अमरीका का राष्ट्रपति भवन क्या भूत बंगला है?

सारे संसार में ऐसी धारणा है कि अमरीका में लोग अंधविश्वासी नहीं होते हैं, क्योंकि वह दुनिया के सबसे अधिक प्रगतिशील देशों में से एक हैं। परंतु सन् 1840 से अमरीका में एक अंधविश्वास चला आ रहा है। जब यूरोप के नागरिक अमरीका में आकर बस गये और उन्होंने अमरीका के मूल निवासी जिन्हें उन दिनों और आज भी ‘रेड इंडियन’ कहते हैं, को अमरीका के अधिकतर क्षेत्राें से मार भगाया तब किसी बूढ़े ‘रेड इंडियन’ ने यूरोप से आये हुए गोरे अमरीकियों को श्राप दिया था कि जो सन् शून्य से समाप्त होगा उसमें निर्वाचित होने वाले राष्ट्रपति या तो सख्त बीमार हो जाएंगे या उन पर कातिलाना हमला होगा। यह महज संयोग है कि शून्य से समाप्त होने वाले अनेक वर्षों में अमरीका के राष्ट्रपति या तो अपने कार्यकाल में ही मर गये या पद छोड़ने के शीघ्र बाद उनकी मृत्यु हो गयी। वे अपनी उम्र पूरी नहीं कर सके। गत शताब्दी में प्राय: आधे राष्ट्रपतियों पर कातिलाना हमला हुआ और दो-तिहाई राष्ट्रपति औसत उम्र पहुंचने के पहले ही इस संसार से विदा हो गये।जब भी अमरीका में किसी राष्ट्रपति का चुनाव होता है तब वे राष्ट्र को संबोधित करते हैं जिसे ‘इनॉगरेशन स्पीच’ कहते हैं। राष्ट्रपति फ्रैंकलिन रूजवेल्ट अमरीका के उन राष्ट्रपतियों में से थे जो किसी दूसरे राष्ट्रपति से अधिक समय तक सत्ता में रहे। परंतु जब वे चौथी बार ‘इनॉगरेशन स्पीच’ दे रहे थे, उसके शीघ्र बाद उनकी मृत्यु हो गयी। उस समय उनकी बीमारी का ठीक अंदाजा न तो अमरीका के निवासियों को था और न बाहर की दुनिया को। उन्हें भयानक रूप से पोलियो था। उनका रक्तचाप बहुत ऊंचा रहता था और वे गंभीर किस्म के हृदय रोग से पीड़ित थे। साधारणत: इनॉगरेशन स्पीच वाशिंगटन डीसी के उस स्थल पर दिया जाता है जिसे कैपिटल कहते हैं। परंतु रूजवेल्ट इतने बीमार थे कि कैपिटल तक नहीं पहुंच पाये और राष्ट्रपति भवन व्हाइट हाउस से ही राष्ट्र के नाम संदेश दिया। उनके सहयोगी उप-राष्ट्रपति हैरी ट्रूमैन ने गौर किया कि भाषण देने के समय रूजवेल्ट भयानक पीड़ा से कराह रहे थे। 1840 में विलियम हैरिसन अमरीका के राष्ट्रपति निर्वाचित हुए थे। परंतु अपने निर्वाचन के कुछ महीनों के अंदर ही उनकी मृत्यु हो गयी। शायद वे अमरीका के सबसे कम दिनों तक राष्ट्रपति रहे। 20 वर्ष बाद जब अब्राहम लिंकन अमरीका के राष्ट्रपति निर्वाचित हुए तब पांच वर्ष के बाद 1865 में गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गयी। जेम्स गेरीफिल्ड 1880 में अमरीका के राष्ट्रपति निर्वाचित हुए। परंतु एक वर्ष बाद उनकी हत्या हो गयी। विलियम मैक किनले सन् 1900 में दूसरी बार अमरीका के राष्ट्रपति निर्वाचित हुए। परंतु एक वर्ष बाद उनकी भी हत्या हो गयी। ऐसे अनेक उदाहरण हैं जबकि अमरीकी राष्ट्रपति की बीमारी से या हत्यारे की गोली से उन वर्षों में मृत्यु हो गयी जो वर्ष शून्य से समाप्त होते थे। जॉन एफ . केनेडी 1960 में अमरीका के राष्ट्रपति निर्वाचित हुए थे। इनका उदाहरण भी जगजाहिर है।