आत्मबल व आत्मविश्वास

एक बार संस्कृत पाठशाला के प्राचार्य अपने शिष्यों को मेला दिखाने ले गए। गुब्बारे वाले से गुब्बारे खरीदकर बच्चे उन्हें हवा में छोड़ने लगे, पर कुछ सतरंगी गुब्बारे नहीं उड़ रहे थे। यह देख एक शिष्य ने प्रश्न किया-गुरुदेव, क्या केवल सफेद, लाल, हरे गुब्बारे ही हवा में उड़ सकते हैं, सतरंगी गुब्बारे नहीं ? प्राचार्य बोले-गुब्बारों के उड़ने का उनके रंगों से कोई संबंध नहीं है।  केवल वही गुब्बारे हवा में उड़ पा रहे हैं जो एक विशेष गैस रूपी आंतरिक शक्ति से भरे हुए हैं। यही बात मानव जीवन में भी लागू होती है। मनुष्य कभी भी अपने जीवन में धर्म, रंग-रूप और पारिवारिक संबंधों के बल पर स्थायी उन्नति नहीं कर सकता है। केवल वही मनुष्य जीवन में ऊपर उठकर संसार में नाम करते हैं जो उड़ने वाले गुब्बारों के समान आत्मबल व आत्मविश्वास से सराबोर होते हैं। ये शक्तियां मनुष्य दृढ़संकल्प, कड़ी मेहनत और निरन्तर प्रयास से ही हासिल कर सकता है।

-देवेन्द्र शर्मा
गांव व डाक. छतेहरा, तह. गोहना, ज़िला सोनीपत