कैसे करें प्रिमैच्योर बच्चे की देखभाल

जब एक औरत मां बनती है तो ही उसका जीवन सम्पूर्ण होता है। घर में खुशियों का तांता-बांता लग जाता है। माता-पिता की खुशी का ठिकाना ही नहीं रहता। हर कोई उस प्रिमैच्योर शिशु को अपनी गोद में लेना चाहता है ताकि अपने मन-मुताबिक हर कोई उसको प्यार कर सके। लेकिन इसी के साथ ही उस प्रिमैच्योर बच्चे की देखभाल में कुछ सावधानियां भी रखनी पड़ती हैं, ताकि उसकी सफाई का, टीकाकरण का और बाकी सबका ध्यान रखा जा सके। जैसे—
वज़न में जल्दी परिवर्तन आना
शुरू के 3-4 दिनों में शिशु अपने शरीर का 5-8 प्रतिशत वज़न कम कर लेता है। 7 दिनों के पश्चात् वज़न बढ़ना दोबारा शुरू करता है और प्रत्येक दिन लगभग 25-35 ग्राम वज़न बढ़ता है। यह वज़न बढ़ने की प्रक्रिया 4 महीने तक चलती है। मां को चाहिए कि वह पर्याप्त आराम करे और बच्चे में स्वास्थ्य संबंधी किसी भी समस्या पर उसे ध्यान देना चाहिए। जब शिशु 2 हफ्ते का होता है तो उसका वज़न 200-250 ग्राम बढ़ जाता है। नियमित रूप से जांच तथा टीकाकरण अत्यंत आवश्यक होता है।
टीकाकरण
समय-समय पर अस्पताल जाना चाहिए तथा टीकाकरण अनिवार्य रूप से कराना चाहिए। शिशु को बी.सी.जी. का टीका और पहला हैपेटाइटिस बी टीका और पोलियो ड्रॉप्स अस्पताल में छुट्टी देने से पहले दिया जाना चाहिए।
घर पर देखभाल
शिशु को हमेशा स्वच्छ व गर्म कमरे में ही रखें। कमरा गर्म करने के लिए हीटर, मशीन आदि का प्रयोग करें। उसे जिस स्थान पर रखा जाए वहां का वातावरण नम होना चाहिए। गीले कपड़े या तौलिए का इस्तेमाल नमी बनाने के लिए किया जा सकता है। गर्मियों में सीधे पंखे के नीचे शिशु को न सुलाएं। कमरे का तापमान 28-30 तक रखें जो शिशु के लिए उपयोगी है। सर्दियों में शिशु को अधिक ऊनी कपड़े पहनाकर रखें। विशेष ध्यान के साथ सिर पर टोपी और मौजे पहनाकर रखें। शिशु को अपने शरीर से गर्मी देने के लिए उसको अपने साथ सुलाएं। गर्म पानी की बोतल का इस्तेमाल न करें, क्योंकि यह बच्चे को जला सकती है। जब तक बच्चे का वज़न बढ़कर 3 किग्रा. न हो जाए मालिश और नहलाने का परहेज़ करे। शिशु को साफ करने के लिए स्पंज का प्रयोग किया जा सकता है। शिशु को कपड़े पहनाने से पहले उन्हें हीटर या गर्म हवा के सामने रखें। शिशु के हाथ से उसके शरीर का तापमान पता चल जाता है। यदि शिशु गर्म लग रहा है तब उसके तलवे, हथेली, गुलाबी और गर्म होंगे यदि नीलेपन पर है तो बच्चा अच्छी तरह ढका हुआ नहीं हैं या वह बीमार है इस बात का ध्यान रखें। आप तुरंत कमरे में गर्मी का इंतज़ाम करें या अपने बच्चे के लिए डाक्टर से सलाह लें। छोटे या प्रिमैच्योर बच्चों में संक्रमण होने का खतरा होता है। इसलिए उसे छूने या दूध पिलाने से पहले तथा उसके शौच को साफ करने के बाद आप यह सुनिश्चित करें कि आपने अपने हाथ साबुन से अच्छी प्रकार से साफ कर लिए हैं।

—इमेज रिफ्लेक्शन सैंटर