भाजपा में उठने लगे ब़गावती सुर


जैसे-जैसे हरियाणा विधानसभा व लोकसभा के चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं वैसे-वैसे भाजपा के खेमे में दरारें नजर आने लगी हैं। भाजपा के कुरुक्षेत्र से सांसद राजकुमार सैनी ने पार्टी के विरुद्ध खुली बगावत करते हुए अपनी अलग से लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी बनाने की घोषणा कर दी है। 
उनका यह भी कहना है कि उनकी पार्टी प्रदेश की सभी 90 विधानसभा और 10 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी। सैनी पिछले काफी समय से न सिर्फ पार्टी के प्रदेश नेतृत्व की आलोचना करते आ रहे हैं बल्कि उन्होंने जाट आरक्षण आंदोलन का भी खुलकर विरोध किया था। 
अब उन्होंने यह भी साफ कर दिया है कि वे पार्टी से और सांसद पद से इस्तीफा नहीं देंगे लेकिन पार्टी जो भी कार्यवाही उनके खिलाफ करना चाहे, कर ले। वे केंद्र में मंत्री पदों पर मौजूद राज्य सभा सांसदों के खिलाफ भी खुलकर बोलते रहे हैं। उनकी बगावत निश्चित तौर पर न सिर्फ पार्टी के वोट बैंक में सेंध लगाएगी बल्कि पार्टी की प्रतिष्ठा पर भी आंच आने लगी है। सैनी पिछले काफी समय से पिछड़े वर्ग के मतदाताओं को एकजुट करने और उन्हें अपने साथ जोड़ने में लगे हैं। उनका यह भी कहना है कि भाजपा को सत्ता में लाने में सबसे अहम भूमिका पिछड़े वर्ग ने निभाई थी, लेकिन भाजपा सरकार में सबसे ज्यादा उनकी अनदेखी हुई है। 
सैनी ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत बंसीलाल की पार्टी हविपा से शुरू की थी और वे बंसीलाल के नेतृत्व वाली हविपा-भाजपा सरकार में राज्यमंत्री भी रहे थे। पिछले लोकसभा चुनाव से ऐन पहले वे भाजपा में शामिल हुए और मोदी लहर में कुरुक्षेत्र से सांसद बन गए थे। कुछ दिन पहले धर्मवीर ने खुलकर पूर्व उप-प्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल की भी तारीफ की थी। अब इस हफ्ते वे एक सार्वजनिक समारोह में पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा की तारीफ करते नजर आए। जिस समारोह में धर्मवीर ने भूपेंद्र हुड्डा की तारीफ की उस कार्यक्रम में भूपेंद्र हुड्डा के सांसद बेटे दीपेंद्र हुड्डा भी मौजूद थे। 
धर्मवीर का कहना था कि खेलों व खिलाड़ियों के प्रति हुड्डा सरकार की नीति बेहतर थी और जिस गांव का खिलाड़ी पदक जीतकर आता था उस गांव को आदर्श गांव का दर्जा देकर विकास किया जाता था। केंद्रीय राज्यमंत्री राव इंद्रजीत सिंह के करीबी सूत्र भी उनकी भाजपा नेतृत्व के प्रति नाराजगी बता रहे हैं। अगले कुछ दिनों में इंद्रजीत भी प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों का दौरा करके राज्य के राजनीतिक तापमान का अंदाजा लगाना चाहते हैं। वे भी पिछले लोकसभा चुनाव से कुछ दिन पहले ही कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे और मुख्यमंत्री बनने का सपना पाले हुए थे। यह भी माना जा रहा है कि दक्षिणी हरियाणा में राव इंद्रजीत के कारण ही भाजपा को सबसे ज्यादा सीटें हासिल हुई थीं। वे भी सरकार से आजकल खुश नजर नहीं आ रहे हैं। उनका अगला कदम क्या होगा। सभी की नजरें इस ओर लगी हुई हैं। माना जा रहा है कि वे भी चुनाव से पहले कोई बड़ा धमाका कर सकते हैं। लेकिन एक बात साफ है कि पिछले चुनाव के वक्त भाजपा ने हरियाणा के जिन नेताओं को इकट्ठे करके लोकसभा व विधानसभा की सीटें जीती थीं, वह कुनबा अब बिखरता नजर आ रहा है। 
जींद उप-चुनाव पर नज़रें
पिछले पखवाड़े हरियाणा के जींद से इनेलो विधायक डा. हरि चंद मिढ़ा का अचानक निधन हो गया। वे पिछली दो बार 2009 और 2014 में इनेलो टिकट पर जींद से विधायक बने थे। विधानसभा के अंदर व बाहर उनकी छवि बेहद मिलनसार, मृदुभाषी व बेहद लोकप्रिय विधायक की थी। वे विधानसभा में भी अपनी बात इतनी शालीनता से रखते थे कि हर कोई उनके व्यवहार व शालीनता का कायल था। विधानसभा में शोक संदेश पढ़ते हुए मुख्यमंत्री से लेकर पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा सहित सभी ने उनकी शराफत की खूब तारीफ की। विधानसभा सत्र बुलाए जाने के वक्त उन्होंने अपने हलके की कुछ मांगें व दिक्कतें विधानसभा सचिवालय को प्रश्नोतर काल के लिए भेजी थी। सदन में दूसरे दिन कार्यवाही शुरू होते ही मुख्यमंत्री ने उनके द्वारा प्रश्नों के रूप में भेजी गई सभी मांगें स्वीकार करने की घोषणा करते हुए कहा कि चाहे वे विपक्ष में थे, लेकिन यह उनके प्रति एक प्रकार से सच्ची श्रद्घांजलि होगी।  अब विधानसभा के कार्यकाल में एक साल से ज्यादा का समय बाकी है और उम्मीद की जा रही है कि अन्य राज्यों के होने वाले चुनावों के साथ जींद विधानसभा उप-चुनाव करवाए जा सकते हैं। जींद हरियाणा का केंद्र बिंदू है और सभी दलों की नजरें इस चुनाव पर अभी से लग गई हैं। जींद सीट पिछले दो चुनावों से इनेलो ने जीती है, इसलिए अगर उप-चुनाव होता है तो निश्चित तौर पर इनेलो इसे बरकरार रखना चाहेगी। इधर, जींद केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह का इलाका होने के कारण भाजपा के लिए भी जींद सीट बेहद प्रतिष्ठापूर्ण मानी जाती है। 
रणदीप सुरजेवाला भी जींद ज़िले से संबंध रखते हैं और भूपेंद्र हुड्डा का रोहतक लोकसभा हलका जींद के साथ लगने और जींद सीट सोनीपत संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आने के कारण यह चुनाव कांग्रेस के लिए भी बहुत अहम माना जाता है। यह माना जा रहा है कि अगर जींद सीट पर उप-चुनाव होता है तो जो भी पार्टी ये उप-चुनाव जीतेगी, उसे निश्चित तौर पर इस जीत का मनो-वैज्ञानिक लाभ मिलेगा। उम्मीद की जा रही है कि इनेलो इस उप-चुनाव में डा. मिढ़ा के बेटे या परिवार के किसी सदस्य पर दांव लगा सकती है। जींद उप-चुनाव होगा या नहीं अथवा अगर होता है तो कौन-सी पार्टी इसमें बाजी मारेगी, यह तो भविष्य बताएगा। लेकिन एक बात साफ है कि फिलहाल सभी की नजरें अभी से जींद के होने वाले उप-चुनाव की ओर लग गई हैं।