गोवा का अग्वाद किला 

गोवा भारतीय व विदेशी सैलानियों का मन-पसंद पर्यटक स्थल है। दूर-दूर तक फैला समुद्र व इसके ‘बीच’ पर्यटकों को अपनी तरफ खींचते से प्रतीत होते हैं। गांवों की शान्ति भी लोगों को सकून देती है। यहां पर गुजारे महज कुछ दिन ही आदमी को तरोताज़ा कर देते हैं। गोवा में पर्यटन की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण स्थान हैं। यहां के भव्य चर्च भी लोगों को आकर्षित करते हैं। रोमन कैथोलिक इन चर्चों पर यूरोपियन कला की छाप देखने को मिलती है। गोवा के इन्हीं पर्यटन स्थलों में एक है अग्वाद का किला।अग्वाद का किला ओल्ड गोवा में पहाड़ी पर स्थित है। इस किले का निर्माण 1612 में किया गया था। इसके दो भाग हैं, हला ऊपरी भाग तथा दूसरा निचला भाग। इसके निचले भाग में समुद्र से घिरा एक बुर्ज है तथा यह लम्बी दीवार उपरी किले के साथ जुड़ी है। उपरी किला पथरीले चट्टान के ऊपर बनाया गया है, जिसे अग्वाद पांहिर भी कहते है। उपरी किले का निर्माण एक किले के रूप में तथा जहाजों को पानी देने के केन्द्र हेतु किया गया था, जबकि निचले किले का प्रयोग जहाज के सुरक्षित गोदी के रूप में किया गया था। उपरी किले में खाई, तलघर मुक्त पानी जमा करने की टंकी, दीप स्तम्भ, बारूदी कक्ष और बुर्ज है।अग्वाद शब्द का अर्थ पुर्तगाली भाषा में पानी का स्थल होता है। पानी जमा करने की टंकी से ही यह नाम रखा गया। इस टंकी की जल क्षमता 23,76,000 है। इसके निर्माण हेतु पांच विभाग बने हैं तथा इसे सम्भालने हेतु 16 बड़े स्तम्भों का निर्माण किया गया है। इसके अन्दर प्रवेश करने के लिए सीढ़ियां बनाई गई हैं। दीप स्तम्भ से जहाजों को दिशा दिखाने हेतु प्रकाश का उत्सर्जन सात मिनट में एक बार किया जाता था। 1864 में यह प्रकाश उत्सर्जन (30) तीस सेकेंड में किया गया। 1976 में इस दीप स्तम्भ का प्रयोग बंद कर दिया गया। यह स्मारक प्राचीन एवं पुरातत्वीय स्थल व अवशेष अधिनियम 1958 के तहत राष्ट्रीय महत्व का घोषित किया गया है। आप यदि इन सर्दियों में गोवा घूमने का विचार कर रहे हैं, तो इस ऐतिहासिक स्थल का अवश्य अवलोकन करें। आपको इसकी खूबसूरती पसन्द आयेगी।

—खुशवीर मोठसरा