नशा विरोधी मुहिम को दीमक लगा रहे कुछ सरकारी कर्मी


गुरदासपुर, 18 सितम्बर (दीपक कुमार/ पंकज शर्मा) : पंजाब में से नशा खत्म करने के लिए राज्य सरकार कई तरह के प्रोजैक्ट चला रही है। इसी तरह पंजाब सरकार ने पिछले दिनों राज्य भर में नशेड़ियों के इलाज के लिए 100 ओट सैंटर खोले थे। जिस की शुरुआत जनवरी 2018 को होनी थी। परन्तु कुछ तकनीकी कारणों के कारण इस की शुरुआत अप्रैल 2018 को हुई है। इस प्रोजैक्ट को लक्ष्य पर ले जाने के लिए सेहत विभाग के डाक्टर, फार्मासिस्ट, काउंसलर और स्टाफ नर्सों का एक विशेष प्रशिक्षण कैंप भी लगाया गया था। इस ओट सैंटर की विशेषता यह है कि इस में अफ़ीम और स्मैक  का नशा करने वालों का इलाज किया जाना है। इस प्रोजैक्ट को शुरू हुए अभी थोड़ा समय हुआ है कि नशेड़ियें के इलाज के लिए एक विशेष दवा सरकार की तरफ से मुहैया करवाई जा रही है। जिसका नाम है ‘बुफोनोरपिन नारफलोक्स’। यह दवा पीडित मरीज़ को डाक्टर की हाज़िरी में उस के सामने दी जानी होती है। मरीज़ की बीमारी देख कर उसे यह दवा एक तय मात्रा में दी जानी होती है।
 ज़रूरत से अधिक दवा दिए जाने से मरीज़ का रोग अधिक भी सकता है या उस की जान को खतरा भी हो सकता है। यह बताया जाता है कि इस दवा की एक गोली में काफी नशा होता है और मरीज़ को एक गोली का कुछ हिस्सा दवा के तौर पर दिया जाता है। यहाँ यह भी बता दें कि यह दवा निजी मैडीकल स्टोर या निजी अस्पतालों में स्टोर करने पर पाबंदी है। इस की सप्लाई सिर्फ और सिर्फ सरकारी ओट सैंटरों में ही सरकार की तरफ से दी जाती है। 
परन्तु इस के बावजूद यह दवा कुछ ओट सैंटरों से कर्मचारी ब्लैक में नशेड़ियों को नशे के तौर पर बेच रहे हैं। जिस का एक सबूत तब मिला जब ‘अजीत समाचार’ के पत्रकारों की तरफ से इस का एक स्टिंग आपरेशन किया गया, जहाँ एक नशेड़ी ने अपना नाम गुप्त रखने की शर्त पर बताया कि यह दवा कई ओट सैंटरों से उनको 350 से 500 रुपए तक (10 गोलियाँ) मिल रही हैं। उसने बताया कि नशा महँगा और न मिलने के कारण यह गोलियाँ उन के नशे की पूर्ति कर रही हैं। यह सब देख कर स्थिति बहुत ही गंभीर बनती दिखाई दे रही है कि जिस दवा के साथ पीड़ित नशेड़ियों का इलाज करने के लिए पंजाब सरकार प्रयास कर रही है, उसी दवा के साथ वे नशे की ओर गिरफ्त में जा रहे हैं।