फरिश्ता बन रणजीत ने बचाई छह जानें 

होशियारपुर, 29 सितम्बर (नरेन्द्र मोहन शर्मा) : 24 सितम्बर का दिन मैं अपने जीवन में कभी नहीं भूल सकता। मुझे तो लगा आज मैं और मेरा परिवार नहीं बचेगा लेकिन परमात्मा ने अपने फरिश्ते को भेज दिया और हमारे पूरे परिवार की जान बच गई। मेरे साथ में मेरा पांच दिन का बच्चा, मेरी दो नन्ही बेटियां थी, पत्नी व उसकी बहन थी। एक पल लगा मैं इन सब को खो दूंगा। पानी का सैलाब मानों हमें निगलने वाला था, मेरी आंखें बंद थीं, पांच दिन पहले ही मेरी पत्नी की डिलीवरी हुई थी और आप्रेशन के कारण उसका दर्द कम होने का नाम नहीं ले रहा था वहीं पानी रु पी मौत को देख पत्नी का दर्द और बढ़ गया, लेकिन गांव के रणजीत सिंह सूद फरिश्ते की तरह आए और हमें बचा कर ले गए। यह खौफनाक वाक्या 24 सितम्बर 2018 का है, जिसे सोच कर आज भी रु ह कांप जाती है लेकिन हम परमात्मा और उसके उस फरिश्ते के शुक्रगुजार है जिसके कारण आज मेरा परिवार जिंदा है। यह कहना हैं गांव खुरालगढ़ साहिब के लखविंदर सिंह का, जो कि 24 सितम्बर को भारी बारिश में पूरे परिवाह सहित अपनी कार में गांव की खड्ड में फंस गया था। लखविंदर ने बताया कि वह मुम्बई में नौकरी करता है और थोड़े दिन पहले ही अपने गांव खुरालगढ़ साहिब आया था। उसकी पत्नी का बड़ा आप्रेशन हुआ था, इस लिए उसे डाक्टर को दिखाने वह परिवार सहित गढ़शंकर गया था। बरसात खत्म होने का नाम नहीं ले रही थी, डाक्टर को दिखा कर कार पर वह अपनी पत्नी राजविंदर कौर, उसकी बहन व अपनी 14 वर्षीय व ढाई वर्षीय बेटी और पांच दिन के बेटे को साथ लेकर घर जा रहा था। गांव जाने के लिए खड्ड से गुजरना पड़ता है लेकिन उस दिन भारी बरसात के कारण खड्ड में पानी का बहाव बहुत तेज था। उसे लगा कि वह अपनी कार निकाल लेगा लेकिन देखते ही देखते पानी कार को खींचने लगा, ऐसा लगा कि अब कार पानी के साथ ही बह जाएगी लेकिन किसी तरह कार फंस गई लेकिन पानी का स्तर धीरे-धीरे बढ़ता चला गया और हमारी कार डूबने लगी। कार में बच्चे व पत्नी चीखने चिल्लाने लगे।  मौत को देख मैं परमात्मा को याद करने लगा और अचानक मेरे ध्यान में गांव के रणजीत सूद का ख्याल आया जिन्हें मैं चाचा जी कहता था,  मैंने तुरंत रणजीत सूद जी को फोन मिला दिया और वे फरिश्ते की तरह आए और मेरे  पूरे परिवार को पानी से निकाल लाए।  तप स्थान श्री खुरालगढ़ साहिब के कैशियर व गांव के पूर्व सरपंच रणजीत सूद ने कहा कि जब लखविंदर का उन्हें दोपहर दो बजे के करीब फोन आया तो उसने यही कहा चाचा मैंनू बचा ले, गड्डी खड़ गई है, असीं रु ड़ चल्ले आं। लखविंदर के यह शब्द सुनते हुए मैं अफरा-तफरी में बाहर आया और भाई को कहा कि ट्रैक्टर निकाल। भाई ने पूछा तो मैंने उसे बताया, उसने बाकी लोगों को भी बुलाया और ट्रैक्टर व जे.सी.बी की व्यवस्था कर हम वहां से खड्ड की तरफ निकल पड़े। बारिश रु कने का नाम नहीं ले रही थी, लग रहा था जैसे आज सब कुछ डूब जाएगा। 5-7 मिनट में मैं मौके पर पहुंच गया तो देखा कि गाड़ी लगभग डूब चुकी थी और गाड़ी में बच्चें बिलख रहे थे। मैंने आव देखा न ताव, रस्सी का एक किनारा ट्रैक्टर के स्टेरिंग के साथ बांधा और  दूसरा किनारा अपनी कमर के साथ बांध कर खड्ड में छलांग लगा दी। पहले तो ऐसा लगा कि मैं ही पानी के साथ बह जाऊंगा लेकिन परमात्मा ने शायद मुझे इस काम के लिए चुना था, इस लिए मेरा हौसला कम नहीं हुआ और किसी रुकावट की परवाह न करते हुए मैं कार तक पहुंच गया तथा गांव के नौजवानों की मदद से भारी मशक्कत के बाद परिवार के सभी सदस्यों को एक-एक करके बाहर निकाल लिया।  वहीं डिप्टी कमिश्नर श्रीमती ईशा कालिया ने रणजीत सूद की इस बहादुरी की सराहना करते हुए लोगों को उनसे प्रेरणा लेने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि समाज में ऐसे लोगों की मौजूदगी हमें हमेशा सुरक्षा का अहसास करवाती हैं और जिला प्रशासन श्री रणजीत सूद की इस बहादुरी की कद्र करता है। उन्होंने कहा कि रणजीत सिंह की बहादुरी के लिए ज़िला प्रशासन की ओर से उन्हें विशेष तौर पर सम्मानित किया जाएगा।