जनवरी में भेजा जाएगा चंद्रयान-2


नई दिल्ली, 28 अगस्त (वार्ता) : चंद्रमा पर भारत का दूसरा मिशन चंद्रयान-2 अब अगले साल जनवरी में भेजे जाने की योजना है। यह मिशन पहले दो बार टाला जा चुका है। इसरो के अध्यक्ष के. शिवन ने आज यहाँ संवाददाताओं को बताया कि चंद्रयान-2 के प्रक्षेपण के लिए 3 जनवरी से 16 फरवरी 2018 का विंडो तय किया गया है। कोशिश यह होगी कि तीन जनवरी को ही प्रक्षेपण किया जाये,लेकिन मौसम अनुकूल नहीं रहा तो 16 फरवरी तक प्रक्षेपण संभव होगा। 
मिशन की खास बात यह होगी कि चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के करीब (72 डिग्री दक्षिण) लैंडर उतारने वाला भारत दुनिया का पहला देश होगा। इसरो प्रमुख ने बताया कि चंद्रमा के इस हिस्से पर सूर्य की ज्यादा तेज रोशनी नहीं पड़ती। इसलिए वहाँ पानी और खनिजों की मौजूदगी की ज्यादा संभावना है। साथ ही वहाँ दिन ज्यादा समय के लिए रहता है जिससे प्रयोग करने में आसानी होगी। डॉ. शिवन ने बताया कि चंद्रयान-2 के पहले की बनावट में कुछ बदलाव किया गया है। इसके कारण यान का वज़न बढ़ गया है। इसे देखते हुये अब इसका प्रक्षेपण जीएसएलवी एमके-3 प्रक्षेपणयान से किया जायेगा जो जीएसएलवी एमके-2 की तुलना में ज्यादा वज़न ले जाने में सक्षम है। पहले कुल प्रक्षेपण वज़न 3,250 किलोग्राम होना तय था। अब यह 3,850 किलोग्राम होगा। साथ ही पहले इसे 170 गुणा 24,000 किलोमीटर की कक्षा में भेजने की योजना थी, लेकिन अब इसे 170 गुणा 36,000 किलोमीटर की कक्षा में भेजा जायेगा।
मिशन का उद्देश्य : पृथ्वी के उपग्रह पर खनिजों, पानी और हाइड्रॉक्सिल के निशान ढूँढना, लैंडिंग के स्थान की उच्च गुणवत्ता वाली तस्वीरें लेना, चट्टानों के घटक तत्त्वों की चंद्रमा पर मौजूदगी का पता लगाना और चंद्रमा की सतह की त्रिआयामी तस्वीरें लेना भी मिशन का उद्देश्य होगा।