जन्नत का दूसरा नाम लेक लुईस कनाडा

कनाडा की भव्य झीलों तथा घाटियों में से एक मर्म स्थली ‘लेक लुईस’ झील है। यह स्थान किसी जन्नत का पर्यायवाची है। कनाडा का आधुनिक सुविधाओं वाला खूबसूरत शहर है एडमिंटन। एडमिंटन से लगभग 5 घंटों का कार का सफर है ‘लेक लुईस’। दिल्ली से एडमिंटन विमान द्वारा लगभग 22 घंटों का सफर है। दिल्ली से टोक्यो (या कोई अन्य देश) विमान द्वारा 8 घंटे लगते हैं। फिर लगभग चार घंटों का टोक्यो में ठहराव होता है। फिर टोक्यो से आठ घंटों का सफर है एडमिंटन का। दो अलग-अलग विमानों में आठ-आठ घंटे सफर करना पड़ता है। एडमिंटन जाने के लिए और भी कई देशों के जरिए जाया जाता है। तीन विमानों का भी सफर हो सकता है। यह स्टे (टिकट) पर निर्भर करता है कि टिकट किन-किन रास्तों की मिली है। कुल मिलाकर सस्ती से सस्ती टिकट 55 हज़ार से लेकर एक लाख के करीब आने-जाने की मिल जाती है। एडमिंटन एयरपोर्ट पर आम टैक्सियां मिल जाती हैं। यहां से आप किसी भी नज़दीक के होटल में जा सकते हैं। टैक्सी वालों से समस्त जानकारी मिल जाती है। सस्ते तथा महंगे होटल मिल जाते हैं। यहां टैक्सी वाले किसी किस्म की ठग्गी-बेईमानी नहीं करते। एडमिंटन से ‘लेक लुईस’ जाने के लिए हम कार पर सपरिवार निकले। 17 स्ट्रीट, 91 स्ट्रीट रोड से होते हुए निसकू रोड, यहां इंटरनैशनल एयर  पोर्ट निसकू है। यह क्षेत्र एडमिंटन के अंतर्गत आता है। एडमिंटन से लगभग आधे घंटे का रास्ता है एयरपोर्ट का। कैलगरी शहर यहां से लगभग 28 किलोमीटर दूर है। सड़क के साथ-साथ हरे-भरे खेत, कहीं-कहीं घरों के समूह, तिरछी ढलानों वाले सभी खिलौनानुमा सुंदर घर नज़र आते हैं।निसकू से लगभग एक सौ किलोमीटर पर आता है छोटा-सा शहर रेंड डीअर। यहां यात्री एक भव्य कैफिटीरिया में रुक ही जाते हैं। यहां पर हल्की-फुल्की वस्तुएं मिलती हैं। खाने के लिए यहां से हम कैलगरी पहुंचे लगभग तीन घंटों में। रास्ते में कई कारखाने, तेल के भंडार, ज्वार (मक्की) लम्बे-लम्बे खेत, लम्बी-चौड़ी सुंदर साफ-शुद्ध सड़कें। सड़कों के ट्रैक चार-पांच रास्तों वाले सीधे। कैलगरी से दूर-दूर पहाड़ों के दिलकश दृश्य नज़र आने लगते हैं। कैलगरी से दाईं तरफ बैम्प शहर को रास्ता घूम जाता है। कैलगरी भव्य शहर है और एडमिंटन से बड़ा है। यहां बड़े-बड़े मॉल, होटल, देखने योग्य अनेक स्थान हैं। अब दूर से नज़र आने वाले पहाड़ धीरे-धीरे दौड़ती कार के समीप होने लगते हैं। झीलेें, झरनें और पहाड़ों के नज़ारे शुरू। यह पहाड़ बहुत ऊंचे नहीं हैं, इनके साथ खड्डे नहीं है,ं दरिया या झीलेें हैं, पहाड़ अपने कई रूप बदलते हैं। पहाड़ों के आकार, बनावट, शैली, शिल्प कमाल की है। जैसे किसी बुत्त तराश ने परिश्रम से वर्षों लगा कर ‘स्टेच्यू’ बनाए हों। झीलों के साथ छोटे-छोटे पहाड़, पहाड़ों में बिल्कुल सीधी सड़कें। यहां के इंजीनियरों ने कमाल कर दिखाया है। साथ-साथ ट्रेन की पटरियां एक दम सीधी, एक अजूबा। सड़कों एवं झीलों के साथ-साथ प्रत्येक छोटे-बड़े कद के अनुसार लगाए रंग-बिरंगे वृक्ष तथा फूल। कमाल की लैंड स्केपिंग। यहां के वृक्षों के पत्ते भी रंग-बिरंगे फूलों जैसे होते हैं। सफेद तने वाले वृक्ष भी देखने को मिलते हैं। जैसे सुंदर, शीतल, अनुशासनमयी लोग वैसे ही वृक्ष और फूल। पहाड़ों के नयन नक्श कई तरह की आकृतियां बनाते हैं। पहाड़ों की शक्लें, रूप की आकृतियां जैसे किलेनुमा, मंदिरनुमा, तिरछे, आरी जैसे, हरे-फीके रंगदार, वृक्षों वाले, चट्टानों जैसे, चौंतुकरे, छोटे आकार से शुरू होकर फिर ऊपर की ओर बढ़ते पहाड़, ताश की भांति छतरी जैसे पहाड़, इत्यादि कृतियों के मर्मस्पर्शी