष के हो जाएंगे। क्या वह फिट रह सकेंगे, यह तो वक्त ही बताएगा।
जोहन क्रूफ : बतौर खिलाड़ी कलात्मक फुटबॉल की शिखर, खूबसूरत, संतुलन, बेहतरीन पास, स्टीक निशानेबाज़ी के बावजूद नीदरलैंड की टीम का यह सेनापति विश्व विजेता वाला पदक न जीत सका। 1974 में टूर्नामैंट का वह बैस्ट खिलाड़ी चुना गया। लेकिन मेज़बान जर्मनी के हाथों फाइनल में 2-1 से पिछड़ना क्रूफ के लिए ज़िन्दगी भर का दुख बन गया। बतौर कोच और खिलाड़ी अपनी टीम एजैक्स और बार्सीलोना के लिए अनगिनत खिताब जीते। 
उलवीर काहन : अपने करियर में 86 अंतर्राष्ट्रीय मैच खेलने वाला जर्मनी का महान गोलकीपर उलीवर काहन विश्व कप जीतने की हसरत पूरी न कर सके। वर्ष 2002 में उनकी गलती से ब्राज़ील 2-0 से विजेता रहा। क्लब बंदीशलीगा में यूरोपियन चैम्पियन और चैम्पियन लीग जैसे प्रतिष्ठित मुकाबलों में अहम भूमिका अदा करने वाले बेहतरीन गोलकीपर काहन कभी विश्व चैम्पियन न बन सके।
पाउले मालदीनी : इटालियन टीम का चमकता सितारा, सीरीज ‘ए’ में सात और चैम्पियन लीग में पांच खिताब विजेता पाऊले मालदीनी ए.सी. मिलान टीम का रंग का टीका रहा लेकिन वह विश्व कप का खिताब हासिल न कर सका। अपने 20 वर्ष के करियर में महान डिफैंडर के तौर पर जाने जाते इस खिलाड़ी के लिए शायद वह दुखद पल जब 1994 में अमरीका में हुए विश्व कप में उनकी टीम ब्राज़ील से फाइनल में हार गई थी। खैर, किसी बड़े आयोजन के बाद यह आम होता है, किसी नए सितारे का उभरना और किसी दिग्गज का अर्श से फर्श पर आना।