समाज में हिंसा के लिए कोई जगह नहीं : कोविंद


नई दिल्ली, 14 अगस्त (वार्ता) : राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने स्वाधीनता सेनानियों के सपनों का भारत बनाने के लिए लोगों को गरीबी एवं असमानता से मुक्ति दिलाने, विकास के नए अवसर उपलब्ध कराने, महिलाओं की आज़ादी को व्यापक बनाने एवं उनके वास्ते सुरक्षित वातावरण तैयार करने तथा युवाओं की प्रतिभाओं को उभारने का आह्वान किया है। श्री कोविंद ने 72वें स्वाधीनता दिवस की पूर्व संध्या पर आज राष्ट्र के नाम अपने संदेश में कहा कि यह आज़ादी पूर्वजों एवं सम्मानित स्वाधीनता सेनानियों के वर्षों के त्याग और वीरता का परिणाम है। उन्होंने कहा कि हम सौभाग्यशाली हैं कि हमें ऐसे देशभक्तों की विरासत मिली है। उन्होंने हमें एक आज़ाद भारत सौंपा है। साथ ही, उन्होंने कुछ ऐसे काम भी सौंपे हैं, जिन्हें हम सब मिलकर पूरा करेंगे। देश का विकास करने तथा गरीबी और असमानता से मुक्ति प्राप्त करने के महत्वपूर्ण काम हम सबको करने हैं। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 21वीं सदी में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के अहिंसा के सिद्धांतों को उपयोगी और प्रासंगिक बताते हुए देशवासियों से उनके सुझाए गए रास्ते पर चलने और उनके विचारों को आत्मसात करने की अपील की तथा कहा कि समाज में हिंसा के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए। श्री कोविंद ने कहा कि इस बार स्वतंत्रता दिवस की खास बात यह है कि कुछ ही सप्ताह बाद 2 अक्तूबर से महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के समारोह शुरू हो जाएंगे। गांधीजी ने न केवल स्वाधीनता संग्राम का नेतृत्व किया, बल्कि वह देशवासियों के नैतिक पथ-प्रदर्शक भी थे और सदैव बने रहेंगे। उन्होंने अहिंसा के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि गांधीजी का महानतम संदेश यही था कि हिंसा की अपेक्षा अहिंसा की शक्ति कहीं अधिक है। प्रहार करने की अपेक्षा संयम बरतना कहीं अधिक सराहनीय है तथा हमारे समाज में हिंसा के लिए कोई स्थान नहीं है।  गांधीजी ने अहिंसा का यह अमोघ अस्त्र हमें प्रदान किया है।  उन्होंने देश के विकास के लिए प्रत्येक नागरिक को स्वतंत्रता सेनानी की तरह अपना योगदान करने की अपील करते हुए कहा कि ऐसे प्रयास होते रहने चाहिए जिससे देश के विकास के नये-नये अवसर प्राप्त हो सकें। उन्होंने स्वाधीनता सेनानियों के सपनों का भारत बनाने में किसानों, सैनिकों, पुलिसकर्मियों और महिलाओं की भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा कि राष्ट्र निर्माण के लिए इन सभी का विकास ज़रूरी है। राष्ट्रपति ने समाज में महिलाओं की विशेष भूमिका की चर्चा करते हुए कहा कि कई मायनों में, महिलाओं की आज़ादी को व्यापक बनाने में ही देश की आज़ादी की सार्थकता है। यह सार्थकता, घरों में माताओं, बहनों और बेटियों के रूप में, तथा घर से बाहर अपने निर्णयों के अनुसार जीवन जीने की उनकी स्वतंत्रता में देखी जा सकती है। उन्हें अपने ढंग से जीने तथा अपनी क्षमताओं का पूरा उपयोग करने का सुरक्षित वातावरण तथा अवसर मिलना ही चाहिए। श्री कोविंद ने कहा कि वे (महिलाएं) अपनी क्षमता का इस्तेमाल चाहे घर की प्रगति में करें या फिर हमारे कार्यबल या उच्च शिक्षा-संस्थानों में, उन्हें अपने विकल्प चुनने की पूरी आज़ादी होनी चाहिए। एक राष्ट्र और समाज के रूप में हमें यह सुनिश्चित करना है कि महिलाओं को जीवन में आगे बढ़ने के सभी अधिकार और क्षमताएं सुलभ हों। राष्ट्रपति ने नौजवानों को देश की आशाओं एवं आकांक्षाओं की बुनियाद बताते हुए कहा कि हम अपने युवाओं का कौशल-विकास करते हैं, उन्हें टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और उद्यमिता तथा कला और शिल्प के लिए प्रेरित करते हैं। उन्हें संगीत का सृजन करने से लेकर मोबाइल एप्स बनाने और खेल प्रतियोगिताओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए प्रोत्साहित करते हैं। इस प्रकार, जब हम अपने युवाओं की असीम प्रतिभा को उभरने का अवसर प्रदान करते हैं, तब हम अपने स्वाधीनता सेनानियों के सपनों का भारत बनाते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वह प्रत्येक भारतीय जो अपना काम निष्ठा एवं लगन से करता है, जो समाज को नैतिकतापूर्ण योगदान देता है-भले ही वह डॉक्टर हो, नर्स हो, शिक्षक हो, लोक सेवक हो, फैक्ट्री का मजदूर हो, व्यापारी हो, सभी अपने-अपने ढंग से स्वाधीनता  के आदर्शों का पालन करते हैं। ये सभी नागरिक, जो अपने कर्तव्यों और दायित्वों  का निर्वाह करते हैं और अपना वचन निभाते हैं, वे भी स्वाधीनता संग्राम के आदर्शों का पालन करते हैं।
श्री कोविंद ने अपने सम्बोधन में सबके लिए बिजली, खुले में शौच से मुक्ति, बेघरों को घर आदि जैसे कार्यक्रमों की चर्चा करते हुए लोगों से यह भी अपील की कि वे न तो ध्यान भटकाने वाले मुद्दों में उलझें और न ही निरर्थक विवादों में पड़कर अपने लक्ष्यों से हटें। उन्होंने ग्राम स्वराज अभियान का लाभ सर्वाधिक गरीब और वंचित नागरिकों तक पहुंचाने की अपील करते हुए देश के उन 117 आकांक्षी ज़िलों में अनुसूचित जातियों और जनजातियों के उत्थान की भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि हमारे सामने, सामाजिक और आर्थिक पिरामिड में सबसे नीचे रह गए देशवासियों के जीवन-स्तर को तेज़ी से सुधारने का अच्छा अवसर है।