लाहौर में मौजूद है शहीद भगत सिंह से संबंधित दस्तावेज़ों का कीमती खज़ाना

अमृतसर, 6 सितम्बर (सुरिन्द्र कोछड़): सीमा पार लाहौर शहर में पंजाब पुरातत्व विभाग के पास शहीद भगत सिंह से संबंधित कई ऐसे दुर्लभ दस्तावेज़ मौजूद हैं, जिनको बारीकी से जांचने पर कई महत्वपूर्ण जानकारियां सामने आ सकती हैं तथा यह दस्तावेज़ प्रमुखता से भारतीय इतिहास की पुस्तकों का हिस्सा बन सकते हैं। शहद भगत सिंह के भानजे प्रो. जगमोहन सिंह सहित इतिहास के जानकारों द्वारा भारतीय विदेश मंत्रालय की मार्फत यह दस्तावेज़ भारत मंगवाने के लिए मांग की जा रही है ताकि इनकी जांच कर शहीद भगत सिंह से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारियों को पुस्तकों द्वारा सार्वजनिक किया जा सके।प्राप्त जानकारी के अनुसार उक्त विभाग के पास शहीद भगत सिंह द्वारा लाहौर सैन्ट्रल जेल में राजनीतिक कैदी घोषित किए जाने के उपरांत ए-क्लास की सुविधा लेने के लिए लिखे पत्र भी मौजूद हैं। इन पत्रों के अंत में भगत सिंह ने आपका शुभचिंतक या आपका विश्वासपत्र जैसे शब्द इस्तेमाल करने के स्थान पर केवल ‘तुहाडा आदि आदि’ ही लिखा है, जिनसे स्पष्ट हो जाता है कि शहीद भगत सिंह ने जेल की सज़ा के दौरान भी हत्यारे अंग्रेज़ हाकमों को कोई सम्मान नहीं दिया। इसके अतिरिक्त विभाग के पास क्रांतिकारियों के हाथों मारे गए पुलिस अधिकारी जाहन पी. सांडरस व सिपाही चरन सिंह की पोस्टमार्टम रिपोर्टों सहित भगत सिंह व उनके साथियों राजगुरु व सुखदेव को आरोपी ठहराने बारे अदालत का आदेश, काले वारंट व उनको फांसी पर लटकाने की पुष्टि बारे जेल के दरोगा की रिपोर्ट भी सुरक्षित है।प्रो. जगमोहन सिंह के अनुसार पाक के पंजाब पुरातत्व विभाग के रिकार्ड में भगत सिंह द्वारा जेल की सज़ा दौरान मंगवाई गई किताबें, नावल, क्रांतिकारी साहित्य सहित पंजाब ट्रैजिडी (त्रास्दी), ज़ख्मी पंजाब, गंगा दास डाकू, सुल्ताना डाकू आदि पुस्तकें व लाहौर की रावी रोड पर स्थित फैक्टरी, गवाल मंडी आबादी व मुजंग चुंगी के किराये के घर व मिकलियोड रोड स्थित कश्मीर बिल्ंिडग सहित उन होटलों का रिकार्ड भी मौजूद है जहां भगत सिंह व उनके दूसरे साथी भूमिगत रहने समय रहे। उन्होंने बताया कि लाहौर से सन् 1930 में प्रकाशित हुईं उर्दू अखबारों की वे खबरें भी उक्त विभाग के पास मौजूद हैं जिनमें भगत सिंह की फांसी या ट्रायल बारे जानकारी प्रमुखता से प्रकाशित की गई थी। इन अखबारों में वीर भारत (1930) अखबार की वह कापी भी मौजूद है, जिसमें बर्तानवी सरकार विरुद्ध विद्रोह के लिए भगत सिंह के प्रयासों का समर्थन किया गया था।