महंगे डीज़ल से किसानों पर 400 करोड़ का अतिरिक्त भार पड़ेगा

जालन्धर, 20 सितम्बर (शिव शर्मा) : लम्बे समय से पैट्रोल तथा डीज़ल की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं, जिस कारण पिछले से इस बार किसानों द्वारा धान की कटाई तथा बाद में गेहूं की बिजाई करने के समय ही महंगे डीज़ल के कारण 400 करोड़ रुपए के करीब ज्यादा भार पड़ जाएगा। इस वर्ष में ही डीज़ल के भाव 14 रुपए से 15 रुपए के करीब महंगा हो गया है तथा महंगे डीज़ल का खामियाज़ा इस बार किसानों को ज्यादा भुगतना पड़ेगा। केन्द्र ने चाहे धान के समर्थन मूल्य में 200 रुपए प्रति क्विंटल की वृद्धि की है परन्तु महंगे डीज़ल के कारण यह वृद्धि भी किसानों के लिए ज्यादा राहत नहीं देगी, क्योंकि धान की कटाई तथा गेहूं की बिजाई के समय ही उनका ज्यादा खर्चा होगा। पहले कंबाइनों द्वारा कटाई से 1200 रुपए के करीब प्रति एकड़ अदायगी करनी पड़ती थी, जबकि अब इसमें 300 रुपए का ज्यादा डीज़ल लगने के कारण 1500 रुपए प्रति एकड़ का ज्याज़ा भार पड़ेगा। पिछले वर्ष के मुकाबले इस बार डीज़ल के प्रति लीटर 14 से 15 रुपए महंगा होने के कारण इस बार धान की कटाई के लिए किसानों पर 400 करोड़ के करीब अतिरिक्त खर्चा पड़ेगा जिसमें गेहूं की बिजाई के लिए मशीनरी का प्रयोग किए जाने वाले डीज़ल का खर्चा भी शामिल है। कंबाइनें या अन्य मशीनें चलाने वालों का कहना है कि डीज़ल की कीमतें काफी बढ़ गई हैं तथा बढ़ा हुआ खर्चा तो किसानों को देना ही पड़ेगा। इस बार पंजाब में अनुमानित 75 लाख एकड़ ज़मीन में धान की कटाई की जानी है तथा 86 लाख एकड़ ज़मीन में गेहूं की बिजाई की जानी है। धान की कटाई के करीब 20 दिन के बाद गेहूं की बिजाई की शुरुआत हो जाती है। गेहूं की बिजाई के समय रोटावेटर मशीन भी कई बार खेतों में चलानी पड़ती है। एक जानकारी के अनुसार पिछले वर्ष जहां इन दिनों में करीब 58 से 59 रुपए प्रति लीटर डीज़ल बिक रहा था जबकि इन दिनों में डीज़ल आज 73.62 रुपए लीटर तक पहुंच गया था, जबकि कई ज़िलों में तो डीज़ल 74 रुपए प्रति लीटर तक पहुंच गया था। पैडी की बिजाई हो या फिर कटाई का काम हो, कृषि सैक्टर में डीज़ल का काफी उपयोग होता है। यह कहा जा सकता है कि महंगे डीज़ल का असर उस वर्ग पर ज्यादा पड़ा है, जिस वर्ग के लिए आमदन दुगनी करने के दावे किए जा रहे हैं। इस बार पैडी की कटाई के समय किसानों का डीज़ल का बजट ज़रूर ज्यादा आने वाला है।