एक्चुरियल साइंस सफल कॅरिअर का जोड़-घटाव

एक्चुरियल साइंस एक किस्म की गणितीय प्रक्रिया है जिसके जरिये हम वित्त और बैंकिंग के क्षेत्र में होने वाले फायदों और नुकसानों का जोड़ घटाव करते हैं। कहने का मतलब यह है कि इस क्षेत्र के प्रोफेशनल लेन देन से होने वाले नफे-नुकसान का हिसाब रखते हैं। जाहिर है बैंकिंग और इंश्योरेंस के क्षेत्र में इनकी अच्छी खासी मांग रहती है। बीमा क्षेत्र में विशेष तौर पर एक्चुयरी प्रोफेशनल की डिमांड होती है। क्योंकि यही वह इंडस्ट्री है जिसे हर पल यह जानने और समझने की जरूरत रहती है कि वह जोखिम का जो कारोबार कर रही है, उसमें उसे फायदा हो रहा है या नुकसान। वास्तव में एक्चुयरी प्रोफेशनल ही विभिन्न तरह की बीमा पॉलिसी डिजाइन करते हैं। विभिन्न आयु समूह के लोगों के लिए पॉलिसी प्रोग्राम बनाने में इनकी ही मुख्य भूमिका होती है। क्योंकि ये जोड़-घटाव के जरिये इस तरह के नतीजे हासिल करते हैं कि कितने रुपये प्रीमियम की पॉलिसी बनायी जाये तो दोनो यानी पॉलिस धारक और बीमा कंपनी दोनो को ही फायदा हो। जाहिर है इनके भरोसे पूरा बीमा वित्त का कारोबार चलता है। इसलिए इनकी मांग इस इंडस्ट्री में खूब रहती है। यही वजह है कि एक्चुरियल साइंस से संबंधित डिग्री और डिप्लोमा पाठ्यक्रमों की बाजार में बाढ़ आ गई है। इस क्षेत्र में छह महीने से लेकर दो साल तक की अवधि के तमाम शॉर्ट टर्म कोर्स उपलब्ध हैं। देश के कुछ विश्वविद्यालय एक्युरियल साइंस में तीन वर्षीय डिग्री कोर्स भी संचालित करते हैं। ये कोर्स इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंश्योरेंस और भारतीय बीमा विनियामक आयोग के माध्यम से संचालित होते हैं। इस विषय में स्नातकोतर कर रहे विद्यार्थियों को इंस्टीट्यूट ऑफ  इंश्योरेंस, लंदन द्वारा फैलोशिप भी प्रदान की जाती है। ‘द एक्चुरियल सोसायटी ऑफ  इंडिया’ इस क्षेत्र को क्वालिफाइंग और फैलोशिप परीक्षा कराती है। इस संस्थान को भारत के अलावा दक्षिण पूर्व एशिया और अफ्रीकी देशों से भी मान्यता प्राप्त है। इन पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए बारहवीं के बाद क्वालिफाइंग परीक्षा दी जा सकती है। इसके लिए जरूरी है कि परीक्षार्थी की आयु 18 वर्ष हो, मैथ्स और स्टेस्टैटिकस के स्नातक और परास्नातक भी बैठ सकते हैं। इंट्रेस टेस्ट के बाद एसोसिएट लेवल पर टेस्ट होता है। इस परीक्षा के चार चरण होते हैं- कोर टेक्निकल स्टेज, कोर एप्लीकेशन स्टेज, स्पेशलिस्ट टेक्निकल स्टेज और स्पेलिस्ट एप्लीकेशन स्टेज। यह परीक्षा एक्चुरियल सोसायटी ऑफ  इंडिया, मुंबई द्वारा आयोजित की जाती है। यह वर्ष में दो बार मई व नवंबर में होती है। इस क्षेत्र के प्रोफेशनल्स की इंश्योरेंस सेक्टर में खूब मांग है और यह मांग तेजी से बढ़ती जा रही है। बहरहाल इसके अलावा इस क्षेत्र के प्रोफेशनल की विदेशों में विशेषकर दक्षिण पूर्व एशिया में काफी कमी है इसलिए इनकी विदेशों में भी खूब मांग है। सरकारी क्षेत्रों में मैनेजिंग स्टेट पेंशन स्कीम, पॉपुलेशन प्रोजेक्शन आदि में इनकी जरूरत होती है। प्राइवेट डिजाइन कंसल्टैंसी और इंश्योरेंस क्षेत्र की तो इनके बगैर कल्पना ही नहीं की जा सकती। इसके अलावा ये खुद की कंसल्टेंसी फर्म भी खोल सकते हैं। इसमें ठीकठाक कमाई हो जाती है। बहरहाल बाद में तो इस क्षेत्र के जानकारों को आराम से 40 से 50 लाख रुपये सालाना का पैकेज मिल जाता है। लेकिन प्रारंभिक स्तर में भी आराम से 30 से 35 हजार रुपये की मासिक नौकरी मिल जाती है। 

-कीर्तिशेखर