रोनाल्ड रीगन 1980 में अमरीका के राष्ट्रपति निर्वाचित हुए थे। उनके निर्वाचन के तीन महीने के अंदर ही उन पर कातिलाना हमला हुआ। परंतु वे बाल-बाल बच गये। कहा जाता है कि 20वीं शताब्दी में अमरीका में जितने राष्ट्रपतियों का निर्वाचन हुआ उनमें से अधिकतर लोग गंभीर शारीरिक या मानसिक बीमारियों से ग्रस्त थे। आधे से अधिक लोगों को गंभीर हृदय की बीमारी थी। पांच ऐसे राष्ट्रपति थे जो उच्च रक्तचाप और हाइपरटेंशन से ग्रसित थे। 6 ऐसे राष्ट्रपति थे जिन्हें अपने कार्यकाल के दौरान ही गंभीर शल्य चिकित्सा करानी पड़ी। चार राष्ट्रपतियों को अपने कार्यकाल के दौरान ही लकवा मार गया।अपने समय से पहले जो राष्ट्रपति इस संसार से चले गये उसका यह कारण था कि अधिकतर राष्ट्रपतियों पर काम का भारी बोझ था। जिसका यह परिणाम हुआ कि वे अपने लिए कोई छुट्टियां नहीं निकाल पाते थे और परिवार के सदस्यों के साथ पर्याप्त समय नहीं बिता पाते थे। अमरीका के राष्ट्रपति लिंडन जॉनसन के बारे में यह कहा जाता है कि वे देश की समस्याओं के प्रति बड़े ही जागरुक थे और बहुत कठिन परिश्रम करते थे। रात में एक बजे तक वे अपने दफ्तर में या निवास में काम करते थे। उन्होंने अपने कर्मचारियों और निजी सचिवों को हिदायत दे दी थी कि उन्हें सुबह छह बजे जगा दिया जाए चाहे वे कितनी देर रात में सोये हों। पूर्व राष्ट्रपति बुश के पिता जॉर्ज बुश सीनियर अत्यंत ही कठिन परिश्रम करते थे। वे हमेशा कहा करते थे कि राष्ट्रपति का पद ऐसा है जिसमें व्यक्ति चिंताओं से मुक्त नहीं हो सकता है और वह चिंता धीरे-धीरे राष्ट्रपति के स्वास्थ्य में घुन लगाती रहती है। वारेन हार्डिंग अमरीका के ऐसे राष्ट्रपति हुए हैं जिनकी शिक्षा-दीक्षा बहुत मामूली थी। उनके मन में यह बात घर कर गयी थी कि यदि कठोर परिश्रम किया जाए तो वह व्यक्ति की सारी खामियों को ढक देता है लेकिन उन्होंने जितना अधिक परिश्रम किया उतनी अधिक असफलता उन्हें मिली। 1923 में जब वे एक समुद्री जहाज से सफर कर रहे थे, वह जहाज दुर्घटनाग्रस्त हो गया। लोगों ने उन्हें डेक पर चले जाने को कहा परंतु उन्होंने इस बात से इन्कार कर दिया और अपने केबिन में ही बैठे रहे। उन्हें विश्वास था कि चूंकि उनका निर्वाचन उस वर्ष में हुआ है जो शून्य से समाप्त होता है, जहाज निश्चित रूप से डूब जायेगा और उन्हें जलसमाधि मिल जायेगी। परंतु तटरक्षकों ने उस जहाज को डूबने से बचा लिया।