भारतीय नेत्रहीन फुटबॉल टीम के कप्तानर् पंकज राणा


पंकज राणा का कहना है कि ‘खुली आंखों ने उतना नहीं दिखाना था जितने सपने और दुनिया बंद आंखों ने दिखा दिए।’ पंकज राणा पूरी तरह से नेत्रहीन हैं, लेकिन उनकी बंद आंखें होने के बावजूद उन्होंने जो उपलब्धियां हासिल की हैं, उन पर पूरे भारत देश को गर्व है। पंकज राणा का जन्म 12 फरवरी, 1999 में देवताओं की भूमि के तौर पर जाने जाते उत्तराखंड के ज़िला उत्तराकाशी भनसारी गांव में एक छोटे-से किसान कर्म सिंह राणा के घर माता गुड्डी राणा की कोख से हुआ। परिवार में दो बेटे और तीन बेटियों में से पंकज राणा एक हैं। पंकज राणा ने बचपन की दहलीज़ लांघ कर अभी प्राथमिक शिक्षा में कदम रखा था, लेकिन शायद परमात्मा को कुछ और ही मंजूर था कि जिन रंगों को पंकज अभी पहचानने की कोशिश ही कर रहे थे कि उनकी छोटी-सी ज़िन्दगी में आई दुर्घटना ने उनका इन्द्रधनुष छीन लिया। हुआ यह कि आंखों में कोई गलत दवाई डाले जाने से उनकी आंखों की रोशनी चली गई और उनका आने वाला रंगला संसार हमेशा के लिए अंधेरे में डूब गया। पंकज ही नहीं, बल्कि पूरे परिवार पर ही अंधेरे के बादल छा गए।
थोड़ा समय बीता तो पंकज की ज़िन्दगी को आगे बढ़ाने के लिए उनको प्राथमिक शिक्षा के लिए विजय पब्लिक स्कूल में दाखिल करवा दिया, जहां सिर्फ नेत्रहीन बच्चे ही पढ़ते थे और उस स्कूल में से उन्होंने आठवीं तक की शिक्षा प्राप्त कर ली और उच्च शिक्षा के लिए उनका दाखिला राजधानी देहरादून में नेत्रहीनों के प्रसिद्ध स्कूल एन.आई.वी.एच. स्कूल में हो गया, जहां पढ़ाई के साथ-साथ उन्होंने खेलों में भी हिस्सा लेना शुरू किया और उसी स्कूल में पढ़ते हुए उन्होंने एथलैटिक और क्रिकेट में राष्ट्रीय स्तर तक उपलब्धियां हासिल कीं। वर्ष 2015 में उसी स्कूल में कोच श्री नरेश सिंह नियाल आए, जिन्होंने पंकज के अंदर खेल कला की प्रतिभा देखी और उन्होंने अपनी देख-रेख में पंकज को तराशना शुरू कर दिया। जल्द ही केरल के शहर कोची में श्री नरेश सिंह नियाल के साथ नैशनल ब्लाइंड फुटबॉल के लिए ट्रेनिंग कैंप में हिस्सा लिया और जल्द ही उनका चयन टोक्यो में होने वाली ब्लाइंड फुटबॉल एशिया चैम्पियनशिप के लिए हो गया और देहरादून के नेत्रहीन स्कूल का नाम चमकाते हुए पंकज राष्ट्रीय तिरंगे के साथ बनी जर्सी पहन कर जापान के लिए रवाना हो गए।
वर्ष 2016 में राष्ट्रीय ब्लाइंड फुटबॉल चैम्पियनशिप में पंकज टीम के कप्तान बने और अपने स्कूल की टीम को फाइनल तक ले गये। वर्ष 2016 में पंकज ने भारतीय टीम की कप्तानी करते हुए तीन देशों की अंतर्राष्ट्रीय शृंखला भी खेली। वर्ष 2017 में पंकज राणा पहले भारतीय खिलाड़ी थे, जिनका चुनाव जर्मनी उली ने राष्ट्रीय ब्लाइंड फुटबॉल अकादमी के लिए एक कोच के तौर पर किया। बहुत-से देशों में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर धूम मचाने वाले पंकज राणा के पास अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सबसे अधिक गोल करने का खिताब भी हासिल है। देहरादून के एन.आई.वी.एच. स्कूल से बी.ए. करने वाले पंकज राणा उत्तराखंड सरकार से दो बार सम्मानित हो चुके हैं और उनका  स्वप्न है कि वह अर्जुन अवार्ड विजेता बनें। पंकज राणा की बंद आंखों के भीतर पल रहे स्वप्न जल्द ही रंगीन हों, यह मेरी पंकज के लिए दुआ है और उनके जुनून को सलाम है।