गुणगान शहीदों का सरदार पंछी


धरती अम्बर करते हैं गुणगान शहीदों का।
ऋणी रहेगा सदा यह हिन्दुस्तान शहीदों का।
जिन्होंने अर्पण कर दी अपने देश के हेतु जवानी।
जिन्होंने कारागार के तम से कभी हार न मानी।
जिन्होंने फांसी की रस्सी भी ज़ुल़्फ यार की जानी।
सागर भी था जिनके वास्ते घुटने-घुटने पानी।
देश की आज़ादी ही या अरमान शहीदों का।
ऋणी रहेगा सदा यह हिन्दुस्तान शहीदों का।
कितने भाई छीन ले गई वो खूनी बैसाखी।
कितनी बहनों के हाथों रही सिसकती राखी।
कितनी माताओं ने दे दी बेटों की कुर्बानी।
सतलुज के ही रंग में डूबा हर दरिया का पानी।
लहर-लहर बन मचला तूफान शहीदों का।
ऋणी रहेगा सदा यह हिन्दुस्तान शहीदों का।
सभी बाराती दूल्हे जैसे सभी के सिर पर सेहरे।
मन में आग लगी है ऐसी चमक रहे हैं चेहरे।
हथकड़ियों के साज़ बज रहे रणचंडी का गाना।
लाने चले मौत की दुल्हन पहन केसरी बाना।
खून से सज के आया है फलदान शहीदों का।
ऋणी रहेगा सदा यह हिन्दुस्तान शहीदों का।
धरती अम्बर करते हैं गुणगान शहीदों का।
ऋणी रहेगा सदा यह हिन्दुस्तान शहीदों का।
मो. 94170-91668