सम्मान और प्रभुत्व का प्रतीक राष्ट्र-ध्वज 


राष्ट्र ध्वज हमेशा से ही सम्मान और प्रभुत्व का प्रतीक रहा है। हमारे देश के राष्ट्र ध्वज को तिरंगे की संज्ञा दी गयी है। तिरंगे झंडे को भारत के राष्ट्रीय ध्वज के रूप में 22 जुलाई, 1947 को संविधान सभा में प्रस्तुत किया गया। संविधान समिति ने तिरंगे झंडे को स्वतंत्र भारत के राष्ट्रीय ध्वज के रूप में मान्यता दे दी।
1947 से भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा न केवल राष्ट्रीय गौरव और सम्प्रभुता का प्रतीक रहा वरन् यह कई अभियानों का भी साक्षी बना। 29 मई, 1953 को इसे विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर ब्रिटेन के राष्ट्रध्वज यूनियन जैक और नेपाल के राष्ट्रध्वज के साथ लहराया गया। इसी दिन शेरपा तेजजिंग नोर्गे सर एडमंड हिलेरी के साथ माउंट एवरेस्ट के शिखर पर पहुंचे थे।
1971 में अपोलो 15 के साथ तिरंगा झंडा अंतरिक्ष तक जा पहुंचा। इस इतिहास ने 5 अप्रैल, 1984 को स्वयं को पुन: तब दोहराया जब भारत सोवियत संघ के संयुक्त अंतरिक्ष मिशन पर विंग कमांडर राकेश शर्मा ने इसे अपने स्पेस सूट पर बैज के रूप में पहन रखा था।
23 मई, 1984 को बछेन्द्री पाल ने माउंट एवरेस्ट पर पहुंचने वाली प्रथम भारतीय महिला के रूप में इसके शिखर पर राष्ट्र ध्वज फहरा दिया। 17 जनवरी, 1989 को कर्नल जी.के. बजाज ने अंटार्कटिका अभियान के दौरान पृथ्वी के दक्षिणी ध्रुव पर तिरंगा झंडा फहराया।
28 सितम्बर, 1985 को कर्नल टी.पी.एस. चौधरी के नेतृत्व में तिरंगा झंडा विश्व यात्रा पर निकल पड़ा। कर्नल चौधरी और उनके दल ने ‘तृष्णा’ नामक जहाज से 470 दिनों में पूरी पृथ्वी के समुद्री मार्ग को नाप डाला और वे 10 जनवरी, 1987 को भारत वापस लौटे। स्कवाड्रन लीडर संजय थापर ने पूरे एशिया के स्काईड्राइवरों का रिकार्ड ध्वस्त करते हुए एम.आई. 8 हेलीकाप्टर से 10 हज़ार फुट ऊंची छलांग लगाकर उत्तरी ध्रुव पर राष्ट्रध्वज फहरा दिया।
भारत के राष्ट्रीय ध्वज में तीन रंग हैं। तिरंगे झंडे में समान अनुपात में तीन आड़ी पट्टियां हैं। इनमें गहरा केसरिया रंग सबसे ऊपर, सफेद रंग बीच में और गहरा हरा रंग सबसे नीचे है। भारत के राष्ट्रीय ध्वज की लंबाई-चौड़ाई का अनुपात 3.2 है। सफेद पट्टी के बीच में नीले रंग का एक चक्र है। इसका प्रारूप सारनाथ में सम्राट अशोक की लाट पर बने चक्र से लिया गया है। इसका व्यास लगभग सफेद पट्टी की चौड़ाई जितना ही है और इसमें 24 तीलियां हैं।
पहले हम राष्ट्रीय ध्वज को 15 अगस्त और 26 जनवरी को ही फहरा सकते थे लेकिन भारत सरकार ने राष्ट्रध्वज से जुड़े नियमों में बदलाव करके सभी नागरिकों को साल के 365 दिन तिरंगा झंडा अपने घर और प्रतिष्ठानों पर फहराने का अधिकार दे दिया है जिसकी शर्त यह है कि हम इसका सम्मान हर हाल में बरकरार रखें। राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने पर 3 साल की सख्त कैद और जुर्माने की सज़ा भी मिल सकती है। राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा को फहराने के कुछ नियम भी हैं जिन्हें हमें हर हाल में पूरा करना होगा। राष्ट्रध्वज का आकार 3.2 के अनुपात में ही होना चाहिए और इसकी आकृति रंग मानकों के अनुसार ही होनी चाहिए। राष्ट्रध्वज को सूर्योदय के समय फहराना और सूर्यास्त के समय उतार लेना चाहिए। कोई भी दूसरा झंडा राष्ट्रध्वज से ऊंचा नहीं लहराया जा सकता। ध्वजदंड पर कोई भी माला, फूल या प्रतीक चिन्ह नहीं होना चाहिए। राष्ट्रीय ध्वज को किसी भी व्यक्ति या वस्तु को सलामी देने के लिए जरा-सा भी नहीं झुकाया जाना चाहिए। केवल भारत सरकार द्वारा राजकीय शोक की घोषणा पर ही इसे आधे ध्वज दंड पर फहराया जा सकता है। भारत सरकार की विशेष अनुमति के बिना राष्ट्रध्वज और इसके डिज़ाइन को किसी व्यावसायिक कार्य में उपयोग नहीं किया जा सकता। राष्ट्रध्वज पर कोई वाक्य या डिज़ाइन नहीं लिखा या बनाया जा सकता। इसका प्रयोग पोशाक, रूमाल, कवर आदि किसी भी रूप में नहीं किया जा सकता। गंदा या क्षतिग्रस्त तिरंगा झंडा नहीं फहराया जा सकता। (युवराज)