गंगा को अविरल, निर्मल बनाने हेतु एफआरआई ने तैयार किये 32 मॉडल

देहरादून, 12 अगस्त (भाषा) : देहरादून स्थित प्रतिष्ठित वन अनुसंधान संस्थान ने गंगा को अविरल और निर्मल बनाने के लिए ‘फारेस्ट्री इंटरवेंशन फॉर गंगा’ परियोजना की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) में इसके तट पर स्थित पांचों राज्यों में उनके प्राकृतिक परिदृश्य के आधार पर 32 विभिन्न मॉडल तैयार किये हैं। केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी ‘नमामि गंगे’ योजना के अन्तर्गत वानिकी हस्तक्षेप हेतु बनायी गयी इस डीपीआर में संस्थान ने 2525 किलोमीटर लंबी गंगा पर बढ़ रहे जैविक दबाव को कम करने के लिए उसके उदगम स्थल उत्तराखंड से पश्चिम बंगाल तक हर जगह के स्थानीय प्राकृतिक परिदृश्य के हिसाब से अलग-अलग मॉडल तैयार किये हैं जिनमें मृदा संरक्षण, जल संरक्षण, खरपतवार नियंत्रण, वृक्षारोपण और पारिस्थितिकीय पुनर्जीवन जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं को भी शामिल किया गया है। उत्तराखंड के गोमुख से निकलने वाली गंगा उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड से गुजरते हुए पश्चिम बंगाल में प्रवेश करती है और बंगाल की खाड़ी में जाकर विलीन हो जाती है। वानिकी हस्तक्षेप की 2293 करोड़ रू की इस परियोजना की डीपीआर से जुडे वैज्ञानिकों का दावा है कि इस तरह के मॉडल लागू किये जाने से इन राज्यों की कृषि उत्पादकता भी बढ़ेगी। इस डीपीआर में गंगा के किनारे बसे राज्यों में रिवरफ्रंट बनाये जाने पर भी जोर दिया गया है।