ममता भी प्रधानमंत्री पद के सम्भावित उम्मीदवारों की सूचि में शामिल

अंतत: ममता बैनर्जी भी 2019 के लोकसभा चुनावों के लिए प्रधानमंत्री के उम्मीदवार बनने के लिए हो रहे हंगामे में शामिल हो चुकी हैं। गत समय के दौरान उन्होंने इस चर्चा संबंधी एक शब्द भी नहीं कहा था, परन्तु उनके निकटतम अब खुलकर इस मुद्दे को सामने ला रहे हैं। उमर अब्दुल्ला कोलकाता में ममता को मिले थे और उन्होंने ऐलान किया था कि ममता भाजपा के विरुद्ध लड़ाई में अग्रिम पंक्ति की नेता होंगी। उन्होंने बंगाल के विकास संबंधी भी ममता की प्रशंसा की। अगले वर्ष 19 जनवरी को वह कोलकाता के ब्रिगेड परेड मैदान में विरोधी पार्टियों की रैली का आयोजन करने जा रही हैं। इसलिए सहयोग हासिल करने हेतु वह नवम्बर और दिसम्बर में देश का दौरा करने की योजना बना रही हैं। 
हाल ही में ममता ने नई दिल्ली में सोनिया गांधी और राहुल गांधी के साथ मुलाकात की तथा उनको रैली के लिए निमंत्रण दिया। शीघ्र ही इसी सिलसिले में वह लालू प्रसाद यादव के बेटे तेजस्वी यादव, मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव, मायावती तथा के. चन्द्रशेखर राव के साथ मुलाकात करेंगे। उन्होंने दिल्ली के सेंट स्टीफन कालेज में छात्रों को सम्बोधन करना था, परन्तु अंतिम समय पर कालेज द्वारा उनका निमंत्रण पत्र रद्द कर दिया गया। तृणमूल कांग्रेस ने दावा किया कि इस समारोह को भाजपा और संघ के कहने पर रद्द किया गया। 
मायावती की गठबंधन राजनीति
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ द्वारा मध्यप्रदेश विधानसभा चुनावों के लिए मायावती के साथ गठबंधन का समर्थन किया गया है। परन्तु इसके बदले में बसपा नेता द्वारा अपनी पार्टी के लिए राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, पंजाब तथा कर्नाटक में लोकसभा चुनावों के लिए सीटों की मांग की जा रही है। पहले ही वह अलग तौर पर छत्तीसगढ़ में अजीत जोगी के साथ, हरियाणा में चौटालों की इनैलो के साथ, महाराष्ट्र में शरद पवार के साथ, बिहार में तेजस्वी के साथ सीटों संबंधी बातचीत कर रहे हैं। आगामी लोकसभा चुनावों के लिए उत्तर प्रदेश में मायावती कांग्रेस को सिर्फ दस सीटें देने के लिए सहमत हैं। वह भी तो यदि कांग्रेस उनको राजस्थान, मध्यप्रदेश तथा छत्तीसगढ़ के विधानसभा और लोकसभा चुनावों के लिए आवश्यक सीटें देने के लिए तैयार है। परन्तु ज्यादातर कांग्रेस नेताओं द्वारा मायावती के साथ गठबंधन का विरोध किया जा रहा है, क्योंकि उत्तर प्रदेश में गठबंधन होने से वह महसूस करते हैं कि पार्टी को दलित वोटों के आधार पर नुक्सान का खमियाज़ा भुगतना पड़ सकता है। इसके अलावा मायावती ने विधानसभा चुनावों के समय पंजाब में अकाली दल के साथ और कर्नाटक में कुमार स्वामी के साथ अंतिम समय गठबंधन किया था। 
वरिष्ठ नेताओं की नाराज़गी