पहाड़। पहाड़ों के पैरों में शीतल फीके हरे रंग की झीलें, कमाल की चुम्बकीय जादूगरी। एक जन्नत। लेक लुईस से पहले अति सुंदर शहर बैम्फ का बाहरी हिस्सा है। यहां से दूर के पहाड़ों पर पड़ी बर्फ अनेक चांदी की बिखरी लकीरें ऊपर से नीचे की तरफ नक्शे की भांति नज़र आती हैं, चांदी जैसी बर्फ अमूर्त विम्बों की दास्तां कहती नज़र आती है। एक मुकम्मल सुकून। कोणमयी बिखरी बर्फ सफेद रेखा चित्र बनाती हुई अच्छी लगती है। जैसे किसी चित्रकार ने चित्रकारी की हो। हस्त रेखाओं जैसी पिघलती पहाड़ों पर बर्फ अद्भुत आकर्षण पैदा करती है। ‘लेक लुईस’ को जाने वाली कुछ किलोमीटर सड़क सिंगल है। यह सड़क घने पहाड़ी जंगलों से होकर गुजरती है। नज़ारे वाली सड़क, चारों तरफ हरियाली, हवाओं से करती कलोल, सरगोशियां करती, जैसे जन्नत की छोटी-छोटी खिड़कियां खुलती जा रही हैं, जैसे आगे कौन से नाटक का दृश्य आने वाला है। कई लम्बे, टेढ़े-मेढ़े मोड़ काटती हुई सड़क ‘लेक लुईस’ की भूमि को चूमती है। वाह रे वाह, सुंदर बर्फीली, अर्ध चतुर्थ बर्फीली पहाड़ियों की समीपता, जन्नत। पहाड़ों की गोद में खेलती लेक लुईस। जैसे पहाड़ों के पैरों में दंडवत वंदना कर आशीर्वाद ले रही है सब के भले का। पहाड़ी भगवान के रूप में शुभकामना देती प्रतीत होती है। लेक लुईस का ठंडा शीतल शुद्ध पवित्र पानी जैसे पर्यटकों का धन्यवाद, अभिवादन कर रहा हो। ‘लेक लुईस’ झील के दृश्य किसी जन्नत से कम नहीं हैं। जुलाई का प्रथम माह, हल्की ठंड। सर्दियों में यहां बहुत बर्फ पड़ती है। कम ही पर्यटक आते हैं। रास्ते भी बंद हो जाते हैं। यहां की समीप सुंदर घाटियां हृदय, तन,मन मस्तिष्क, रूह को सुकून देती हैं। आकर्षक, रोमांटिक, रोमांचक और अध्यात्मिक दृश्य। कई मील लम्बी झील। बर्फ से जन्म लेती है। झील के आर-पार भव्य लैंडस्केपिंग/ प्रकृति को ओर शृंगारने के लिए कनेडियन  वैज्ञानिकों ने कमाल कर दिया है। वृक्षों की अलग-अलग प्रजातियों को दिशा, ऊंचाई, ढुलाई, तकसीम, आकार, रंगों, स्थान, शैली, शिल्प देकर लगाया गया है। आंखें भर-भर कर सुंदरता दृश्य में उघेलती है। इस झील में कई तरह की नावें चलती हैं। यात्रियों के मनोरंजन के लिए यह नावें किराए पर मिलती हैं। नाव स्वयं भी चला सकते हैं तथा सहायक भी मिल जाते हैं। इस क्षेत्र में आने के लिए पिकनिक का सारा सामान साथ लेकर आएं। यहां कोई दुकान या होटल नहीं है। केवल रास्ते में एक कैफेटीरिया आता है।  यहां किसी प्रकार के आदान-प्रदान में अनुशासन तथा नियमों का पूरा-पूरा ध्यान रखना अनिवार्य है। सफाई शुद्धता को ही यहां के नागरिक भगवान मानते हैं। लेक लुईस  के समीप कई और प्रपात, झीलेें, वादियां देखने को मिल जाती हैं। विशेष तौर पर बैम्फ शहर की पहाड़ी भव्यता कमाल की है। इस शहर में प्राकृतिक तथा बनावटी दृश्य हृदय में एक हूक, ललक-सी उत्पन्न करते हैं। लेक लुईस में यात्रियों का हमेशा ही तांता लगा रहता है। पतझड़ के दिनों में विभिन्न प्रजातियों, आकारों के भव्य वृक्ष अपने पत्तों में सूर्ख रंग भर लेते हैं। पत्ते भी फूलों जैसे लगते हैं। अनेक रंगों का गुलदस्ता प्रतीत होते हैं। यह खूबसूरत दृश्य जन्नत को पीछे छोड़ देते हैं। जैसे पतझड़ के रंगों का महोत्सव हो। इस क्षेत्र की ओर निजी कारें तथा बसें ही चलती हैं। यहां मई माह से अक्तूबर माह तक ही जाया जा सकता है, क्योंकि सर्दियों में बहुत ज्यादा बर्फ पड़ती है। कपास की भांति गिरती है बर्फ, जो नज़ारों को बढ़ावा देती है। नवयुवक ये नज़ारा देखने आते हैं। कुल मिलाकर लेक लुईस जन्नत का स्वरूप है। आप भी आईए।      

        मो. 98156-25409.