राज्य के सरकारी कालेज चल रहे हैं पी.टी.ए. फंड के सहारे

जालन्धर, 26 जुलाई (रणजीत सिंह सोढी): राज्य के सरकारी कालेजों को समय की सरकारें चलाने में दिन प्रति दिन फेल होती ही लगती है। जो भी राजनीतिक पार्टी ने सत्ता में आना होता है, उक्त राजनीतिक पार्टी विद्यार्थियों व नौजवानों के साथ कई तरह के वायदे करती हैं। परन्तु वोट बटोरने के बाद जीत हासिल करके उक्त राजनीतिक पार्टी नौजवानों व विद्यार्थियो के साथ किए वायदों से मुंह मोड़ लेती है। इस अवसर पर मौजूदा कांग्रेस सरकार ने भी किए वायदों से मुकरते हुए प्रदेश के भोले-भाले लोगों के साथ विश्वासघत किया है। जिसके साथ विद्यार्थियों, नौजवानों व कर्मचारी वर्ग में भारी रोष देखने को मिल रहा है। राज्य के सरकारी कालेजों के हज़ारों विद्यार्थी पी.टी.ए. फंड के रोष स्वरूप सड़कों पर उतरे हैं। जानकारी मुताबिक राज्य में 55 सरकारी कालेज हैं जिनमें 1800 के करीब लैक्चरारों की पोस्टें हैं, मौजूदा समय में इन 55 कालेजों में सिर्फ 600 लैक्चरार ही रैगूलर वेतन ले रहे हैं और बाकी 1200 लैक्चरारों का बोझ सरकार ने अपने खज़ाने पर डालने की बजाए विद्यार्थियों के परिजनों से वसूले पी.टी.ए. फंड पर डाला हुआ है। विद्यार्थियों ने आरोप लगाया है कि सरकार कालेजों में 2 हज़ार रुपये से 8 हज़ार रुपये तक पी.टी.ए. फंड वसूल कर विद्यार्थियों की लूट-खसूट की जा रही। यहां ही बस नहीं समय की सरकारों ने काफी लम्बे समय से पक्के लैक्चरारों की भर्ती नहीं की और सरकारी कालेजों को गैस्ट फैकल्टी लैक्चरारों की भर्ती करके काम चलाया जा रहा है। मीडिया रिपोर्ट अनुसार गुरु कांशी सरकारी कालेज दमदमा साहिब के गैस्ट फैकल्टी लैक्चरारों को यूनिवर्सिटी द्वारा कहा गया है कि प्रत्येक लैक्चरार 25-25 विद्यार्थी लाए नहीं तो घर को जाए। ऐसा हालात ही राज्य के बाबा श्री चंद सरकारी कालेज सरदूलगढ़, एम.आर. सरकारी कालेज फाज़िलका, गुरु नानक सरकारी कालेज काला अ़फगान (गुरदासपुर) व सरकारी कालेज रोडे के हैं, जिससे सरकार अपना हाथ पीछे खींचती दिख रही है। इन सरकारी कालेजों के कई गैस्ट लैक्चरारों के पक्के होने की आस में उम्र सीमा  पार हो चुकी है। केन्द्र सरकार राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (आर.यू.एस.ए.) के तहत 50 प्रतिशत वेतन राज्य सरकार द्वारा सरकारी कालेजों के गैस्ट लैक्चरारों को देती है और बाकी पी.टी. फंड में से दी जाती है परन्तु राज्य सरकार कुछ नहीं देती। इस संबंधी सचिव उच्च शिक्षा एस.के. संधू से बात करने पर उन्होंने कहा कि पी.टी.ए. फंड हेतु कालेज की लोकल कमेटी बनाई होती है उसको अख्तियार होता है कि कितना पी.टी.ए. फंड लेना है और पी.टी.ए. फंड में से वेतन दिया जा सकता है। पंजाब स्टूडैंट यूनियन के नेता अमर क्रांति ने राज्य सरकार पर दोष लगाते हुए कहा कि गैस्ट लैक्चरारों के वेतन का 50 प्रतिशत राज्य सरकार पी.टी.ए. फंड में से देकर राज्य के विद्यार्थियों के साथ धोखा कर रही है। विद्यार्थी नेता ने मांग की कि सरकार हर वर्ग के विद्यार्थी को मुफ्त शिक्षा मुहैया करवाए और पी.टी.ए. फंड को तुरन्त बंद करे और गैस्ट लैक्चरारों को पूरा वेतन अपने ़खज़ाने में से दे। उन्होंने सरकार को चेतावनी दी कि यदि पी.टी.ए. फंड में से वेतन देना बंद न किया तो पंजाब स्टूडैंट तीखा संघर्ष करेगी।