ड्रैगन का संसार 

जब भी हम डै्रगन के बारे में बात करते हैं तो हम याद करते हैं उन कहानियों को जिनमें पुराने समय में चीन के ड्रैगन  के बारे में
कहा गया। उन कहानियों में ड्रैगन को भगवान कहा गया था जो बारिश और हवा बुलाने के लिए बादलों और धुंध के ऊपर भी उड़ सकते
थे लेकिन वास्तव में ऐसा कोई डै्रगन इस संसार में नहीं हुआ है।  ऐसे डै्रगन उनसे बिल्कुल अलग थे जिन्हें हम जन्तु विज्ञान में
पढ़ते हैं। जन्तु विज्ञान के अनुसार डै्रगन पुराने समय में सरीसृप थे और आज वे पूरी तरह लुप्त हो चुके हैं। इसलिए जो डै्रगन अब
हम देख सकते हैं वे उनके जीवाश्मों के नमूनों से ही पाते हैं। एक समय में ये ड्रैगन  पूरे संसार में फैले हुए थे। वे भूमि पर पाये गये। इस तरह से वे सागरों में भी रहने लगे। सागर में सांप की तरह की गरदन वाले ड्रैगन थे जिनका सिर छोटा, गरदन लम्बी, तेज दांत थे जो दूसरे जानवरों का शिकार करते थे। कुछ आकाश में उड़ने वाले डै्रगन भी थे जिनके पंख बहुत बड़े-बड़े थे। तालाबों से मछलियां पकड़कर वे भोजन करते थे। डायनासोर क्या होते हैं? 1818 में इंग्लैंड में एक डरावना, बड़ा और पुराना जानवर देखा गया। उस जीवाश्म जन्तु को ‘टेरिबल लिजार्ड’
का नाम दिया गया लेकिन बाद में उसे सरीसृप वर्ग में रखा गया, इसलिए उसका नाम बदलकर ‘तेरिबल डै्रगन’ रखा गया। यह माना
गया है कि डायानासोर प्राचीन डै्रगन का ही एक हिस्सा थे। कुछ डायानासोरों के जीवाश्मों से यह भी पता चला कि उनमें से कुछ-छोटे
आकार के भी थे। आखिर इन डै्रगन और डायनासोर के लुप्त होने का क्या कारण था। ये जन्तु एक समय पूरे संसार में फैले थे लेकिन
कुछ समय बाद ये पृथ्वी से पूरी तरह लुप्त हो गये। 20 करोड़ वर्ष पूर्व, पृथ्वी पर तापमान में अत्यधिक परिवर्तन आया। नम और गरम
वातावरण जो एम्फीबिया वर्ग के जीवधारियों के लिए उपयुक्त था, पृथ्वी पर ठंडी सर्दी और गर्म गर्मी के तापमान में बदल गया। पृथ्वी
सूखे और रेगिस्तान में बंट गई। इस परिवर्तन में एम्फीबिया मरने लगे। कुछ पानी में रहकर जीवित रह पाये। भूमि पर अब नये जीवों
का वास था जिनका शरीर कठोर स्केल्स से ढका था। शरीर को सहारा देने के लिए उनके चार पैर थे। जिस तरह से इस दौरान
अधिकतर एन्फीबियन्स जीवित नहीं रह सके उसी तरह से इन नये जीवों (सरीसृपों) की संख्या बढ़ती चली गई। ये भूमि, वायु और जल
हर जगह पाये जाने लगे लेकिन अच्छा समय कभी तो खत्म होता है। 

-शिखा चौधरी