पंजाब मंत्रिमंडल के फैसले : धान कस्टम मिलिंग नीति को मंजूरी

चंडीगढ़, 30 अगस्त (हरकवलजीत सिंह, एजेंसी) : पंजाब मंत्रिमंडल ने किसानों से धान खरीद और केंद्रीय भंडार में चावलों की सप्लाई को सुनिश्चित बनाने के उद्देश्य से खरीफ सीजन 2018-19 के लिए पंजाब कस्टम मिलिंग धान नीति को आज मंजूरी दे दी। ज्ञातव्य है कि मौजूदा समय में धान की छंटाई के लिए 3710 से अधिक मीलें कार्यरत हैं। इस आशय का निर्णय मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया। कस्टम मिलिंग के लिए बनाई गई नीति के अनुसार पनग्रेन, मार्कफैड, पनसप, पंजाब राज्य गोदाम कॉर्पोरेशन (पी.एस.डब्ल्यू.सी.) पंजाब एग्रो फूड ग्रेन कॉर्पोरेशन (पी.ए.ऐफ.सी.) और भारतीय खाद्य निगम (एफ.सी.आई.) और चावल मिलरों/उनके कानूनी उत्तराधिकारी कार्य करेंगे। इसके लिए खाद्य,सिविल सप्लाईज़ और उपभोक्ता मामले के विभाग नोडल विभाग के तौर पर कार्य करेगा। प्रवक्ता के अनुसार धान की निर्धारित प्राथमिक अलॉटमैंट 2017-18 के पिछले सीजन के दौरान मिल मालिकों की कारगुज़ारी पर निर्भर करेगा और मिलों को अतिरिक्त प्रतिशत रियायतें कस्टम मिलिंग के तहत चावलों की डिलीवरी की ताऱीख के अनुसार दी जाएंगी जिनमें पिछले साल का आर.ओ. धान की फसल भी शामिल होगा। जो मिलें 31 जनवरी, तक धान की छंटाई मुकम्मल करेंगी, वह प्राथमिक निर्धारित धान का 15 प्रतिशत अतिरिक्त प्राप्त कर सकेंगी। प्रवक्ता के अनुसार जो भी मिलें 28 फरवरी तक चावलों की डिलीवरी मुकम्मल करेंगी, वह प्राथमिक निर्धारित धान का अतिरिक्त 10 प्रतिशत प्राप्त कर सकेंगी। जिन मिलों ने अपने परिसरों में पहले ही ड्रायर और सोरटैकसिज़ स्थापित किये हैं वे धान का पांच प्रतिशत अतिरिक्त हिस्सा वितरण के लिए योग्य होंगी। प्रवक्ता के अनुसार  इस साल 190 लाख टन धान की खरीद किए जाने की संभावना है और यह लक्ष्य कस्टम मिलिंग नीति के तहत मुकम्मल किया जाएगा। एफ.सी.आई. को सभी बकाए चावल की सप्लाई 31 मार्च, 2019 तक की जाएगी। मिल मालिकों के लिए प्रमाणित क्रेडिट रिपोर्ट पेश करनी होगी। उनको मुकम्मल क्रेडिट इंफॅर्मेशन ब्यूरो इंडिया लिमिटड (सी.आई.बी.आई.एल.) रिपोर्ट भी इसके साथ पेश करनी होगी। वहीं पंजाब मंत्रिमंडल ने प्रदेश के सरकारी स्कूलों के बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए कारपोरेट, औद्योगिक घरानों, एनजीओ तथा एनआरआईज को शामिल करने संबंधी दिशा-निर्देशों को मंजूरी दे दी है। इस आशय का निर्णय आज यहां मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया। बैठक में स्कूलों की हालत सुधारने के लिए कारपोरेट जगत की भागेदारी बढ़ाने के लिए स्कूलों में कारपोरेट सामाजिक ज़िम्मेवारी