बच्चें की सेहत को नुक्सान पहुंचाते सुंदर खिलौने

आजकल बाज़ार में कई किस्म के खिलौने मिलते हैं। एक समय था जब महंगे और अच्छे खिलौने केवल अमीर आदमी के पहुंच तक ही थे, लेकिन अब बाज़ार में चाइनीज़ खिलौनों से बाज़ार अटे पड़े हैं, जिन्हें हम अपने बच्चों को खेलने के लिए देते हैं। क्या आपको पता है कि ये मनमोहक खिलौने बच्चों को कई बीमारियों का शिकार बना सकते हैं? इन खिलौनों से बच्चे के गुर्दे खराब हो सकते हैं और उनकी बौद्धिक क्षमता पर इसका बुरा असर हो सकता है। खेलने के दौरान बच्चे खिलौनों को बार-बार मुंह में डालते हैं। हालांकि बाज़ार में आजकल कई इस तरह के खिलौने भी मिलते हैं, जिन्हें बच्चा अगर मुंह में डाले तो उनकी सेहत पर इसका कोई  बुरा प्रभाव नहीं होता। हकीकत यह है कि यह सुविधा केवल उच्च, मध्यम वर्ग के पैरेंट्स को ही उपलब्ध होती है, जो बच्चों के खिलौने के मटीरियल को लेकर जागरूक होते हैं। हकीकत यह है कि कुछ खिलौनों में जानलेवा तत्व होते हैं। पालीविनायल क्लोराइड पीवीसी से बने इन खिलौनों में सीसा और केडमियम होता है जो नर्वस सिस्टम पर बुरा प्रभाव डालते हैं। इनमें मौजूद न्यूराटाक्सिंस और नेफ्रोटाक्सिंस बच्चे के गुर्दों पर और नर्वस सिस्टम पर बुरा प्रभाव डालते हैं। पीवीसी या प्लास्टिक के दूसरे सामान में कलरिंग एजेंट्स के तौर पर आरगेनो-मेटालिक कम्पाऊड्स के रूप में प्रयोग किये जाते हैं। लंबे समय तक इन ज़हरीले तत्वों के प्रभाव में रहने से बच्चे के बौद्धिक क्षमता कम हो सकती है। जिसका बच्चे की सीखने की क्षमता पर बुरा प्रभाव होता है। वे ज़हरीले तत्व बच्चे की किडनी और लीवर को भी नुक्सान पहुंचा सकते हैं। पीवीसी से बने खिलौनों और साफ्ट खिलौनों में सीसे और कैडमियम के मात्रा का पता लगाने हेतु और बच्चों के स्वास्थ्य पर इनके बुरे प्रभाव को जांचने के लिए दिल्ली, मुम्बई और चेन्नई तीन महानगरों से खिलौनों के नमूने अध्ययन के लिए एकत्रित किए गये थे। कुल 111 खिलौनों को नमूनों का परीक्षण किया गया। 77 खिलौनों का निर्माण पीवीसी से किया गया था। राजधानी दिल्ली से किये गये 60 खिलौनों में से 43 खिलौने पीवीसी के थे। मुम्बई से प्राप्त सभी 30 नमूने पीवीसी के पाये गये।इस अध्ययन से यह साबित होता है कि देश के बड़े ब्रांड के खिलौनों को अगर छोड़ दें तो ब्रांड रहित खिलौनों में सीसा और कैडमियम जैसे नुक्सानदेह तत्व बच्चों की सेहत के लिए ़खतरनाक साबित हो रहे हैं। खिलौनों में इन तत्वों का इस्तेमाल पीवीसी में स्टैपलाइजर के रूप में किया जाता है जो खिलौनों को मजबूती देते हैं। लेकिन ये मेटल स्टैबलाइजर्स पीवीसी के भीतर नहीं जा पाते और रोशनी धूप या बच्चों के द्वारा मुंह में चबाये जाने से लार के सम्पर्क में आने पर घुलकर बाहर आ जाते हैं। इसलिए माता-पिता को चाहिए कि वह बच्चों को भले ही कम खिलौने खेलने के लिए दें लेकिन उन्हें ब्रांडेड खिलौने  ही खरीदने चाहिएं, जिनमें इन तत्वों का इस्तेमाल इन्हें बनाने के लिए न किया गया हो।

-इमेज रिफ्लेक्शन सैंटर
-नीलम अरोड़ा