प्रोजैक्ट पूरा होने पर ठेका आधारित कर्मचारी नौकरी का दावेदार नहीं : हाईकोर्ट

चंडीगढ़, 17 अगस्त (सुरजीत सिंह सत्ती) : पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि किसी प्रोजैक्ट विशेष तौर पर ठेका आधारित पर कार्य करता कोई कर्मचारी उस प्रोजैक्ट के मुकम्मल होने के बाद नौकरी के लिए दावा नहीं कर सकता। वह भी उस स्थिति में यदि उसके स्थान पर नया कर्मचारी न रखा जा रहा हो। पंजाब रोड एंड ब्रिजेज़ डिवैल्पमैंट बोर्ड में ठेका आधारित पर मार्च 2012 से प्रोजैक्ट मैनेजर (पर्यावरण) के तौर पर कार्य के लिए रखे गए बादल सोनी ने एडवोकेट रवि कमल गुप्ता द्वारा याचिका दाखिल करके कहा था कि उसके जैसा ही ठेका आधारित व कार्य करते दो अन्य कर्मचारियों को 31 दिसम्बर के बाद एक्सटैन्शन दे दी गई, लिहाज़ा उसको (याचिका दायर को) एक्सटैन्शन देने से न करना संविधान का उल्लंघन है। मांग की गई थी कि उसका कार्यकाल भी आगे बढ़ाया जाए। याचिकाकर्त्ता द्वारा हवाला दिया गया था कि पंजाब सरकार ने 28 अगस्त 2017 को सभी विभागों को निर्देश दिए थे कि ठेका आधारित या आऊट सोर्सिंग से पहले से कार्य करते आ रहे व्यक्ति की यदि आवश्यकता हो तो उनको 31 मार्च 2018 तक या सरकार और या पंजाब एडहॉक, कांट्रैकचुअल, डेलीवेज़िज, टैंपरेरी, वर्क चार्ज एंड आऊट सोर्स इंप्लाईंज वैल्फेयर एक्ट संबंधी चल रहे कोर्ट केस के फैसले तक जारी रखा जाए। याचिकाकर्त्ता के वकील ने पैरवी की कि इस एक्ट के तहत भी उसके हकों की सुरक्षा होती है परन्तु इसके बावजूद उसकी सेवाएं समाप्त कर दी गई। वहीं दूसरी ओर सरकार और एक अन्य विभाग द्वारा पेश हुए एडवोकेट विकास चतरथ ने पैरवी करते हुए कहा कि याचिकाकर्त्ता को मार्च 2012 को एक वर्ष के ठेका आधार कार्यकाल के लिए एग्रीमैंट द्वारा प्रोजैक्ट के लिए लिया गया था व एग्रीमैंट में प्रत्येक वर्ष वृद्धि की पेशकश थी। अब जुलाई 2017 में प्रोजैक्ट मुकम्मल हो चुका है व दिसम्बर 2017 में इस प्रोजैक्ट का खाता भी बंद किया जा चुका है व वैसे भी इस एग्रीमैंट के तहत कार्य के लिए रखा गया कोई व्यक्ति उन शर्तों के तहत नहीं रखा जाता, जो शर्तें सरकारी कर्मचारी को बकायदा तयशुदा प्रक्रिया अपना कर रखते समय लागू होती हैं। हाईकोर्ट के जस्टिस जसवंत सिंह ने भी यह माना है कि याचिकाकर्त्ता ठेका आधार पर था व उस पर सरकारी कर्मचारी के लिए लागू होती शर्तें नहीं लगती। दूसरा जिस प्रोजैक्ट में वह कार्य करता रहा, वह मुकम्मल हो चुका हो तो इसके लिए कार्य करता ठेका आधारित व्यक्ति नौकरी के लिए दावा नहीं कर सकता। हाईकोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्त्ता की मांग के बारे में उस स्थिति में भी गौर किया जा सकता था, यदि उसके स्थान पर किसी अन्य को ठेका आधारित पर लिया जा रहा होता व ऐसी दशा में याचिकाकर्त्ता की मांग वैध नहीं है, लिहाज़ा याचिका खारिज की 
जाती है।