दान फंड में निवेश के लिए व्यापक दिशा-निर्देश को भी मंजूरी दे दी ताकि शिक्षा के विकास में समाज की भागेदारी को सुनिश्चित किया जा सके। प्रवक्ता ने बताया कि स्कूलों के आधारभूत ढांचे का स्तर ऊंचा उठाने के साथ छात्रों को मुफ्त शिक्षा मुहैया कराने में इन सबकी भागेदारी को बढ़ाना है। इसके लिए संस्थागत विधि तैयार की जाएगी तथा हर स्कूल में स्कूल विकास कमेटी गठित की जाएगी। कमेटी शिक्षा का अधिकार एक्ट के उपबंध के तहत गठित की गई स्कूल प्रबंधक कमेटी के सारे सदस्यों पर आधारित होगी। मंत्रिमंडल की बैठक के लिए चाहे 8886 एस.एस.ए., आदर्श तथा माडल स्कूल तथा रमसा अध्यापकों को पक्के करने संबंधी एजेंडा भेजा गया था लेकिन कल राज्य में ज़िला परिषद तथा पंचायती चुनावों कारण आचार संहिता लागू हो जाने को मुख्य रखते इस एजेंडे पर विचार नहीं हो सका। इसी तरह पंजाब के ग्रामीण विकास विभाग अधीन काम कर रहे फार्मासिस्टों के कार्यकाल में वृद्धि करने संबंधी बैठक के लिए आया एजेंडा भी नहीं विचारा जा सका। बैठक सामने वित्तीय जिम्मेवारी संबंधी भी एक प्रस्ताव आया था लेकिन इस संबंधी भी मंत्रिमंडल द्वारा कोई फैसला नहीं लिया गया।  ग्रंथों की बेअदबी संबंधी केस सी.बी.आई. से वापिस लेने संबंधी विचार-विमर्श : मंत्रिमंडल की बैठक में विधानसभा द्वारा पास किए गए प्रस्ताव जिस अनुसार राज्य सरकार द्वारा बुर्ज जवाहर सिंह वाला, बहिबल कलां तथा कोटकपूरा में घटित घटनाओं से संबंधित केस सी.बी.आई. से वापिस लेने संबंधी लिए गए फैसले पर भी विचार हुआ तथा इस संबंधी आने वाली कानूनी अड़चनों को भी विचारा गया। बैठक दौरान बताया गया कि राज्य सरकार द्वारा उक्स केस वापिस लेने संबंधी नोटीफिकेशन का ड्राफ्ट तैयार करके आज राज्य के एडवोकेट जनरल को संशोधन के लिए भेज दिया गया है तथा इस संबंधी राज्य सरकार द्वारा बकायदा नोटीफिकेशन 2-3 दिनों दौरान जारी हो जाएगा तथा अगले सप्ताह राज्य सरकार द्वारा सी.बी.आई. को भी केस वापिस भेजने संबंधी बकायदा आवेदन पत्र भेज दिया जाएगा। बैठक दौरान बताया गया कि कैप्टन सरकार द्वारा कोटकपूरा तथा बहिबल कलां में चली गोली से संबंधित जो केस सी.बी.आई. को देने की घोषणा की गई थी उस संबंधी राज्य सरकार द्वारा सी.बी.आई. को पत्र तो ज़रूर लिखा गया था लेकिन इस संबंधी सी.बी.आई. द्वारा नोटीफिकेशन जारी नहीं किया गया जिस कारण यह केस राज्य सरकार द्वारा अपने अधिकार क्षेत्र में रखने की कोई कानूनी अड़चन आने की संभावना नहीं। दिलचस्प बात यह थी कि कुछ मंत्रियों ने इस बात को माना कि विधानसभा में प्रस्ताव पास करने के समय उनको यह अंदाजा नहीं था कि सी.बी.आई. से केस वापिस लेने में कोई कानूनी अड़चन भी आ सकती है।