इमरान खान का ‘हिन्दुस्तान’
अगला सप्ताह भारत-पाकिस्तान संबंधों के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। पाकिस्तान में इमरान खान की सरकार स्थापित होने के अलावा दो दशकों से सक्रिय भारत-पाक मित्रता की इच्छुक आधा दर्जन संस्थाएं सांस्कृतिक कार्यक्रम और संवाद रचाकर दोनों देशों के 95 प्रतिशत लोगों की भावनाओं को सफल करने के प्रयास साझा करेगी। राजनीति में सदियों से चले आ रहे हिन्दोस्तान को 1947 में दो टुकड़ों में काटकर भारत और पाकिस्तान का नाम दे दिया था। इन टुकड़ों को जोड़ना तो सम्भव नहीं, परन्तु इमरान खान की धारणा है कि दोनों देशों में सांस्कृतिक तथा आर्थिक तालमेल बढ़ाकर दोनों देश खुशहाली और शांति की मंज़िल की ओर बढ़ सकते हैं। दोनों पड़ोसी देशों को इस बात का ज्ञान होना चाहिए कि सैनिक जीतों का प्रोत्साहन कम समय के लिए होता है तथा सांस्कृतिक और आर्थिक उपलब्धियों का रस हमेशा ही देरी से मिलता है लेकिन सुखद होता है।
वैसे भी पाकिस्तान को अपनी विदेशी नीति की ओर विशेष ध्यान देने की ज़रूरत है। भारत के साथ वहां के संबंध तब ही सफल हो सकते हैं, यदि वह अफगानिस्तान के साथ अपने संबंध सुधारे और चीन की चालों से सचेत रहे। तात्पर्य यह कि चीन-पाक आर्थिक कॉरीडोर की पेशकश को ठुकराने की बजाय सहज ढंग से विचार करे और व्यवहारिक रुख अपनाए। पाकिस्तान और भारत की सरकारों को यह समझने की ज़रूरत है कि लोग आर्थिक खुशहाली और शान्ति चाहते हैं। पाकिस्तान के ताज़ा चुनावों में कट्टरपंथियों को ठुकरा कर लोगों ने ऐसा संकेत भी दिया है। पांचों संस्थाओं के कॉआर्डीनेटर पत्रकार सतनाम सिंह माणक को भी चाहिए कि दोनों देशों की युवा पीढ़ी के लिए अच्छे भविष्य के लिए अपने शांति के प्रयास जारी रखें। जम्मू-कश्मीर का मामला चिंताजनक है, परन्तु इस तरफ ठहर कर चला जा सकता है। नया दृष्टिकोण स्वागत की मांग करता है।
भारतीय यूथ कांग्रेस के लक्ष्य
राष्ट्रीय यूथ कांग्रेस की वर्तमान सोच को अपनाते हुए पंजाब यूथ कांग्रेस ने जालन्धर में 6 जुलाई को लिए फैसले के अधीन युवाओं तथा छात्रों के साथ देशव्यापी संवाद की मुहिम शुरू कर दी है। यहां युवा और छात्र ‘ऩफरत और नशा छोड़ो’ के विषय पर अपने विचार स्वयं पेश कर रहे हैं। यह धारणा पंजाब यूथ कांग्रेस के प्रधान अमरप्रीत लाली की सोच तक ही सीमित है। ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी द्वारा बनाए गए कॉआर्डीनेटर गौतम सेठ का कहना है कि इसको राजस्थान, मध्यप्रदेश तथा छत्तीसगढ़ भी तत्काल अपनाएं। मुख्य उद्देश्य भविष्य की पीढ़ी को देश के विकास में कूदने के लिए प्रेरित करना है।
‘देश सेवक’ बनाम ‘संग्रामी लहर’
इस महीने सी.पी.आई. (एम.) के प्रवक्ता ‘देश सेवक’ तथा रैवोल्यूशनरी मार्कसिस्ट पार्टी का प्रतिनिधित्व करने वाले ‘संग्रामी लहर’ (मासिक) ने देश के धन का 73 प्रतिशत भाग एक प्रतिशत पूंजीपतियों के कब्ज़े में आ जाने पर गम्भीर चिंता व्यक्त की है। जहां ‘देश सेवक’ ने यह विचार पेश करने के लिए अखबार के संस्थापक हरकृष्ण सिंह सुरजीत की दसवीं पुण्यतिथि को चुना, वहीं ‘संग्रामी लहर’ ने स्वतंत्रता प्राप्ति की 71वीं वर्षगांठ को। दोनों संस्थानों ने खाने-पीने, पहनने और बोलने के ढंग-तरीकों को कुचलने वाले भीड़ तंत्रीय उभारों की निंदा करके रोज़गार तथा विकास के सही मॉडल अपनाने की दलील दी है।
बड़े उद्योगपतियों, कॉर्पोरेट घरानों तथा भूमिपतियों द्वारा शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं के व्यापारीकरण की निंदा की और देश के भीतर गुजारे लायक और भरोसे योग्य रोज़गार की मांग की है। खुशी यह कि दोनों गुटों का दृष्टिकोण तथा धारणा सकारात्मक और साझी है। देश की वर्तमान स्थिति मांग करती है कि ऐसी सकारात्मक सोच रखने वाले सभी गुट एक-दूसरे से दूर रहकर चलने की बजाय एक-दूसरे के साथ कदम मिलाकर चलें। वर्तमान साम्प्रदायिकता को नकारने के लिए तत्पर कांग्रेस पार्टी की ऐसी सोच को समर्पित अन्य पार्टियों को साथ लेकर इस तरफ बढ़ सकती है ताकि देश का सही अर्थों में कल्याण हो सके।
अंतिका
(हरदयाल सागर)
पेट भुक्खा, जिस्म नंगा,
ज़हन मुर्दा हो गया
हो गया, साडा तिरंगा,
होर उच्चा हो गया।