दरिया के तेज़ बहाव पर भारी पड़ा शिक्षा प्राप्ति का जज़्बा

फिरोज़पुर, 31 अगस्त (परमिन्द्र सिंह) : एक तरफ देश को आज़ाद हुए 71 वर्ष हो गए हैं और देश को विकसित करने के लिए देश में बुलेट ट्रेनें चलाई जा रही हैं पर दूसरी तरफ देश के विकसित राज्यों में शुमार पंजाब के फिरोज़पुर ज़िले के सीमावर्ती क्षेत्र टापू नुमा गांव कालू वाड़ा के विद्यार्थियों के लिए सतलुज दरिया पार करके स्कूल पहुंचने के लिए केवल नाव ही एक मात्र साधन है। भारत-पाक सीमा से सिर्फ 200 मीटर की दूरी पर स्थित कालू वाड़ा गांव, जिसमें 60 के करीब परिवार आज भी बेहद संघर्षमयी और मुसीबतों भरा जीवन व्यतीत करने के लिए मजबूर हैं, क्योंकि एक यह गांव तीनों तरफ से सतलुज दरिया में घिरा हुआ है, जिन पर कोई पुल भी नहीं बना और नाव ही एक मात्र आवाज़ाई का साधन है और चौथे तरफ भारत-पाक सीमा है। इस गांव के विद्यार्थियों के लिए बेहद मुशकिल दौर शुरू होता है जब बरसातों के दिनों में जब पानी बांटा जाता है, उस समय सतलुज दरिया 600 से 700 मीटर लंबाई और 15 से 20 फीट गहरा पानी हो जाता है और यह बच्चे ़खतरनाक रास्ते के ऊपर खुद नाव चलाकर 5 किलोमीटर तक का स़फर पैदल तय करके सरकारी सीनियर सैकेंडरी स्कूल गट्टी राजो के पहुंचते हैं, पर सतलुज दरिया के तेज बहाव पर इन विद्यार्थियों का शिक्षा प्राप्ति का जज्बा भारी पड़ जाता हैं। गट्टी राजो के स्कूल के प्रिंसीपल डा. सतिन्द्र सिंह ने बताया कि पिछले शैक्षणिक सैशन के मई 2017 में इस गांव से सिर्फ 1 विद्यार्थी मलकीत सिंह ही स्कूल में दसवीं में पढ़ने के लिए आता था, उस अनुसार वह जुलाई से अक्तूबर तक बरसाती मौसम में दरिया का तेज़ बहाव होने के कारण छुट्टियां करने के लिए हर साल मजबूर होता था, पर मैं अपने एक अध्यापक से नाव द्वारा जब कालू वाड़ा पहुंचकर पढ़ाई छोड़ चुके बच्चों और माता-पिता को प्रेरित किया तो विद्यार्थियों की संख्या बढ़कर 10 हो गई है। मौके पर जाकर इक्ट्ठी की गई जानकारी के अनुसार आर्थिक पक्ष से बेहद कमजोर परिवारों के यह बच्चे स्कूल समय से पहले व बाद में खेतों में काम करके अपने घरों का गुजारा चलाते हैं। इनके गांव में कोई पढ़ा-लिखा नहीं हैं, जो इनकी पढ़ाई में मदद कर सके। यह सिर्फ स्कूली पढ़ाई पर ही निर्भर हैं। इस गांव में कोई भी स्वास्थ्य सुविधा नहीं हैं, पीने वाला पानी प्रदूषित होने के कारण यह लोग अनेकों बीमारियों से पीड़त हैं। इनकी सुविधा के लिए प्रिंसीपल द्वारा अपने निजी प्रयासों मैगा मैडीकल कैंप भी पिछले महीने लगाया गया। इस बेहद पिछड़े क्षेत्र के लोगों के लिए गट्टी राजो के स्कूल स्टाफ काफी सुर्हिद रहता हैं, जिसकी क्षेत्र के लोग क़ाफी प्रशंसा कर रहे हैं।