विदेशी झटकों को झेलने के लिहाज से चीन से बेहतर हालत में भारत

मुंबई, 17 अगस्त (एजेंसी): अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के मानकों के हिसाब से रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के पास विदेशी मुद्रा भंडार को लेकर ऐसी सहूलियत है, जो चीन के पास नहीं है। आईएमएफ के ष्रिजर्व एडिक्वेस के मानक पर भारत की स्थिति चीन और दक्षिण अफ्रीका से बेहतर है। रिजर्व एडिक्वेसी में रिजर्वए विदेशी कर्जए आयात और इन्वेस्टमेंट फ्लो को शामिल किया जाता है। रिजर्व बैंक ने हाल में 20 अरब डॉलर बेचे हैंए लेकिन अर्थशास्त्रियों के अनुमान के मुताबिक रुपये को सपॉर्ट देने के लिए वह 8.10 प्रतिशत विदेशी मुद्रा भंडार का और इस्तेमाल कर सकता है।
क्यू 1 में इंडिया इंक का शानदार परफॉर्मेंस :
भारत के पास अभी 402 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार है। उसका रिजर्व एडिक्वेसी 150.7 प्रतिशत है, जबकि चीन के लिए यह 85.9 प्रतिशत और दक्षिण अफ्रीका के लिए 64.2 प्रतिशत है। इस बारे में डीबीएस की चीफ इंडिया इकॉनमिस्ट राधिका राव ने एक नोट में लिखा है, ‘इस पैमाने के हिसाब से भारत आरामदायक स्थिति में है।’ इसमें लिखा गया है कि एक्सटर्नल चैलेंज बढ़ने भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में और 5.8 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है, लेकिन उससे एडिक्वेसी पर बहुत फर्क नहीं पड़ेगा। रिजर्व एडिक्वेसी के 100.150 प्रतिशत रहने पर माना जाता है कि देश बाहरी झटकों का सामना आसानी से कर सकता है। 
रुपये  में गिरावट चिंता की बात नहीं : नीति आयोग:
भारत का विदेशी मुद्रा भंडार अप्रैल के 426 अरब डॉलर से घटकर अगस्त की शुरुआत में 403 अरब डॉलर रह गया था। इस बीच रिजर्व बैंक ने रुपये को स्थिर बनाए रखने के लिए 23 अरब डॉलर की विदेशी मुद्रा का इस्तेमाल किया। हालांकि, इसके बावजूद डॉलर के मुकाबले रुपया 70 के नए निचले स्तर पर पहुंच गया है। राव ने बताया कि पूंजी का प्रवाह कम रहने की वजह से इस साल भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी की संभावना नहीं दिख रही है। इससे चालू खाते (करंट अकाउंट) पर दबाव बन सकता है।