स्वास्थ्य के लिए ़खतरनाक हाई ब्लड प्रैशर


हाई ब्लड प्रैशर अब एक आम बीमारी बन गई है। यह कभी भी एकसमान नहीं रहता। यह कम ज्यादा होते रहता है। यह सभी वर्ग, धर्म, व्यवसाय के लोगों को होता है। कम आयु के लोग भी अब इसकी चपेट में आ रहे हैं।  इसके कई कारण हैं किन्तु समुचित उपचार के अभाव में यह खामोश हत्यारा शरीर के कई अंगों को प्रभावित कर उन्हें खोखला कर देता है। पहले 50 वर्ष की आयु के बाद यह बीमारी होती थी किन्तु अब यह बीमारी बेकाबू है। सिर में दर्द बना रहना, सांस लेने में तकलीफ होना जैसे प्रारंभिक लक्षण इसके संकेत हैं।
क्यों बढ़ता है बीपी
तनाव, शरीरगत खामी, खानपान में विसंगति, मोटापा, वंशानुगत जैसे कारणों के चलते इस बीमारी को घर बनाने का मौका मिलता है। नमक की अधिकता, पोटेशियम का अभाव भी कारण बनता है। हाई ब्लड प्रैशर के बने रहने पर हृदय व गुर्दा प्रभावित हो जाते हैं। 
हाई ब्लड प्रैशर के लक्षण
सिर में तेज दर्द, आंखों के आगे धुंधलापन छाना, पेट में दर्द तथा घबराहट महसूस होना, सीने में जलन होना, हाथों तथा चेहरे पर सूजन बढ़ना। इनमें से एक या अनेक लक्षण हो सकते हैं।
बीपी चैक कराने से पूर्व
30 मिनट पहले काफी या सिगरेट का सेवन न करें। छोटी बाजू वाले कपड़े पहनें। बीपी चेक कराने से पहले टायलेट जाएं। डाक्टर के पास 5 मिनट शांति से बैठें, फिर बीपी चैक कराएं। 
हाई ब्लड प्रैशर नियंत्रित कैसे करें?
संतुलित भोजन लें। फल, सब्जियां एवं कम वसा वाली चीजें खाएं। नमक तथा सोडियम की मात्रा कम कर दें। वजन नियंत्रित रखें। शारीरिक श्रम करें। प्रतिदिन 30 मिनट पैदल चलें। मादक पदार्थों का सेवन न करें। संयमित खान-पान, रहन-सहन के बाद भी बीपी काबू में न आने पर डाक्टर द्वारा लिखी दवा साथ ही साथ नियमित लें।
हाई ब्लड प्रैशर का उतार-चढ़ाव
॒े ठंडे पानी में नहाने पर तत्काल बीपी बढ़ता है फिर कुछ देर बाद सामान्य हो जाता है। 
॒ े कठोर श्रम या दौड़ने पर भी यही होता है।
॒ े गाड़ी चलाते समय अचानक किसी के सामने आ जाने एवं बचाव के लिए अपनी गाड़ी यकायक रोकने पर भी बीपी बढ़ता है। 
॒े तेज शोर के कारण भी बीपी बढ़ता है। पीठ पीछे पटाखे की तेज आवाज से भी ऐसा होता है।
े मादक पदार्थों के सेवन से भी बीपी बढ़ता है। (स्वास्थ्य दर्पण)
-सीतेश कुमार द्विवेदी