भट्ठे बंद करने का मामलार् पंजाब के 10 लाख भट्ठा मज़दूर होंगे प्रभावित


ममदोट, 18 सितम्बर (जसबीर सिंह कम्बोज): सर्दी के मौसम में नमी के बढ़ने कारण पर्यावरण के प्रदूषित होने से रोकने के उद्देश्य से इस बार प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड पटियाला (पंजाब) ने 1 अक्तूबर 2018 से 31 जनवरी 2019 तक जो भट्ठे बंद रखने का फैसला लिया है, उससे 10 लाख के करीब भट्ठा मज़दूर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में प्रभावित होंगे। सरकार द्वारा जारी किया यह फरमान व्यावहारिक तौर पर बेशक 1 अक्तूबर से लागू होने जा रहा है, परन्तु एक अक्तूबर से भट्ठे बंद हो जाने के आदेश जारी होने के बाद जो ईंट आम लोगों को 3600 से 3800 प्रति हज़ार रुपये मिलती थी, आने वाले समय में ईंटों की किल्लत को देखते हुए उसकी कीमत अब 5 हजार रुपये प्रति हजार हो चुकी है और आने वाले समय में यदि भट्ठे न चालू किए गए तो यह कीमत 5 हजार का आंकड़ा भी जल्दी ही पार कर जाने के चर्चे आम सुनने को मिल रहे हैं। लोगों में आम चर्चा है कि सरकार के इस आदेश जारी करने से भट्ठा मालिकों की तो चांदी हुई पड़ी है, परन्तु इस आदेश से 10 लाख के करीब भट्ठा मज़दूरों को रोजी-रोटी की समस्या खड़ी हो जाएगी।
पूरे वर्ष में सिर्फ चार महीने ही चल सकेंगे भट्ठे
एक अक्तूबर से 31 जनवरी तक भट्टे बंद रखने के सरकार द्वारा जारी किए भट्ठे बंद रखने के आदेशों बारे जब भट्ठा मालिकों का पक्ष जानना चाहा तो उन्होंने बताया कि प्रदूषण कंट्रोल करने के उद्देश्य से सरकार द्वारा जारी किए जा रहे इस तुगलकी फरमान के साथ भट्ठा उद्योग का भट्ठा ही बैठ जाएगा और यह भट्ठे वर्ष में सिर्फ चार महीने ही चल सकेंगे। उन्होंने बताया कि पंजाब में बरसातों के मौसम को देखते हुए पहले ही जून महीने में भट्ठे बंद हो जाते हैं और भट्ठा मालिकों द्वारा बरसात का मौसम समाप्त होने के बाद एक अक्तूबर से पुन: भट्ठे चालू किए जाते हैं और 1 अक्तूबर से 31 जनवरी तक सरकार द्वारा भट्ठे बंद कर देने के आदेशों कारण 4 महीने भट्ठे फिर बंद रहेंगे और बाकी चार महीनों के लिए भट्ठा मालिकों को फिर लेबर भी नहीं मिल सकेगी। उन्होंने बताया कि सरकार की शर्तें पूरी करते हुए जिग जैग प्रणाली अपना चुके हाई ड्राफ्ट भट्ठे बंद करने वाला फैसला हमारी समझ से बाहर है।
भट्ठे बंद करने वाला आदेश तुरन्त वापिस न लिया तो लेबर यूनियन करेगी बड़ा संघर्ष
सरकार के इस फैसले कारण भट्ठा मज़दूरों को आने वाली दिक्कत संबंधी ममदोट में विशेष तौर पर बुलाई बैठक दौरान बातचीत करते हुए गुरनाम सिंह उप प्रधान पंजाब भट्ठा वर्कर यूनियन, ज़िला प्रधान नाज़र सिंह हज़ारा और हाजिर अन्य नेताओं ने कहा कि प्रदूषण कंट्रोल करना भी ज़रूरी है, परन्तु सरकार के इस आदेश से 10 लाख के करीब मज़दूर खाली बैठ जाएंगे। उन्होंने कहा कि अकेले पंजाब राज्य में ही ऐसा आदेश जारी करना भट्ठा मालिकों और भट्ठों पर काम करती लेबर के साथ बहुत बड़ा धक्का है और यह धक्का बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि घर-घर नौकरी का लारा लगा कर सत्ता में आई सरकार अब मज़दूरों से मज़दूरी करने का हक भी छीन रही है। उन्होंने कहा कि प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड की शर्तें न पूरी  करने वाले भट्ठों को बंद करना तो जायज़ है, परन्तु प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड द्वारा जारी हिदायतें और लगाई शर्तें पूरी करने वाले जिग जैग प्रणाली अपना चुके हाई ड्राफ्ट भट्ठों को भी बंद करने वाला तुगलकी फरमान अगर सरकार ने तुरन्त वापिस न लिया तो लेबर यूनियन बड़ा संघर्ष करने के लिए मजबूर होगी और इसकी सारी जिम्मेवारी पंजाब सरकार की होगी। उन्होंने कहा कि आने वाले कुछ दिनों में पंजाब स्तरीय बैठक करके अगले संघर्ष की रूप-रेखा तय की जाएगी।