ऐसा प्रतीत होता है कि प्रियंका गांधी अपने भाई राहुल गांधी को उभारने के लिए काफी प्रयासरत हैं। इसके चलते हुए उन्होंने कांग्रेस वर्किंग कमेटी से हटाये गए वरिष्ठ नेताओं को प्रेरित करते हुए पैनल की बैठक में आने के लिए कहा। इन नेताओं ने करण सिंह, वी.के. हरिप्रसाद तथा सी.पी. जोशी शामिल हैं। प्रियंका गांधी ने उनके द्वारा संस्था के लिए किए गए सहयोग की सराहना की और आश्वासन दिया कि पार्टी शीघ्र ही उनके लिए सही भूमिका तलाश कर लेगी परन्तु जर्नादन द्विवेदी जो ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के महासचिव थे, पद और राज्यसभा के नामांकन सहित कांग्रेस वर्किंग कमेटी की सदस्यता भी छीन चुके हैं, ने बैठक में आने से इन्कार कर दिया। मध्यप्रदेश में पहले ही कई कार्यक्रम बनाए होने के कारण दिग्विजय सिंह ने बैठक में आने संबंधी अपनी असमर्थता जाहिर की। सिंह ने यह भी कहा कि वह निराश हैं, क्योंकि राहुल गांधी द्वारा उनके अनुभव का इस्तेमाल नहीं किया जा सके। 
रामदेव में आया बदलाव
2014 के लोकसभा चुनावों के दौरान योग गुरु रामदेव ने श्री मोदी को अपने आश्रम बुलाया था और उन्होंने अगला प्रधानमंत्री होने का ऐलान भी किया था परन्तु इस समय रामदेव कुछ परेशान लग रहे हैं, क्योंकि प्रधानमंत्री द्वारा संकल्प पूर्ति समापन समारोह में आने से इन्कार कर दिया गया। रामदेव को प्रधानमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह में भी नहीं बुलाया गया था। हाल ही के दिनों में रामदेव द्वारा मुलायम सिंह यादव, लालू प्रसाद यादव तथा अखिलेश यादव के साथ बैठकें की जा रही हैं और जब भी उनको कोई अवसर या मंच मिलता है, तो इन नेताओं की प्रशंसा करने के लिए कोई भी अवसर नहीं गंवाया जाता। 
गत दिनों अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर रामदेव ने मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की सहायता से कोटा राजस्थान में कैम्प का आयोजन किया, जहां उन्होंने राहुल और सोनिया गांधी की योग करने संबंधी प्रशंसा की और उनके साथ अपने अच्छे संबंधों का भी उल्लेख किया। इसके बाद रामदेव के पतंजलि मैगा फूड पार्क ने जी.एस.टी. से संबंधित कई नोटिस प्राप्त किए। बिजनैस गुरु होने के कारण अब उन्होंने राजनीति के बारे में बात करनी बंद कर दी है और अब वह उत्तर प्रदेश तथा उत्तराखंड के अलग-अलग विभागों के सवालों के जवाब देने में लगे हैं। 
मुलायम की अनुपस्थिति
समाजवादी पार्टी के संस्थापक और संरक्षक मुलायम सिंह यादव द्वारा लखनऊ की पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारी बैठक से दूरी रखी गई, जहां पार्टी के कांग्रेस-बसपा-राष्ट्रीय लोक दल के साथ गठबंधन संबंधी विचार-चर्चा होनी थी। गत वर्ष अक्तूबर में भी मुलायम पार्टी सम्मेलन में उपस्थित नहीं हुए थे, जिसमें उन्होंने बेटे अखिलेश यादव को पार्टी अध्यक्ष चुना था। लगातार दूसरी पार्टी की बैठक से दूर रहने के कारण पार्टी के वरिष्ठ नेता महसूस करते हैं कि मुलायम अखिलेश के साथ मंच साझा नहीं करना चाहते। अखिलेश ने सभी वरिष्ठ नेताओं को चुनावों से पूर्व गठबंधन संबंधी सुझाव देने के लिए लिखित तौर पर संदेश भेजा है।