व्हीलचेयर पर होकर भी बास्केटबाल को अंगुलियों पर नचाती हैं  अनु गीता चौहान

अनु उर्फ गीता चौहान व्हीलचेयर पर ज़िन्दगी जी रही है लेकिन वह व्हीलचेयर पर होने के बावजूद अंगुलियों पर नचाती है बास्केटबाल और उनको अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी होने का सम्मान प्राप्त है। अनु गीता चौहान का जन्म मुम्बई में अंधेरी ईस्ट 7 अक्तूबर, 1987 को पिता पन्ना लाल चौहान के घर माता सरस्वती चौहान की कोख से एक साधारण परिवार में हुआ। अनु गीता चौहान की उम्र जब 6 वर्ष की थी कि उनको बुखार  हो गया और डाक्टर की लापरवाही थी या अनु गीता चौहान की बदकिस्मती कि इलाज के दौरान वह पोलियो का शिकार हो गई और पूरी उम्र के लिए टांगों के सहारे, चलने से भी असमर्थ हो गई। घर में एक बार शोक की लहर दौड़ गई और शायद माता-पिता ने सपने में भी सोचा नहीं होगा कि उनकी लाडली बेटी ऐसी नामुराद बीमारी की शिकार हो जाएगी कि पूरी ज़िन्दगी बैसाखियों के सहारे ही बिताएगी। शिक्षा दिलाने के लिए माता-पिता ने उनको सरकारी स्कूल में दाखिल करवा दिया। जहां विकलांग होने का श्राप लेकर मुश्किलों के बावजूद ज़िन्दगी में आने वाली चुनौतियों को स्वीकार कर वह मैट्रिक कर गई और अब एक ओर विकलांग ज़िन्दगी और दूसरी तरफ उच्च शिक्षा अनु गीता चौहान और परिवार के लिए एक सदमा और बड़ी चुनौती थी।पिता सोचते थे कि बेटी विकलांग है और इस हालात में वह उसको कैसे दाखिल करवाए लेकिन अनु गीता चौहान आगे पढ़ना चाहती थी और इस बात के लिए उनकी मां आगे आईं और बेटी को कालेज में दाखिला दिलवा दिया। कालेज की ज़िन्दगी में उनकी मुलाकात सुजीत नामक लड़के से हुई जिसने अनु गीता चौहान को हौसला ही नहीं दिया अपितु साहस भी दिया। सुजीत की ओर से मिला हौसला और साहस जल्द ही प्यार में बदल गया और अनु गीता चौहान के लिए सुजीत उनकी ज़िन्दगी का सब कुछ था और अनु गीता चौहान को लगा कि परमात्मा ने सुजीत को उसके लिए फरिश्ता बना कर भेजा है और सुजीत ने अनु गीता चौहान की ज़िन्दगी के हर मोड़ पर एक प्रेरणा ही नहीं दी, अपितु उनकी आर्थिक तौर पर भी सहायता करनी शुरू कर दी ताकि अनु गीता चौहान पढ़ाई में अपना करियर बना सके और सुजीत की यह इच्छा थी कि अनु गीता चौहान एक चार्टेड अकाऊंटैंट बने, लेकिन अनु गीता चौहान के लिए यह किसी बड़े सदमे से कम नहीं था कि सुजीत बैंगलोर शिफ्ट हो गया और गीता चौहान स्वयं को अकेला महसूस करने लगी, क्योंकि सुजीत उसके लिए सब कुछ था और अनु गीता चौहान सुजीत को मिलने बैंगलौर भी गई। बैंगलोर जाकर पता चला कि सुजीत का भयानक एक्सीडैंट हो गया और और वह अस्पताल में ज़िन्दगी और मौत की लड़ाई लड़ रहा था। गीता के लिए यह बर्दाश्त से बाहर था और  वह इस हालात में सुजीत को नहीं देख सकती थी और यह सुन कर उसकी चीख निकल गई कि उसकी ज़िन्दगी का सबसे बड़ा सहारा बना सुजीत आ ज़िन्दगी और मौत के बीच लड़ते हुए खुद सहारा ढूंढ रहा था आखिर सुजीत ज़िन्दगी की जंग हार गया और मौत ने उसको अपने आगोश में ले लिया। अनु गीता चौहान ऊंची-ऊंची रोने लगी और  रोती-रोती किसी हारे इन्सान की तरह मुम्बई वापिस आ गई। मुम्बई में आकर वह बड़े सदमे में चली गई और 5 वर्ष सदमे में रहने के बाद अपने मित्रों के सहयोग से थोड़ा सम्भली और ज़िन्दगी को आगे चलाने के लिए उन्होंने गारमैंट का काम शुरू किया और वह न चाहते हुए भी सुजीत को भुलाने का प्रयास करती लेकिन ऐसा हुआ नहीं और उसकी यादें उसके हमेशा अंग-संग रहकर उसको आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती और फिर उसने नैट पर विकलांग लड़कियों को व्हीलचेयर पर बास्केटबाल खेलते देखा और अनु गीता चौहान का मन भी व्हीलचेयर पर खेलने के लिए केन्द्रित किया और उसने अपने सपने को हकीकत में बदल लिया और वह व्हीलचेयर पर बास्केटबाल खेलने लगी और वर्ष 2017 में महाराष्ट्र की बास्केटबाल की टीम में चुनी गई और उनके शानदार प्रदर्शन द्वारा उनको अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी होने का सम्मान हासिल है। वह व्हीलचेयर पर बास्केटबाल ही अंगुलियों पर नहीं नचाती बल्कि व्हीलचेयर पर टैनिस भी खेलती हैं अब वह बास्केटबाल खेल को इतना प्यार करती है कि बस! बास्केटबाल ही उनकी ज़िन्दगी की सबसे बड़ी खुशी है और अब वह स्वयं को विकलांग नहीं समझती, बल्कि गर्व से कहती हैं कि वह एक बहादुर लड़की है, और अगर हौसला बुलंद और इरादे मजबूत हों तो ज़िन्दगी में कुछ भी ऐसा नहीं, जिसको हासिल न किया जाए। अनु गीता चौहान अपनी जंग खुद लड़ती हैं। अनु गीता चौहान का सपना है कि वह व्हीलचेयर पर बास्केटबाल खेलती हुई ओलम्पिक तक जाकर अपने देश और पूरे महाराष्ट्र का नाम चमकाए। अनु गीता चौहान कहती हैं कि, ‘मिल सके आसानी से उसकी ख्वाहिश किसे है, ज़िद्द तो उसकी है, जो मुकद्दर में लिखा नहीं।’ अनु गीता चौहान ने बताया कि चाहे सुजीत उसकी ज़िन्दगी में नहीं रहे लेकिन उनकी यादों में हमेशा अंग-संग रहकर उसको आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं और वह हर वर्ष उनका जन्मदिन मना कर उसको सिजदा करके उनकी याद में आंसू बहाती है।