बहन-भाई के प्यार का प्रतीक रक्षा-बंधन

बहन-भाई के प्यार का प्रतीक है राखी का त्यौहार। यह राखी का त्यौहार आता चाहे वर्ष के बाद है, लेकिन फिर भी इसकी खुशबू हर पल रहती है। इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधकर अपने भाई की लम्बी आयु की अरदास भगवान के आगे करती है। 
भाई भी इस दिन अपनी बहन की रक्षा का वचन देता है। आज चाहे लड़कियों की कमी होने लगी है भ्रूण हत्या जैसी घटनाएं बढ़ गई हैं, लेकिन फिर भी यह त्यौहार बड़े उत्साह से मनाया जाता है। हर बहन यही गीत गाती है अज्ज रखड़ी दा दिन आया वीरे वे तेरे बन्ना रखड़ी, भैणां नू हुंदे ने भाई रब्ब वरगे।’ बहनों के लिए भाई रब्ब के सम्मान होते हैं। इसलिए बहन अपने भाई को कई नामों से बुलाती है जैसे भाई, वीरा, वीर, पाजी, काका आदि नामों से अपने प्यार को भी दर्शाती है। ‘वीर’ असल में बहादुर आदमी को कहा जाता है। हर बहन को अपना भाई सबसे ज्यादा बहादुर लगता है, इसलिए वह अपने भाई को वीर कहती है। क्योंकि वह अपनी बहन को दु:खी नहीं देख सकता और हमेशा उसके सुखी रहने की कामना करता है। माता-पिता के मरने के बाद भी एक भाई ही अपनी बहन की सारी ज़िम्मेदारी निभाता है। इसके अलावा एक बहन भी मां की तरह ही अपने भाई की देखभाल करती है। भाई-बहन के प्यार की मिसाल तो सिख इतिहास में भी मिलती है। सिख धर्म के बाणी और सिखों के पहले गुरु श्री गुरु नानक देव जी लम्बे समय से सुल्तानपुर लोधी में अपनी बहन बेबे नानकी जी के घर रहे थे। उनकी बहन जब भी रोटी पकाती तो सोचती कि अगर मेरा वीर आ जाए तो गर्म-गर्म रोटी खा ले, तो गुरु जी तुरंत उनके पास पहुंच जाते थे। हिन्दू इतिहास में भी अनेक उदाहरण मिलती हैं जो भाई-बहन के प्यार को दर्शाती हो। आज का समय चाहे आधुनिक हो गया है, लेकिन भाई-बहन का रिश्ता वैसा का वैसा ही है। पहले हम दूर बैठे विदेश में अपने भाई को देख तो क्या बात भी नहीं कर सकते थे लेकिन डिजिटल दुनिया ने सबको पास ला दिया है। अब तो चेहरा भी देख सकते हैं और बात भी कर सकते हैं।अगर भाई छोटा है और बहन बड़ी हो तो वह अपने भाई को प्यार मां की तरह करती है। हर भाई को और बहन को एक-दूसरे की चीज अच्छी लगती है, इसलिए दोनों में लड़ाई-झगड़ा भी खूब होता है और प्यार भी। हर छोटी-छोटी बात पर दोनों झगड़ने लगते हैं। यह रिश्ता है ही इतना प्यारा। आजकल राखी के अवसर पर बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधने के साथ-साथ अपनी भाई की कलाई पर भी एक राखी बांध देती हैं, जिसे लूंबा कहा जाता है। राखी जैसे त्यौहार ही हैं जिसने आज भी हमारी पुरातन सभ्यता को संभालकर रखा है। यही त्यौहार भाई-बहन को भी आपस में बांधे रखता है। यही कामना है कि यह रिश्ता हमेशा कायम रहे।

—जगमोहन सिंह लक्की