मंत्रिमंडल के फैसले

मंगलवार को चंडीगढ़ में पंजाब मंत्रिमंडल की हुई बैठक में कुछ अहम  फैसले लिए गए हैं। इनमें से अधिक महत्त्वपूर्ण  फैसला यह है कि पंजाब सरकार ने भारतीय आचार संहिता कानून में धारा 295-ए शामिल करने का फैसला किया है, जिससे श्री गुरु ग्रंथ साहिब, गीता, बाइबल और कुरान शऱीफ आदि धार्मिक ग्रंथों की बेदअबी करने वाले आरोपियों को उम्र कैद की सज़ा दी जा सकेगी। पहले कानून के अनुसार ऐसे आरोपियों को 10 वर्ष तक की सज़ा दी जा सकती थी। अकाली-भाजपा सरकार के समय जब बड़े स्तर पर श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी की कई घटनाएं घटित हुईं तो उस समय की सरकार द्वारा ऐसा ही कानून बना कर केन्द्र सरकार को स्वीकृति के लिए भेजा गया था परन्तु केन्द्र ने इसको स्वीकृति देने के स्थान पर यह कह कर वापिस कर दिया था कि इसमें श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेदअबी हेतु ही दोषियों के लिए सज़ा की व्यवस्था नहीं करनी चाहिए, अपितु शेष धार्मिक ग्रंथों की बेदअबी संबंधी मामलों को भी इस कानून में शामिल किया जाना चाहिए। केन्द्र सरकार की इस मांग को पूरा करने के लिए ही मंत्रिमंडल ने पहले वाले कानून में संशोधन करने का फैसला किया था। अब धार्मिक ग्रंथों की बेदअबी करने वाले दोषियों को नए कानून के अधीन उम्र कैद की सज़ा हो सकेगी। नि:संदेह धार्मिक ग्रंथों के सम्मान और उनकी मान-मर्यादा को कायम रखा जाना चाहिए और जानबूझ कर धार्मिक ग्रंथों की बेदअबी करने वालों को कड़ी सज़ाएं दी जानी चाहिएं, परन्तु सरकार को इस बात का भी ध्यान रखना पड़ेगा कि इन कानूनों का दुरुपयोग न हो। कई बार ऐसा होता है कि स्वार्थी और शरारती तत्त्व किसी से बदला लेने के लिए भी ऐसे केस किसी दूसरे निर्दोष व्यक्ति के खिलाफ दर्ज करवा देते हैं। पाकिस्तान में ऐसे कानूनों के दुरुपयोग की काफी शिकायतें मिलती हैं। ऐसे मामलों में पुलिस अधिकारियों को कार्रवाई करने से पहले दर्ज होने वाले मामलों संबंधी समूचे तौर पर गहरी जांच करनी पड़ेगी, ताकि  दोषी बच न सकें, परन्तु निर्दोष व्यक्तियों के खिलाफ शरारती तत्वों द्वारा ऐसे कानून का दुरुपयोग न हो सके। मंत्रिमंडल द्वारा जिस दूसरे महत्त्वपूर्ण बिल को स्वीकृति दी गई है, वह विधायकों को लाभ वाले पद देने संबंधी है। अलग-अलग समयों पर हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने भी यह फैसला दिया था कि केन्द्रीय मंत्रिमंडल में और बड़े राज्यों में 15 प्रतिशत और छोटे राज्यों में 10 प्रतिशत तक ही विधायक मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने चाहिएं और शेष विधायकों को लाभ वाले पद नहीं दिए जा सकते। परन्तु राज्य सरकारों ने लाभ वाले पदों से संबंधित कानूनों में संशोधन करके अदालतों के फैसलों को  गैर-प्रभावी बनाने के लिए कई रास्ते ढूंढ लिए हैं। परन्तु अब पंजाब मंत्रिमंडल ने भी जो कानून बनाया है, उस के अन्तर्गत विधायकों की संसदीय सचिवों, बोर्डों के चेयरमैनों के रूप में नियुक्तियां की जा सकेंगी। इस संबंधी संशोधन बिल में यह व्यवस्था की गई है कि आवश्यक भत्तों, जिनका गंतव्य रोज़ाना भत्ते, पद के कामकाज निभाने के लिए दिए जाते खर्चे, ऐसे सभी भत्तों को लाभ वाले भत्तों से अलग कर दिया गया है। इस नए संशोधन बिल में मंत्रियों के अलावा उप-मुख्यमंत्री, चेयरमैन, उप-चेयरमैन, राज्य योजना बोर्ड के पद और विधानसभा में मान्यता प्राप्त पार्टियों के ग्रुप लीडर, डिप्टी लीडर के पद और विधानसभा में चीफ  व्हिप, डिप्टी चीफ  व्हिप या व्हिप के पदों को भी लाभ वाले पदों से बाहर रखा गया है। इस संशोधन बिल को विधानसभा की ओर से पारित किए जाने के बाद विधायकों को अलग-अलग लाभ वाले पदों पर नियुक्त किया जा सकेगा और वे अयोग्य करार दिए जाने से भी बचे रहेंगे। हमारी राय के अनुसार यह प्रस्तावित कानून समय-समय पर न्यायपालिका द्वारा सरकारी खर्चे कम करने के लिए और मंत्रिमंडलों को छोटा रखने हेतु दिए गए ़फैसलों की भावना के विपरीत है। इससे विधायकों द्वारा सरकारी कार्यों की जांच-पड़ताल करने जिसकी उम्मीद उनसे की जाती है, का अमल भी कमज़ोर पड़ेगा। इससे एक तरह से सरकारी साधनों और सत्ता के दुरुपयोग का रूझान भी बढ़ेगा।इन दो उक्त फैसलों के अलावा पंजाब मंत्रिमंडल ने पंजाब स्टेट हायर एजूकेशन कौंसिल के गठन का भी फैसला किया है। ऐसा केन्द्र सरकार से उच्च शिक्षा के लिए फंड हासिल करने के उद्देश्य से किया गया है, क्योंकि केन्द्र सरकार की नई नीतियों के अधीन ऐसी शैक्षणिक कौंसिलें बनाना ज़रूरी करार दिया गया है। केन्द्र सरकार से फंड मिलने और उच्च शिक्षा संबंधी ऐसी कौंसिल बनने से राज्य की यूनिवर्सिटियों, कालेजों और उच्च शिक्षा के अन्य विभागों के कामकाज में सुधार लाया जा सकेगा। परन्तु ज़रूरत इस बात की है कि इस कौंसिल में जिन शख्सियतों को शामिल किया जाना है, वे प्रतिबद्धता से इस काम को पूरा करें, क्योंकि विगत समय में स्कूली शिक्षा के साथ ही उच्च शिक्षा में भी राज्य में काफी गिरावट आई है। मंत्रिमंडल ने अपनी इस बैठक में खाद्य पदार्थों में हो रही मिलावट पर भी चिंता व्यक्त की है और सरकार द्वारा लोगों को इन मिलावटखोरों के विरुद्ध प्रभावी कार्रवाई करने और  ज़रूरत पड़ी तो कानून में संशोधन करने का भी विश्वास दिलाया है।